700+ हिंदी लोकोक्ति और अर्थ | Hindi Lokokti aur Arth

Hindi Lokokti aur Arth700+ हिंदी लोकोक्ति और अर्थ

Hindi Lokokti aur Arth: लोकोक्ति आम लोगों द्वारा स्थानीय बोलियों में उपजे पद और वाक्य हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों और संदर्भों में बने हैं। जब कोई वाक्य या कथन किसी प्रसंग में कहा जाता है, उसे ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत भी कहा जाता है। यहां 700+ लोकोक्तियां, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग दिए गए हैं-

Table of Contents

(Hindi Lokokti aur Arth)

(अ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

अकेला ना हंसता भला ना रोता भला (Akela Hansta Bhala Na Rota Bhala) 
अर्थ– अकेले कोई काम करना अच्छा नहीं।

अधजल गगरी छलकत जाए (Adhjal Gagri Chalkat Jaye)
अर्थ- ओछा व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता (Akela Chana Bhad Nahi Phod Sakta)
अर्थ- अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।

अकल बड़ी या भैंस (Akal Badi Ya Bhains)
अर्थ– शारीरिक शक्ति का महत्व कम है, बुद्धि का अधिक।

अच्छी मति जो चाहो, बूढ़े पूछन जाओ (Acchi Mati Jo Chaho, Budhe Puchan Jao)
अर्थ– बड़े-बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो सकते हैं।

अटका बनिया देय उधार (Atka Baniya Dey Udhaar)
अर्थ– गरज आ पड़े तो आदमी सब कुछ मान जाता है।

अटकेगा सो भटकेगा (Atkega So Bhatkega)
अर्थ– दुविधा या सोच-विचार में पड़ोगे तो काम नहीं होगा।

अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज (Adhai Haath Ki Kakadi, Nau Haath Ka Beej)
अर्थ– अनहोनी बात।

अनजान सुजान, सदा कल्याण (Anjan Sujan, Sada Kalyaan)
अर्थ– मूर्ख और ज्ञानी दोनों सुखी रहते हैं।

बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख (Bin Mange Moti Mile, Mange Mile Na Bheekh)
अर्थ– सौभाग्य से कोई बढ़िया चीज अपने-आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलती।

अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना (Apna-Apna Kamana, Apna-Apna Khanna)
अर्थ– किसी का साझा अच्छा नहीं।

अपना घर दूर से सूझता है (Apna Ghar Door Se Samjhate Hai)
अर्थ- घर के सुख-चैन का महत्त्व घर में नहीं होता।

अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे को फुल्ली निहारे (Apana Dhendhar Dekhe Nahi, Dusre Ko Phulli Nihare)
अर्थ- अपने ढेर सारे दुर्गुण ना देखना, दूसरे के अवगुण की चर्चा करना।

अपना मकान कोट समान (Apna Makan Kot Saman)
अर्थ- अपने घर में जो सुख होता है, वह कहीं नहीं।

अपना रख पराया चख (Apna Rakh Paraya Chakh)
अर्थ- अपनी नहीं, दूसरे की चीज़ का इस्तेमाल करना।

अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख (Apna Laal Ganwae Ke Dar-Dar Maange Bheekh)
अर्थ- अपनी चीज बहुमूल्य होती है, उसे खोकर आदमों दूसरे का मोहताज हो जाता है।

अपना ही पैसा खोटा तो परखने वाले का क्या दोष (Apna Hi Paisa Khota To Parakhne Wale Ka Kya Dosh)
अर्थ- अपनी ही चीज खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।

अपनी-अपनी खाल में सब मस्त (Apni-Apni Khaal Mein Sab Mast)
अर्थ- अपनी परिस्थिति से संतुष्ट रहना।

अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग (Apni-Apni Dhapli, Apna-Apna Raag)
अर्थ- सब अलग-अलग मनमाना काम करते हैं।

अपनी करनी पार उतरनी (Apni Karni Paar Utarni)
अर्थ- अपना किया काम ही फलदायक होता है।

अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं (Apni Garaj Se Log Gadhe Ko Bhi Baap Banate Hain)
अर्थ- स्वार्थ के लिए छोटे आदमी की भी खुशामद करने पड़ती है।

अपनी गरज बावली (Apni Garaj Bawli)
अर्थ- स्वार्थी आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता।

अपनी गली में कुत्ता शेर (Apni Gali Mein Kutta Sher)
अर्थ- अपने घर में सबका जोर होता है।

अपनी गांठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा (Apni Ganth Paisa To, Paraya Aasra Kaisa)
अर्थ- आदमी खुद समर्थ हो तो दूसरे का भरोसा क्यों करे।

अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो (Apni Chilam Bharne Ko Mera Jhopda Jalate Ho)
अर्थ- अपने अल्प लाभ के लिए दूसरे का भारी नुकसान करना।

अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता (Apni Chaas Ko Koi Khatta Nahin Kehta)
अर्थ- अपनी चीज को कोई बुरा नहीं बताता।

अमीर को जान प्यारी फ़क़ीर को एक-एक दम भारी (Amir Ko Jaan Pyari, Fakir Ko Ek-Ek Dam Bhari)
अर्थ- गरीब को जान के लाले हैं।

अशर्फियां लुटें और कोयलों पर मोहर (Ashrafiyan Luten Aur Koylon Par Mohar)
अर्थ- कीमती चीज की बजाय सस्ती चीज की परवाह करना। (वाक्य- रमेश मूल्यवान वस्तु भले ही दे दे, छोटी-छोटी चीजों को बचा-बचा कर रखता है)

अपने पूत को कोई काना नहीं कहता (Apne Poot Ko Koi Kaana Nahi Kehta)
अर्थ- अपनी खराब चीज़ को कोई खराब नहीं कहता।

अब की अब के साथ, जब की जब के साथ (Ab Ki Ab Ke Saath, Jab Ki Jab Ke Saath)
अर्थ- सदा वर्तमान की ही चिंता करनी चाहिए।

अपनी टांग उघारिए, आपहि मरिए लाज (Apni Taang Ughaariye, Aap Hi Mariye Laaj)
अर्थ- अपने घर की बात दूसरों से कहने पर बदनामी होती है।

अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना (Apni Neend Sona, Apni Neend Jagana)
अर्थ- पूर्ण स्वतंत्र होना।

अपनी नाक कटे तो कटे, दूसरों का सगुन तो बिगड़े (Apni Naak Kate To Kate, Dusre Ka Shagun To Bigde)
अर्थ- दूसरों के नुकसान के लिए अपना नुकसान करना।

अपनी पगड़ी अपने हाथ (Apni Pagdi Apne Haath)
अर्थ- अपनी इज्जत अपने हाथ।

अपने किए का क्या इलाज (Apne Kiye Ka Kya Ilaj)
अर्थ- अपने कर्म का फल भोगना ही पड़ता है।

अपने झोपड़े की खैर मनाओ (Apne Jhopde Ki Khair Manao)
अर्थ- अपनी कुशल देखो।

अब सतवंती होकर बैठी, लूट लिया संसार (Ab Satvanti Hokar Baithi, Loot Liya Sansar)
अर्थ- सारे उम्र बुरे कर्म रहे अब संत बन बैठे हैं।

अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटे (Abhi To Tumhare Doodh Ke Daant Bhi Nahin Toote)
अर्थ- अभी तुम बच्चे हो, अनजान हो।

अभी दिल्ली दूर है (Abhi Delhi Door Hai)
अर्थ- अभी कसर है।

(आ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

आदमी-आदमी अंतर कोई हीरा कोई कंकर (Aadmi Aadmi Antar Koi Hira Koi Kankar)
अर्थ- हर आदमी का गुण-स्वभाव दूसरों से भिन्न होता है।

आ बैल मुझे मार (Aa Bail Mujhe Maar)
अर्थ- खुद मुसीबत बुलाना।

आधा तीतर आधा बटेर (Aadha Titar Aadha Bater)
अर्थ- बेतुका मेल होना।

आम के आम गुठलियों के दाम (Aam Ke Aam Guthliyon Ke Daam)
अर्थ- दोहरा लाभ।

आसमान से गिरा खजूर में अटका (Aasman Se Gira Khajoor Mein Atka)
अर्थ- एक मुसीबत से छूटकर दूसरी में फंसना।

आंख बची माल दोस्तों का (Aankh Bachi, Maal Dosto Ka)
अर्थ- पलक चूकने से माल गायब हो सकते हैं।

आंख सुख कलेजे ठंडक (Aankh Sukh, Kaleje Thandak)
अर्थ- परम शान्ति ।

आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूंक (Aai Mouj Fakir Ki, Diya Jhopda Phoonk)
अर्थ- मौजी और विरक्त आदमी किसी चीज की परवाह नहीं करता।

आग लगने पर कुआं खोदना (Aag Lagne Par Kuan Khodna)
अर्थ- जरूर पड़ने से पहले कुछ ना करना।

आगे जाए घुटने टूटे, पीछे देखे आंख फूटे (Aage Jaye Ghutne Tute, Piche Dekho Aankh Foote)
अर्थ- जहां जाएं, उधर ही मुसीबत ।

आगे नाथ ना पीछे पगहा (Aage Nath Na Piche Pagha)
अर्थ- पूर्णतः बंधनरहित ।

आंख एक नहीं कजरौटा दस-दस (Aankh Ek Nahi, Kajrauta Dus-Dus)
अर्थ- व्यर्थ आडंबर।

आंख का अंधा, गांठ का पूरा (Aankh Ka Andha, Ganth Ka Pura )
अर्थ- पैसेवाला मगर मूर्ख।

आई तो ईद, ना आई तो जुमेरात (Aai To Eid, Na Aai To Jumerat)
अर्थ- आमदनी हुई तो मौज, नहीं तो फाका ही सही।

आंख और कान में चार अंगुल का फर्क है (Aankh Aur Kaan Mein Char Ungul Ka Farq Hai)
अर्थ- आंखों देखी बात का विश्वास है, कानों सुनी का नहीं।

आंख के आगे नाक, सूझे क्या खाक (Aankh Ke Aage Naak, Sooje Kya Khaak)
अर्थ- आंख पर पर्दा पड़ा है तो क्या सूझे।

आंख ओट पहाड़ ओट (Aankh Oat Pahad Oat)
अर्थ- आंख से ओझल हुए तो समझो कि बहुत दूर हो गए।

आई है जान के साथ, जाएगी जनाजे के साथ (Aai Hai Jaan Ke Sath, Jayegi Janaze Ke Sath)
अर्थ- लाइलाज बीमारी ।

आओ-जाओ घर तुम्हारा, खाना मांगे दुश्मन हमारा (Aao-Jao Ghar Tumhara, Khana Mange Dushman Hamara)
अर्थ- झूठ-मूठ का सत्कार

आग कहते मुंह नहीं जलता (Aag Kehte Munh Nahin Jalta)
अर्थ- केवल नाम लेने से कोई हानि-लाभ नहीं होता।

आग का जला आग से ही अच्छा होता है (Aag Ka Jala Aag Se Hi Achha Hota Hai)
अर्थ- कष्ट देने वाली चीज कष्ट का निवारण भी कर देती है।

आग खाएगा तो अंगार उगलेगा (Aag Khayega To Angaar Uglega)
अर्थ- बुरे काम करने का बुरा ही फल मिलता है।

आग बिना धुआं नहीं (Aag Bina Dhuan Nahin)
अर्थ- हर चीज की वजह जरूर होता है।

आंख एक नहीं कलेजा टुक-टुक (Aankh Ek Nahi Kaleja Tuk-Tuk)
अर्थ- बनावटी दुःख प्रकट करना।

आए की खुशी ना गए का गम (Aaye Ki Khushi Na Gaye Ka Gam)
अर्थ- हर हालत में एक जैसा विरक्त।

आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास (Aaye The Haribhajan Ko Otan Lage Kapas)
अर्थ- उच्च लक्ष्य लेकर चलना, पर कोई घटिया काम करने लगना।

आस-पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे (Aas-Paas Barse Delhi Padi Tarse)
अर्थ- जिसकी आवश्यकता है उसे ना मिले।

आसमान का थूका मुंह पर आता है (Aasman Ka Thuka Muh Par Aata Hai)
अर्थ- महापुरुषों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।

आठ कनौजिया नौ चूल्हे (Aath Kanaujiya Nau Chulhe)
अर्थ- अलगाव की स्थिति।

आप काज महाकाज (Aap Kaaj Maha Kaaj)
अर्थ- अपना काम आप ही करना अच्छा होता है।

आप ना जावे सासुरे औरों को सिख देय (Aap Na Jave Sasura Auron Ko Sukh De)
अर्थ- आप तो ऐसा करते नहीं, दूसरों को सीख देते हैं।

आ पड़ोसिन लड़ें (Aa Padosin Ladain)
अर्थ- बेमतलब झगड़ा करना।

आप भला तो जग भला (aap bhala to jag bhala)
अर्थ- भले आदमी को सब भले ही मिलते हैं।

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे (Aadmi Jane Base Sona Jaane Kase)
अर्थ- आदमी व्यवहार से और सोना कसौटी पर कसने से पहचाना जाता है।

आदमी पानी का बुलबुला है (Aadmi Pani Ka Bulbula Hai)
अर्थ- मनुष्य जीवन नाशवान है।

आप मरे जग परलय (Aap Mare Jag Pralay)
अर्थ- मौत के बाद की चिंता नहीं करनी चाहिए

आप मरे बिन स्वर्ग ना जावे (Aap Mare Bina Swarg Na Jave)
अर्थ- बिना अपने किए, काम ठीक नहीं होता।

आब आब कर मर गया सिरहाने रखा पानी (Aab-Aab Kar Mar Gaya Sirhane Rakha Pani)
अर्थ- वस्तु के सुलभ होने पर भी भाषा आड़े आती है।

आ बला गले लग (Aa Bala Gale Lag)
अर्थ- खाहमखाह मुसीबत मोल लेना।

आप मियां जी मंगते द्वार खड़े दरवेश (Aap Miyan Ji Mangte Dwar Khade Darvesh)
अर्थ- अपने पास कुछ है नहीं, दूसरों की सहायता क्या करेंगे।

