Hindi Kahaniyan: एक दिन एक भेड़िए की पत्नी को मछली खाने की इच्छा हुई। भेड़िए ने उससे कहा कि वह कोशिश करेगा कि उसके लिए कोई मछली पकड़ सके। हालांकि वह नहीं जानता था कि मछली कैसे पकड़ी जाती है। लेकिन फिर भी वह मछली पकड़ने के लिए घर से निकल पड़ा। उसने नदी के किनारे दो ऊदबिलाव देखे। वे भी वहां मछलियों की ताक में थे।
उनके शरीर पर लगे बाल पानी की बूंदें पड़ने से चमक रहे थे। इससे साफ लग रहा था कि वे बहुत देर से पानी में कूद-फांद कर रहे थे लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं आ रहा था। तभी उनमें से एक ने पानी में बहुत बड़ी मछली देखी। लेकिन जैसे ही वह उसके नजदीक पहुंचा, उसे लगा कि वह उसे अकेला नहीं पकड़ सकता अतः उसने अपने साथी को सहायता के लिए बुलाया।

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दूसरे ऊदबिलाव ने जोर से पानी में छलांग लगाई, इस तरह दोनों मिल कर उस मछली को पानी से बाहर ले आए। उसे उन्होंने नदी के किनारे पर रख दिया। वे दोनों मछली को पकड़ने और उसे पानी से बाहर निकालने के बाद बुरी तरह थक गए थे। अब उन दोनों में बहस छिड़ गई कि मछली का सिर वाला हिस्सा कौन खाएगा और पूंछ वाला हिस्सा किसे मिलेगा।
पहला ऊदबिलाव बोला कि इसे पहले मैंने पकड़ा था इसलिए इसका सिर मैं लूंगा। नहीं, जब हम इसे पकड़ कर लाए थे तो इसका सिर मैंने पकड़ा हुआ था, तुमने पूंछ पकड़ी थी अतः इसका सिर में लूंगा दूसरा ऊदबिलाव बोला। धीरे-धीरे उन दोनों का झगड़ा बढ़ता गया और दोनों आपस में गुत्थमगुत्था हो गए। भेड़िया एक झाड़ी के पीछे से छिप कर उन्हें देख रहा था।
वह इस फिराक में था कि शायद वे दोनों दोबारा नदी में छलांग लगाएंगे और वह उस मछली को ले कर भाग जाएगा। लेकिन उनमें होने वाले झगड़े को देखते हुए उसे नहीं लग रहा था कि वह मछली को ले सकता है। वह कोई और तरकीब सोचने लगा।

तभी उसके कानों में उनके लड़ने की आवाज सुनाई दी। वह जरा ध्यान से सुनना चाहता था कि आखिर किस्सा क्या है। उसने कान लगा कर उनकी आवाजें सुननी चाही और जान गया कि वे दोनों मछली के सिर और पूंछ वाले हिस्से को ले कर लड़ रहे हैं। तभी उसके दिमाग में एक तरकीब आई और वह सोचने लगा, ‘अरे वाह! अब मैं इस मछली को आसानी से पा सकता हूं। इन दोनों बेवकूफों के बीच का झगड़ा ही मुझे लाभ पहुंचा सकता है। ‘
वह बड़े आराम से उनके सामने चला गया। उसे देखते ही एक ऊदबिलाव बोला, “अरे! क्या आप हमारी सहायता कर सकते हैं? हम बहुत देर से इस मछली को बांटना चाह रहे हैं लेकिन इसे बांट नहीं पा रहे। क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं? अरे, यह तो बहुत आसान है,” भेड़िया बोला, “तुम इसका सिर ले लो और दूसरा पूंछ ले सकता है। मैं अपनी फीस के रूप में बाकी का हिस्सा ले लेता हूं।
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इतना कह कर वह बाकी की मछली का टुकड़ा लिए अपने घर की ओर रवाना हो गया। बेचारे दोनों ऊदबिलाव एक-दूसरे का मुंह ताकते रह गए। उन्हें समझ आ गया था कि आपसी फूट में हमेशा कोई तीसरा फायदा उठा लेता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
यह कहानी हमें सिखाती है कि अपनी गलतियों या अनुभवों से सीखना ही सफलता का मार्ग दिखाता है। जीवन के हर मोड पर हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।