Hindi Kahaniyan: सबसे बड़े तीरंदाज के साथ नाइंसाफी

Hindi Kahaniyanसबसे बड़े तीरंदाज के साथ नाइंसाफी

Hindi Kahaniyan: तीरंदाज़ी, वह खेल जिसमें किसी निर्जीव लक्ष्य पर या शिकार में धनुष से तीर चलाना शामिल है। एक नाटे कद का आदमी, जिसकी पीठ थोड़ी झुकी हुई थी लेकिन जो था बहुत ही बुद्धिमान और गजब का तीरंदाज, इस बात को लेकर बहुत परेशान रहता था कि राजा की सेना में उसे भर्ती नहीं किया जाएगा। लेकिन एक दिन उसने इसका भी हल खोज निकाला- मुझे कोई ऐसा आदमी चाहिए जो बहुत ताकतवर हो। मैं उसे राजा की सेना में भर्ती होने के लिए कहूंगा। फिर मैं उसके साथ लड़ने जाया करूंगा।

अंत में, एक दिन उसे एक ऐसा बलशाली व्यक्ति मिल ही गया। वह एक गहरा गड्ढा खोद रहा था। ” अरे सुनो,” वह बोला, “मेरे पास तुम्हारे लिए एक सुझाव है। मैं इस राज्य का सबसे बड़ा तीरंदाज हूं, फिर भी मेरे छोटे कद के कारण कोई भी मुझे राजा की सेना में भर्ती नहीं करता। लेकिन यदि तुम राजा की सेना में भर्ती हो जाओ तो मैं तुम्हारे लिए ढाल का काम करूंगा। तुम्हें जो भी वेतन मिलेगा, हम उसे आधा-आधा बांट लेंगे। मंजूर है?

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सबसे बड़ा तीरंदाज के साथ नाइंसाफी

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नाटे व्यक्ति ने अपना प्रस्ताव रखा। उस व्यक्ति को यह सुझाव पसंद आ गया। उसने सोचा कि अब उसे गहरे गड्ढे भी नहीं खोदने पड़ेंगे और उस छोटे तीरंदाज के काम करने से आधा वेतन भी मिल जाया करेगा। अतः वह राजी हो गया। वे दोनों राजा के पास गए और उस आदमी ने राजा की सेना में भर्ती होने की इच्छा जाहिर की। राजा भी इतने ताकतवर और बलशाली व्यक्ति को देख कर खुश हो गया। उसने उसे सौ स्वर्ण मुद्राएं प्रति माह के वेतन पर अपनी सेना में भर्ती कर लिया।

जब कभी भी राजा को यह लगता कि उसके राज्य को किसी प्रकार का खतरा है तो वह उसे मोर्चे पर भेजता। वह छोटा तीरंदाज भी सहायता के लिए उसके साथ जाता। एक बार उसने एक शेर को मार गिराया। अगली बार उसने एक जंगली भैंसे को मार डाला। राजा ने खुश हो कर उस बलवान व्यक्ति को हर बार इनाम दिया।

इन घटनाओं के बाद उस बलवान व्यक्ति ने यह सोचना शुरू कर दिया कि वह स्वयं भी ताकतवर है और उसे अपने इनाम को किसी से बांटने की जरूरत नहीं। अतः वह तीरंदाज से बुरी तरह से पेश आने लगा। अचानक एक दिन एक भयानक संकट आ गया। उस राज्य पर किसी शत्रु की सेना ने धावा बोल दिया। बलवान व्यक्ति को हाथी पर बिठा कर सेना का मोर्चा संभालने के लिए सबसे आगे भेजा गया। वह बहुत डरा हुआ था। लेकिन छोटे कद का तीरंदाज आगे आया और बोला, “तुम घबराओ मत। मैं तुम्हारे पीछे बैठूंगा और सब ठीक कर दूंगा।”

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जैसे ही बलवान व्यक्ति ने दुश्मन की सेना को देखा, वह हाथी से कूद पड़ा और सरपट वहां से भाग निकला। छोटे तीरंदाज के पास यही समय था जबकि वह अपनी कुशलता और बहादुरी दिखा सकता था। अतः उसने एक के बाद एक करके दुश्मन की सेना पर बाणों की वर्षा शुरू कर दी और शत्रु सेना को भागने पर मजबूर कर दिया। फिर वह बिगुल बजाता हुआ राजा के राज्य में दाखिल हुआ। राजा और नगरवासी जान गए कि असली नायक कौन है। उसे कई प्रकार के कीमती तोहफे इनाम में दिए गए और राजा की सेना का सेनापति बना दिया गया।

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लोग अकसर भूल जाते हैं कि यदि आप योग्य हैं, तो आपको योग्यता के अनुसार स्थान जरूर मिलेगा। हां, उसके लिए थोड़ा इंतजार जरूर करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बल की अपेक्षा बुद्धि हमेशा शक्तिशाली होती है इसलिए हमें अपने बुद्धि पर काम करने की जरूरत है।