आठ बार नौ त्यौहार (Aath Baar Nau Tyohaar)
अर्थ- मौज मस्ती का जीवन।

आदमी को ढाई गज कफन काफी है (Aadmi Ko Dhai Gaj Kafan Kafi Hai)
अर्थ- आदमी बेकार सुख-साधन जुटाने में लगा रहता है।

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे ना सारी पावे (Aadhi Chhod Saari Ko Dhawe, Aadhi Rahe Na Saari Paawe)
अर्थ- अधिक लालच करने से हानि होती है।

आज का बनिया कल का सेठ (Aaj Ka Baniya Kal Ka Seth)
अर्थ- काम करते रहने से आदमी बड़ा हो ही जाता है।

आज मेरी मंगनी कल मेरा ब्याह, टूट गई टंगड़ी रह गया ब्याह (Aaj Meri Mangni Kal Mera Byah, Toot Gayi Tangdi Rah Gaya Byah)
अर्थ- आशाएं कभी विफल हो जाती हैं।

आटे का चिराग, घर रखूं तो चूहा खाए, बाहर रखूं तो कौआ ले जाए (Aate Ka Chirag, Ghar Rakhe To Chuhe Khaye, Bahar Rakhe To Kauwa Le Jaye)
अर्थ- ऐसी वस्तु जिसे बचाने में कठिनाई हो।

आदमी की दवा आदमी है (Aadmi Ki Dawa Aadmi Hai)
अर्थ- मनुष्य ही मनुष्य की सहायता कर सकता है।

आपा तजे तो हरि को भजे (Aapa Taje To Hari Ko Bhaje)
अर्थ- स्वार्थ को छोड़ने से ही परमार्थ सिद्ध होता है।

(इ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

इक नागिन अरु पंख लगाई (Ek Nagin Aru Pankh Lagayi)
अर्थ- कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य बुरी संगत में पड़ कर और बिगड़ जाते हैं।

इतना खाए जितना पचे (Itna Khaye Jitna Pache)
अर्थ- सीमा के अंदर कार्य करना चाहिए।

इधर कुआं उधर खाई (idhar kuan udhar khai)
अर्थ- हर हालत में मुसीबत।

इस घर का बाबा आदम ही निराला है (Is Ghar Ka Baba Aadmi Hi Nirala Hai)
अर्थ- यहां सब कुछ विचित्र है।

इधर ना उधर, यह बला किधर (Idhar Na Udhar, Yeh Bala Kidhar)
अर्थ- अचानक विपत्ति आ पड़ना।

इन तिलों में तेल नहीं (In Tilo Mein Tel Nahi)
अर्थ- यहां से कुछ भी मिलने को नहीं।

इतनी सी जान, गज भर की जबान (Itni Si Jaan, Gaj Bhar Ki Juban)
अर्थ- अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना।

इस हाथ ले उस हाथ दे (Is Haath Le Us Haath De)
अर्थ- कर्मफल तुरंत मिलता है।

इसके पेट में दाढ़ी है (Iske Pet Mein Dhaadi Hai)
अर्थ- उम्र कम और बुद्धि अधिक।

(ई से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया (Ishwar ki Maya Kahin Dhoop Kahin Chhaya)
अर्थ- भाग्य की विचित्रता होना।

ईद के पीछे टर्र (Eid Ke Peeche Tarr)
अर्थ- समय बीत जाने पर काम करना।

ईंट की लेनी, पत्थर की देनी (Eent Ki Leni, Patthar Ki Deni)
अर्थ- दुष्टता के बदले और अधिक दुष्टता।

ईंट की देवी, मांगे का प्रसाद (Eent Ki Devi, Mange Ka Prasad)
अर्थ- जैसा व्यक्ति वैसी आवभगत।

(उ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे (Ulta Chor Kotwal Ko Dante)
अर्थ- दोषी व्यक्ति जब निर्दोष को ही डांटने लगे।

उल्टे बांस बरेली को (Ulte Baans Bareilly Ko)
अर्थ- विपरीत कार्य करना।

उसी की जूती उसी का सिर (Usi Ki Jooti Usi Ka Sir)
अर्थ- जिसकी करनी, उसी को फल मिलता है।

उंगली पकड़ते पहुंचा पकड़ना (Ungli Pakadte Pahuncha Pakadna)
अर्थ- थोड़ा सा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने की हिम्मत बढ़ना।

उत्तर जाए कि दक्खिन, वही कर्म के लक्खन (Uttar Jaaye Ki Dakshin, Vah Karm Ke Lakshan)
अर्थ- भाग्य दुर्भाग्य हर जगह साथ देता है।

उपजहि एक संग जल माहीं, जलज जोंक जिमि गुण विलगाहीं (Upjahi Ek Sang Jal Maahin, Jalaj Jonk Jimi Gun Vilagaahin)
अर्थ- एक पिता के बेटे भी एक जैसे नहीं होते।

उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी (Ugale To Andha, Khaye To Kodhi)
अर्थ- दुविधा में पड़ना।

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई (Utar Gai Loi To Kya Karega Koi)
अर्थ- इज्जत ना रहने पर आदमी निर्लज्ज हो जाता है।

उल्टी गंगा पहाड़ को चली (Ulti Ganga Pahad Ko Chali)
अर्थ- असंभव या विपरीत बात होना।

(ऊ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

ऊंची दुकान फीका पकवान (Unchi Dukan Fika Pakwan)
अर्थ- प्रसिद्धि के अनुरूप ना होना।

ऊंट के गले में बिल्ली (Oont Ke Gale Mein Billi)
अर्थ- विपरीत वस्तुओं का मेल।

ऊंट किस करवट बैठता है (Unt Kis Karvat Baithata Hai)
अर्थ- निर्णय किसके पक्ष में होता है।

ना ऊधो का लेना ना माधो का देना (Na Udho Ka Lena Na Madho Ka Dena)
अर्थ- अपने काम से काम रखना।

ऊंट की चोरी झुके-झुके (Oont Kis Karvat Baithta Hai)
अर्थ- कोई बड़ा काम चोरी-छिपे नहीं किया जा सकता ।

(ए/ऐ/ओ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

एक ही बाप के दो बेटे हैं (Ek Hi Baap Ke Do Bete Hain)
अर्थ- एक अमीर दूसरा गरीब या एक योग्य दूसरा अयोग्य।

एक अनार सौ बीमार (Ek anaar sau bimar)
अर्थ- वस्तुएं कम तथा खरीदने वाले अधिक।

एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा (Ek To Karela Duja Neem Chadha)
अर्थ- पहले से ही दोष होने पर दूसरा दोष भी आ मिलना।

एक पंथ दो काज (Ek Panth Do Kaaj)
अर्थ- एक ही काम से दो लाभ।

एक ही थाली के चट्टे-बट्टे (Ek Hi Thali Ke Chatte Batte)
अर्थ- एक ही स्वभाव के लोग।

एक और एक ग्यारह होते हैं (Ek Aur Ek Gyarah Hote Hain)
अर्थ- एकता में बल है।

एक अंडा वह भी गंदा (Ek Anda, Vah Bhi Ganda)
अर्थ- चीज भी थोड़ी है, वो भी बेकार।

एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है (Ek Machli Sare Talab Ko Ganda Kar deti Hai)
अर्थ- एक बुरा आदमी सारी बिरादरी की बदनामी कराता है।

एक आंख से रोवे, एक आंख से हंसे (Ek Aankh Se Rove, Ek Aankh Se Hanse)
अर्थ- दिखावटी रोना।

एक आवे के बर्तन (Ek Aave Ke Bartan)
अर्थ- सब एक-जैसे।

एक के दूना से सौ के सवाये भले (Ek Ke Doona Se Sau Ke Sawaye Bhale)
अर्थ- अधिक लाभ पर कम माल बेचने की अपेक्षा कम लाभ पर अधिक माल बेचना अच्छा।

एक टकसाल के ढले हैं (Ek Taksaal Ke Dhale Hain)
अर्थ- सब एक-जैसे हैं।

एक तवे की रोटी, क्या छोटी क्या मोटी (Ek Tave Ki Roti, Kya Chhoti Kya Moti)
अर्थ- कोई भेदभाव नहीं।

एक तो चोरी ऊपर से सीना-जोरी (Ek To Chori Upar Se Seena Jori)
अर्थ- अपराध करके उलटे रोब जताना।

ओस चाटे प्यास नहीं बुझती (Oos Chate, Pyaas Nahi Bhujhti)
अर्थ- बहुत थोड़ी वस्तु से जरूरत पूरी नहीं होती।

एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं (Ek Mayan Mein Do Talwar Nahi Reh Sakti)
अर्थ- समान अधिकार वाले दो व्यक्ति एक क्षेत्र में नहीं रह सकते ।

ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर (Okhli Mein Sir Diya To Musal Ka Kya Dar)
अर्थ- कठिन कार्य हाथ में लेने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।

एक ही लकड़ी से सब को हांकना (Ek Hi Lakdi Se Sabko Hakna)
अर्थ- छोटे-बड़े का ध्यान ना रखकर सब के साथ एक जैसा व्यवहार करना। प्रयोग- अन्यायी शासक सभी को एक लकड़ी से हांकता है।

एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय (Ekai Sadhe Sab Sadhe, Sab Sadhe Sab Jaaye)
अर्थ- एक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।

एक हाथ से ताली नहीं बजती (Ek Haath Se Taali Nahi Bajti)
अर्थ- झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार होते हैं।

ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय (Aise Boode Bail Ko Kaun Baandh Bhus Dey)
अर्थ- बूढ़ा और बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता है।

एक मुंह दो बात (Ek Muh Do Baat)
अर्थ- अपनी बात से पलट जाना।

(अं से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

अंधा क्या चाहे दो आंखें (Andha Kya Chahe Do Aankhen)
अर्थ- मनचाही वस्तु मिल जाए तो फिर क्या चाहिए।

अंधों में काना राजा (Andhon Mein Kana Raja)
अर्थ- मूर्खों में कम समझदार का भी खूब आदर होता है।

अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को दे (Andha Bante Rewari Fir Fir Apne Ko De)
अर्थ- न्याय का ध्यान ना रखकर अपने ही लोगों को लाभ पहुंचाना।

अंधी पीसे कुत्ता खाए (Andhi Peese Kutta Khaye)
अर्थ- मूर्ख व्यक्ति के परिश्रम का लाभ दूसरा व्यक्ति उठाता है।

अंग-अंग ढीला होना (Ang Ang Dhila Hona
अर्थ- बहुत थक जाना।

अंत भला तो सब भला (Ant Bhala to sab Bhala)
अर्थ- अच्छा हो जाए तो सब कुछ अच्छा माना जाता है।

अंधा क्या जाने बसंत बहार (Andha Kya Jaane Basant Bahar)
अर्थ- जिसने जो वस्तु नहीं देखी, वह उसका आनंद नहीं ले सकता।

अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी (Andha Sipahi Kani Ghodi, Vidhi ne khub milayi jodi)
अर्थ- दोनों साथियों में एक से अवगुण हैं।

अंधा बगुला कीचड़ खाए (Andha Bagula Kichad Khae)
अर्थ- अभागा सुख से वंचित रह जाता है।

अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत (Andhe Andha Theliya Dono Koop Padant)
अर्थ- दो मूर्ख परस्पर सहायता करें तो भी किसी को लाभ नहीं होता ।

अंधे की लाठी (Andhe Ki Lathi)
अर्थ- बेसहारे का सहारा।

अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना (Andhe Ke Aage Rona, Apna Dida Khona)
अर्थ- जिसको आप से सहानुभूति नहीं, उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है।

अंधे के हाथ बटेर लगना (Andhe Ke Haath Bater Lagna)
अर्थ- अनायास कोई वस्तु मिल जाना।

अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है (Andhe Ko Andha Kehne Se Bura Lagta Hai)
अर्थ- कटु वचन सत्य होने पर भी बुरा लगता है।

(क से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

कहां राजा भोज कहां गंगू तेली (Kahan Raja Bhoj Kahaan Gangu Teli)
अर्थ- छोटे आदमी की बड़े आदमी से क्या तुलना।

का वर्षा जब कृषि सुखाने (Ka Varsha Jab Krishi Sukhane)
अर्थ- अवसर बीत जाने पर सहायता करना व्यर्थ होता है।

काला अक्षर भैंस बराबर (Kala Akshar Bhains Barabar)
अर्थ- बिल्कुल अनपढ़।

कोयले की दलाली में मुंह काला (Koyle Ki Dalali Mein Muh Kala)
अर्थ- बुरे के साथ रहने पर बुराई ही मिलती है।

कंगाली में आटा गीला (Kangali Mein Aata Gila)
अर्थ- एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ पड़ना।

करे कोई भरे कोई (Kare Koi Bhare Koi)
अर्थ- किसी की करनी का फल दूसरे के द्वारा भोगना।

कौआ चला हंस की चाल, अपनी भी भूल गया (Kaua Chala Hans Ki Chaal, Apni Bhi Bhool Gaya)
अर्थ- दूसरों की नकल करने से अपनापन खो जाता है।

कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा (Kahin Ki Eent Kahin Ka Roda, Bhanumati Ne Kunba Joda)
अर्थ- बेमेल चीजें जोड़अर्थ-जाड़कर कुछ बना लेना।

काबुल में क्या गधे नहीं होते (Kabul Mein Kya Gadhe Nahi Hote)
अर्थ- कुछ ना कुछ बुराई सब जगह होती है।

काम का ना काज का, दुश्मन अनाज का (Kaam Ka Na Kaaj Ka, Dushman Anaaj Ka)
अर्थ- निठल्ला आदमी, खाने में तेज।

ककड़ी के चोर को फांसी नहीं दी जाती (Kakdi Ke Chor Ko Fasi Nahi Di Jaati)
अर्थ- छोटे से अपराध के लिए इतना कड़ा दंड उचित नहीं।

कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर (Kabhi Naav Gaadi Par, Kabhi Gaadi Naav Par)
अर्थ- हालात बदलते रहते हैं।

कुबड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता (Kubda Apne Bero ko Khatta Nahi Batata)
अर्थ- कोई अपने माल को खराब नहीं कहता।

कुएं की मिट्टी कुएं में ही लगती है (Kue Ki Mitti Kuye Mein Hi Lagta Hai)
अर्थ- फायदा जहां से होता है, वहीं खर्च होता है।

कचहरी का दरवाजा खुला है (Kachahari Ka Darwaja Khula Hai)
अर्थ- न्याय चाहते हो तो न्यायालय में जाओ ।

कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा (Kadhai Se Gira Chulhe Me Pada)
अर्थ- छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ना।

कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है (Kalal Ki Dukaan Par Pani Piyo To Bhi Sharab Ka Shak Hota Hai)
अर्थ- बुरी संगति में कलंक लगता है।

कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है (Kahin Gadha Bhi Ghoda Ban Sakta Hai)
अर्थ- बुरा या छोटा आदमी कभी बड़ा नहीं बन सकता।

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान (Karat-Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan)
अर्थ- प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता मिलेगी।

करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया (Karam Ke Baliya, Pakai Kheer Ho Gaya Dalia)
अर्थ- बना बनाया काम बिगड़ना।

करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े (Karamheen Kheti Kare, Bail Mare Ya Sukha Pade)
अर्थ- दुर्भाग्य हो तो कोई ना कोई काम खराब होता रहता है।

कर ले सो काम, भज ले सो राम (Kar Le So Kam, Bhaj Le So Ram)
अर्थ- कर्म करने और पूजापाठ में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।

कर सेवा खा मेवा (Kar Seva Kha Meva)
अर्थ- सेवा करने पर अच्छा फल मिलता है।

कोई भरे या रोवे, कोई मल्हार गावे (Koi Bhare Ya Rove, Koi Malhar Gaave)
अर्थ- सबको अपने ही सुखअर्थ-दुख से मतलब रहता है।

कोई माल मस्त, कोई हाल मस्त (Koi Maal Mast, Koi Haal Mast)
अर्थ- कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।

कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता (Kamli Odhne Se Fakir Nahi Hota)
अर्थ- ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।

कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे (Kutiya Choron Se Mil Jaaye To Pahara Kaun De)
अर्थ- जब पहरेदार ही बेईमान हो जाए तो क्या चारा?

कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है (Kumhar Apna Hi Ghada Sarahta Hai)
अर्थ- हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।

कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय (Kai Hansa Moti Chuge Kai Bhukha Mar Jaaye)
अर्थ- प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है।

कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी (Kabir Das Ki Ulti Bani, Barse Kambal Bhi Gila Paani)
अर्थ- उलटी बात करना ।

करे दाढ़ी वाला, पकड़ा जाए मूंछों वाला (Kare Dadhi Wala, Pakda Jaaye Munchon Wala)
अर्थ- बड़ों के अपराध के लिए छोटे को दोषी ठहराया जाए।

कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती (Kaman Se Nikla Teer Aur Muh Se Nikli Baat Wapas Nahi Aati)
अर्थ- बात सोच-समझकर करनी चाहिए।

कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे (Kothi Wala Rove, Chappar Wala Sove)
अर्थ- धनवान चिंतित रहता है, गरीब निश्चिंत है।

कोयल होय ना उजली सौ मन साबुन लाइ (Koyla Hoy Na Ujali Sau Man Sabun Lai)
अर्थ- स्वभाव नहीं बदलता।

कब्र में पांव लटकाए बैठा है (Kabra Mein Paanv Latkaye Baitha Hai)
अर्थ- मरने वाला है।

कभी के दिन बड़े कभी की रात (Kabhi Ke Din Bade, Kabhi Ki Raat)
अर्थ- सब दिन एक-समान नहीं होते।

कौड़ी नहीं गांठ, चले बाग की सैर (Kaudi Nahi Ganth, Chale Baag Ki Sair)
अर्थ- साधन नहीं तो काम क्यों करने लगे।

कल किसने देखा है (Kal Kisne Dekha Hai)
अर्थ- भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता।

कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता (Kehne Se Dhobi Gadhe Par Nahi Chadhta)
अर्थ- मनमानी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।

कहां राम-राम, कहां टांय-टांय (Kahaan Ram-Ram, Kahaan Taayen Taayen)
अर्थ- उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न कोटि की वस्तु की तुलना नहीं हो सकती।

कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा पीवे (Koi Mare Toh Koi Jive, Suthra Ghol Batasha Peeve)
अर्थ- सुख दुख से परे मस्त रहनेवाला।

क्या पांव में मेंहदी लगी है (Kya Paon Mein Mehndi Lagi Hai)
अर्थ- चलते क्यों नहीं।

क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा (Kya Piddi Aur Kya Piddi Ka Shorba)
अर्थ- तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता।

कहे खेत की, सुने खलिहान की (Kahe Khet Ki, Sune Khalihan Ki)
अर्थ- कहा कुछ और समझा कुछ।

कागज की नाव नहीं चलती (Kaagaz Ki Naav Nahi Chalti)
अर्थ- बेईमानी या धोखेबाजी बहुत दिन नहीं चल सकती।

काजल की कोठरी में कैसो हू, सयानो जाय एक लीक काजल की लागिहै सो लागिहै (Kaajal Ki Kothri Mein Kaiso Hu, Sayano Jaye Ek Leek Kaajal Ki Laagi Hai So Laagi)
अर्थ- बुरी संगति में कभी ना कभी कलंक जरूर लगेगा।

काजी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से (Kaaji Ji Duble Kyun Shahar Ke Andeshe Se)
अर्थ- अपनी चिंता ना करके दूसरों की चिंता में घुलना।

काठ की हांड़ी एक ही बार चढ़ती है (Kath Ki Handi Ek Hi Baar Chadti Hai)
अर्थ- धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती।

कान में तेल डाले बैठे हैं (Kaan Mein Tel Dale Baithe Hain)
अर्थ- कुछ सुनते ही नहीं, दुनिया की खबर ही नहीं।

काम को काम सिखाता है (Kaam Ko Kaam Sikhaata Hai)
अर्थ- काम करते-करते आदमी होशियार हो जाता है।

काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे ना जवान (Kaal Ke Haath Kamaan, Boodha Bache Na Jawan)
अर्थ- मृत्यु सब को हर लेती है।

किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान (Kiya Chahe Chakri Rakha Chahe Maan)
अर्थ- स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।

किसी का घर जले कोई तापे (Kisi Ka Ghar Jale Koi Taape)
अर्थ- किसी के दुःख पर खुश होना।

किस खेत की मूली है (Kis Khet Ki Mooli Hai)
अर्थ- अरे, वह तो नगण्य है।

कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है (Kutta Bhi Dum Hilakar Baithta Hai)
अर्थ- साफ-सफाई सभी को पसंद होनी चाहिए।

कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी (Kutte Ki Dum Barah Baras Nali Mein Rakho Toh Bhi Tedhi Ki Tedhi)
अर्थ- लाख कोशिश करो कुटिल व्यक्ति कुटिलता नहीं छोड़ता।

कुत्ते को घी नहीं पचता (Kutte Ko Ghee Nahi Pachta)
अर्थ- नीच आदमी उच्च पद पाकर इतराने लगता है।

कुत्ते के भौंकने से हाथी नहीं डरते (Kutte Ki Bhokne Se Hathi Nahi Darte)
अर्थ- महापुरुष नीचों की निंदा से नहीं घबराते।

(ख से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है (Kharbuje Ko Dekh Kar Kharbuja Rang Badalta Hai)
अर्थ- एक को देखकर दूसरा वैसा ही बन जाता है।

खोदा पहाड़ निकली चुहिया (Khoda Pahad Nikli Chuhiya)
अर्थ- मेहनत अधिक, लाभ कम।

खुदा की लाठी में आवाज नहीं (Khuda Ki Lathi Mein Awaaz Nahi)
अर्थ- कोई नहीं जानता कि भगवान कब, कैसे, क्यों दंड देता है।

खुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है (Khuda Deta Hai To Chappar Phaad Kar Deta Hai)
अर्थ- ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।

खेल खिलाड़ी का, पैसा मदारी का (Khel Khiladi Ka, Paisa Madari Ka)
अर्थ- मेहनत किसी की, फायदा दूसरे का।

खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा (Khet Khae Gadha, Maar Khae Julaha)
अर्थ- दोष किसी का और सजा किसी को।

ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरता (Khayali Pulao Se Pet Nahi Bharta)
अर्थ- केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।

खग जाने खग ही की भाषा (Khag Jane Khag Hi Ki Bhasha)
अर्थ- अपने वर्ग के लोग ही एक-दूसरे को समझ सकते हैं।

खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय (Khal Odhaaye Singh Ki, Syaar Singh Nahi Hoy)
अर्थ- ऊपरी रूप बदलने से गुण-अवगुण नहीं बदलते।

खूंटे के बल बछड़ा कूदे (Khunte Ke Bal Bachda Kude)
अर्थ- किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।

खाक डाले चांद नहीं छिपता (Khaak Dale Chand Nahi Chupta)
अर्थ- अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।

खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे (Khali Baniya Kya Kare, Is Kothi Ka Dhan Us Kothi Mein Dhare)
अर्थ- बेकार आदमी उलटे सोधे कार्य करता रहता है।

खुदा गंजे को नाखून ना दे (Khuda Ganje Ko Nakhun Na De)
अर्थ- ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपना ही नुकसान करवाता है।

खाई खोदे और को ताको कूप तैयार (Khai Khode Aur Ko Tako Koop Taiyar)
अर्थ- जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।

खुशामद से ही आमद है (Khushamad Se Hi Aamad Hai)
अर्थ- खुशामद से ही धन आता है।

खेती, खसम लेती (Kheti, Khasam Leti)
अर्थ- कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।

(ग से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

गंगा गए गंगादास जमुना गए जमुनादास (Ganga Gaye gangadas Jamuna Gaye Jamuna Das)
अर्थ- अवसरवादी।

गेहूं के साथ घुन भी पिसता है (Gehu Ke Sath Ghun Bhi Pista Hai)
अर्थ- दोषी के साथ निर्दोष भी मारा जाता है।

गुड़ खाय गुलगुलों से परहेज (Gud Khaye Gulgulon Se Parhez)
अर्थ- झूठ और ढोंग रचना।

गुड़ गुड़ ही रहे चेले शक्कर हो गए (Gud Gud Hi Rahe Chele Shakkar Ho Gaye)
अर्थ- छोटों का बड़ों से आगे निकलना।

गोद में लड़का शहर में ढिंढोरा (God Mein Ladka Shehar Mein Dhindora)
अर्थ- वस्तु पास में और खोज दूर तक।

गवाह चुस्त मुद्दई सुस्त (Gawah Chust Muddai Sust)
अर्थ- जिसका काम, वो आलस करे दूसरे फुर्ती दिखाएं।

गूदड़ में लाल नहीं छिपता (Gudad Mein Laal Nahi Chhupta)
अर्थ- उत्तम चीज अपने आप पहचानी जाती है।

गंजेड़ी चार किसके दम लगाया खिसके (Ganjedi Char Kiske Dam Lagaya Khiske)
अर्थ- स्वार्थी व्यक्ति स्वार्थ सिद्ध होते ही मुंह फेर लेता है।

गई मांगने पूत खो आई भरतार (Gai Mangne Poot Kho Aayi Bhartar)
अर्थ- थोड़े लाभ के चक्कर में भारी नुकसान।

गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान (Garibi Tere Teen Naam- Jhutha, Paaji, Beiman)
अर्थ- गरीब का हर जगह अपमान होता है।

गरीबों ने रोजे रखे तो दिन ही बड़े हो गए (Garibo Ne Roze Rakhe To Din Hi Bade Ho Gaye)
अर्थ- गरीब की किस्मत ही बुरी।

गाडर पाली ऊन को लागी चरन कपास (Gadar Pali Oon Ko Lagi Charan Kapas)
अर्थ- काम के लिए रखा, लेकिन नुकसान करता है।

गीदड़ की शामत आए तो गांव की ओर भागे (Gidad Ki Shamat Aaye To Gaon Ki Or Bhage)
अर्थ- मुसीबत में दिमाग काम ना करना।

गुड़ ना दें, पर गुड़ की सी बात तो करें (Gud Na De, Par Gud Ki Si Baat To Karen)
अर्थ- कुछ ना दें पर मीठा बोल तो बोलें।

गंवार गन्ना ना दे भेली दे (Ganwar Ganna Na De Bheli De)
अर्थ- मूर्ख सिधाई से मामूली चीज नहीं देता, धमकाने से कीमती चीज दे देगा।

गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता (Gadha Dhonese Bachda Nahi Ho Jata)
अर्थ- किसी उपाय से भी स्वभाव नहीं बदलता।

गोद में बैठकर आंख में उंगली (God Mein Baithkar Aankh Mein Ungli)
अर्थ- भला करने पर दुष्टता करना।

गिरहकट का भाई गठकट (Girahkat Ka Bhai Gath kat)
अर्थ- सब बदमाश एक-जैसे होते हैं।

गुड़ दिए मरे तो जहर क्यों दें (Gudh Diye Mare To Zahar Kyun De)
अर्थ- काम प्यार से निकल सके तो सख्ती ना करें।

गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे (Godi Mein Baithkar Dadhi Noche)
अर्थ- भला करनेवाले के साथ दुष्टता करना।

गर्व का सिर नीचा (Garv Ka Sir Neecha)
अर्थ- घमंडी आदमी का घमंड चूर हो ही जाता है।

गरीब की जोरू सबकी भाभी (Gareeb Ki Joru Sabki Bhabhi)
अर्थ- गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।

(घ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

घर का भेदी लंका ढाए (Ghar Ka Bhedi Lanka Dhaye)
अर्थ- आपस की फूट से सर्वनाश होता है।

घर की मुर्गी दाल बराबर (Ghar Ki Murgi Dal Barabar)
अर्थ- घर की वस्तु की कद्र नहीं होती।

घाट-घाट का पानी पीना (Ghat Ghat Ka Pani Peena)
अर्थ- बहुत अनुभवी होना।

घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने (Ghar Mein Nahi Daane, Amma Chali Bhunane)
अर्थ- ना होने पर भी ढोंग करना।

घोड़े को लात, आदमी को बात (Ghode Ko Laat, Aadmi Ko Baat)
अर्थ- दुष्ट से कठोरता और सज्जन से नम्रता का व्यवहार करें।

घर का जोगी जोगड़ा आन गांव का सिद्ध (Ghar Ka Jogi Jogda, Aan Gaon Ka Siddh)
अर्थ- अपने लोगों में आदर नहीं होना।

घर की खांड़ किरकिरी लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा (Ghar Ki Khand Kirkiri Lage, Padosi Ka Gud Mitha)
अर्थ- अपनी चीज खराब लगती है, दूसरे की अच्छी।

घी संवारे काम बड़ी बहू का नाम (Ghi Sanware Kaam Badi Bahu Ka Naam)
अर्थ- काम तो साधन से हुआ, यश करने वाले का हो गया।

घड़ी में तोला घड़ी में माशा (Ghadi Mein Tola, Ghadi Mein Masha)
अर्थ- चंचल व्यक्तित्व।

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते (Ghar Aaye Kutte Ko Bhi Nahi Nikalte)
अर्थ- घर में आनेवाले का सत्कार करना चाहिए।

घर पर घोड़ा, नखास मोल (Ghar Par Ghoda, Nakhas Mol)
अर्थ- चीज घर में पड़ी है और उसकी कोई कीमत नहीं।

घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्या (Ghoda Ghas Se Yaari Kare To Khaye Kya)
अर्थ- मेहनताना मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए।

घर खीर तो बाहर खीर (Ghar Kheer To Bahar Kheer)
अर्थ- अपने पास कुछ हो तो बाहर आदर होता है।

घड़ी में घर जले अढ़ाई घड़ी भद्रा (Ghadi Mein Ghar Jale, Adhai Ghadi Bhadra)
अर्थ- मुसीबत को होशियारी से दूर करें।

घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियां उड़ाएगा (Ghode Ki Dum Badhegi To Apni Hi Makhiya Udayega)
अर्थ- तरक्की करके आदमी अपना ही भला करत है।

घोड़ों का घर कितनी दूर (Ghodon Ka Ghar Kitni Door)
अर्थ- कर्मठ आदमी को अपना काम करने में समय नहीं लगता।

घायल की गति घायल जाने (Ghayal Ki Gati Ghayal Jaane)
अर्थ- जो कष्ट भोगता है वहीं दूसरों का कष्ट समझता है।

घी कहां गया? खिचड़ी में (Ghee Kahan Gaya? Khichdi Mein)
अर्थ- वस्तु का प्रयोग ठीक जगह हो गया।

(च से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

चोर की दाढ़ी में तिनका (Chor ki Dadhi Mein Tinka)
अर्थ- अपराधी अपने अपराध से स्वयं शंकित रहता है।

चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात (Chaar Din Ki Chandni Phir Andheri Raat)
अर्थ- सुख थोड़े ही दिन का होता है।

चित भी मेरी पट भी मेरी (Chit Bhi Meri, Pat Bhi Meri)
अर्थ- हर हालत में मेरा ही लाभ।

चुल्लू भर पानी में डूब मरो (Chullu Bhar Pani Mein Doob Maro)
अर्थ- तुम्हें शर्म होनी चाहिए।

चोर-चोर मौसेरे भाई (Chor-Chor Mausere Bhai)
अर्थ- एक जैसे बदमाशों का मेल हो जाता है।

चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं (Cheenti Ki Maut Aati Hai To Par Nikalte Hain)
अर्थ- घमंड करने से नाश होता है।

चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए (Chamdi Jaye Par Damdi Na Jaye)
अर्थ- बहुत कंजूसी।

चोरी और सीनाजोरी (Chori Aur Seena Jori)
अर्थ- एक तो अपराध और उस पर अकड़ दिखाना।

चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता (Chikne Ghar Par Paani Nahi Thaharta)
अर्थ- निर्लज्ज आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।

चौबे गए छब्बे बनने दुबे ही रह गए (Chaube Gaye Chhabe Banne, Dube Hi Rah Gaye)
अर्थ- अधिक पाने के लालच में अपना सब कुछ गंवाना।

चट मंगनी पट ब्याह (Chat Mangni, Pat Byah)
अर्थ- तत्काल कार्य होना।

चने के साथ कहीं घुन ना पिस जाए (Chane Ke Saath Kahin Ghun Na Piss Jaaye)
अर्थ- दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए।

चोर का भाई गठ कट (Chor Ka Bhai Gath Kat)
अर्थ- एक जैसे बदमाश।

चोर के पैर नहीं होते (Chor Ke Pair Nahi Hote)
अर्थ- दोषी व्यक्ति अपने-आप फंसता है।

चोरी का माल मोरी में (Chori Ka Maal Mori Mein)
अर्थ- पाप की कमाई बेकार जाती है।

चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको (Chamgadaron Ke Ghar Mehman Aaye, Hum Bhi Latke Tum Bhi Latko)
अर्थ- गरीब आदमी क्या आवभगत करेगा।

चलती का नाम गाड़ी है (Chalti Ka Naam Gaadi Hai)
अर्थ- जिसका काम चल पड़े, उसी का बोलबाला है।

चिराग में बत्ती और आंख में पट्टी (Chirag Mein Batti Aur Aankh Mein Patti)
अर्थ- शाम होते ही सोने लगना।

चील के घोंसले में मांस कहां (Cheel Ke Ghosle Mein Mans Kahan)
अर्थ- जहां कुछ भी बचने की संभावना नहीं।

चूहे के चाम से नगाड़े नहीं मढ़े जाते (Chuhe Ke Chaam Se Kahin Nagade Madhe Jate)
अर्थ- थोड़ी वस्तु से बड़ा काम नहीं हो सकता।

चांद को भी ग्रहण लगता है (Chand Ko Bhi Grahan Lagta Hai)
अर्थ- कभी भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है।

चुल्लू-चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बांधेगा (Chullu-Chullu Sadhega, Duaare Hathi Baandhega)
अर्थ- थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर हो जाओगे।

चूल्हे की ना चक्की की (Chulhe Ki Na Chakki Ki)
अर्थ- घर का कोई काम नहीं करती।

चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है (Chuha Ka Baccha Bil Hi Khodta Hai)
अर्थ- जन्मजात काम बदल नहीं सकता।

चूहों की मौत बिल्ली का खेल (Chuho Ki Maut Billi Ka Khel)
अर्थ- किसी को कष्ट देकर मौज करना।

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा-फेरी से भी गया (Chor Chori Se Gaya To Kya Hera-Pheri Se Bhi Gaya)
अर्थ- दुष्ट आदमी कोई ना कोई खराबी करेगा ही।

चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले (Chor Laathi Do Jane, Aur Hum Baap-Poot Aklele)
अर्थ- जबरदस्त आदमी से दो व्यक्ति हार जाते हैं।

चोर को कहें चोरी कर और साह से कहें जागते रहो (Chor Ko Kehne Chori Kar, Aur Saah Ko Kehne Jagte Raho)
अर्थ- दो पक्षों को लड़ाने वाला।

चिड़िया अपनी जान से गई, खाने वाले को स्वाद ना आया (Chidiya Apni Jaan Se Gai, Khane Wale Ko Swad Na Aaya)
अर्थ- इतना भारी काम किया फिर भी संतुष्टि नहीं।

चंदन की चुटकी भली, गाड़ी भरा ना काठ (Chandan Ki Chutki Bhali, Gadi Bhara Na Kaath)
अर्थ- उत्तम वस्तु थोड़ी भी अच्छी।

चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे (Chakki Mein Kaur Daaloge Toh Choon Paoge)
अर्थ- कुछ करोगे तो फल मिलेगा।

चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे (Chadh Ja Beta Suli Par, Bhagwan Bhala Karenge)
अर्थ- दूसरे के कहने पर मुश्किल में पड़ना।

चाकरी में ना करी क्या (Chakri Mein Na Kari To Kya)
अर्थ- नौकरी में स्वामी की आज्ञा माननी पड़ती है।

चिकना मुंह पेट खाली (Chikna Muh, Pet Khali)
अर्थ- देखने में अच्छा-भला अंदर से दुखी।

चिकने मुंह को सब चूमते हैं (Chikne Muh Ko Sab Chumte Hain)
अर्थ- ऊंचे आदमी के सब मित्र हैं।

चुपड़ी और दो-दो (Chupdi Aur Do-Do)
अर्थ- उत्तम वस्तु और वह भी इतनी ज्यादा।

चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली (Chotti Kutiya Jalebiyo Ki Rakhwali)
अर्थ- चोर पर रक्षा का विश्वास नहीं।

चुड़ैल पर दिल आ जाय तो वह भी परी है (Chudail Par Dil Aa Jaye To Woh Bhi Pari Hai)
अर्थ- जो चीज पसंद हो वह सब से अच्छी मान लें।

(छ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

छोटा मुंह और बड़ी बात (Chota Muh Badi Baat)
अर्थ- अपनी योग्यता से बढ़ कर बातें करना।

छोटा मुंह बड़ी बात (Chhota Munh Badi Baat)
अर्थ- अपनी योग्यता मे बढ़कर बात करना।

छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर, एक ही बात है (Churi Kharbuje Par Gire Ya Kharbuja Churi Par, Ek Hi Baat Hai)
अर्थ- दोनों तरह से हानि।

छछूंदर के सिर में चमेली का तेल (Chachundar Ke Sar Mein Chameli Ka Tel)
अर्थ- अयोग्य व्यक्ति को उत्तम चीज देना।

छटांक चून चौबारे रसोई (Chhatank Chun Chaubare Rasoi)
अर्थ- मिथ्या आडंबर।

छींके कोई, नाक कटावे कोई (Cheenke Koi, Naak Katawe Koi)
अर्थ- किसी के दोष की सजा दूसरा भोगे।

छाज बोले तो बोले, छलनी क्या बोले (Chaz Bole To Bole, Chalni Kya Bole)
अर्थ- अपने अवगुणों को ना देखकर दूसरों की आलोचना करने वाला।

(ज से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

जाको राखे साईयां मार सके ना कोय (Jako Rakhe Saiyan Maar Sake Na Koy)
अर्थ- भगवान जिसका रक्षक उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

जिसकी लाठी उसकी भैंस (Jiski Lathi Uski Bhains)
अर्थ- शक्ति शाली की ही जीत होती है।

जंगल में मोर नाचा किसने देखा (Jungle Mein Mor Nacha Kisne Dekha)
अर्थ- जब कोई गुणवान अपने गुणों का ऐसे स्थान पर प्रकट करे जहाँ उन्हें समझने वाला कोई नहीं है।

जो सुख छज्जू दे चौबारे, ना ओ बल्ख न बुखारे (Jo Sukh Chhajju De Chaubare, Na O Balkh Na Bukhaare)
अर्थ- इंसान चाहे आलीशान जगह रह ले, लेकिन उसे संतोष अपने घर पहुंच कर ही मिलता है।

जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि (Jahan Na Pahuche Ravi, Wahan Pahuche Kavi)
अर्थ- कवि की कल्पना सब जगह पहुंचती है।

जहां चाह वहां राह (Jahan Chah, Wahan Raah)
अर्थ- इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।

जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ (Jaise Nagnath, Vaise Sanpnath)
अर्थ- दोनों एक से।

जो गरजते हैं सो बरसते नहीं (Jo Garajte Hain, So Baraste Nahi)
अर्थ- बहुत डींग हांकने वाले काम के नहीं होते।

जिसका काम उसी को साजै (Jiska Kaam Usi Ko Saaje)
अर्थ- जो काम जिसका है वही उसे ठीक से कर सकता है।

जिस तन लगे वही तन जाने (Jis Tan Lage, Vahi Tan Jaane)
अर्थ- जिसको कष्ट होता है, वही उसका अनुभव कर सकता है।

जीती मक्खी नहीं निगली जाती (Jeeti Makhi Nahi Nigli Jaati)
अर्थ- जो गलत है उसे जानते हुए स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जैसा राजा वैसी प्रजा (Jaisa Raja, Vaisi Praja)
अर्थ- जैसा मालिक वैसे उसके कर्मचारी।

जिस थाली में खाना उसी में छेद करना (Jiska Thali Mein Khana, Usi Mein Chhed Karna)
अर्थ- जो उपकार करे उसी का नुकसान करना।

जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई (Jaake Pair Na Fati Biwai, So Kya Jane Peer Parai)
अर्थ- दूसरे के दुख को भुक्तभोगी ही समझता है।

जितनी चादर देखो उतने ही पैर पसारो (Jitni Chadar Dekho, Utne Hi Pair Pasaro)
अर्थ- अपनी आमदनी के हिसाब से खर्च करो।

जितने मुंह उतनी बातें (Jitne Muh, Utni Baatein)
अर्थ- कई तरह की अफवाहें।

जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ (Jin Khoja Tin Paiyan, Gehre Paani Paith)
अर्थ- जितना कठिन काम उतना फायदा।

जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोवेगा (Jagega So Pavega, Sovega So Khavega)
अर्थ- फायदा इसमें है कि आदमी सतर्क रहे।

जंगल में मोर नाचा किसने देखा (Jungle Mein Mor Nacha, Kisne Dekha)
अर्थ- ऐसे स्थान पर गुण प्रदर्शन ना करें जहां कद्र नहीं।

जहां गुड़ होगा वहीं मक्खियां होंगी (Jahaan Good Hoga, Wahi Makhiya Hongi)
अर्थ- जहां कोई आकर्षण होगा, वहां लोग जमा होंगे ही।

जल में रहकर मगर से बैर (Jal Mein Rehkar Magar Se Bair)
अर्थ- जहां रहना हो वहां के शक्तिशाली व्यक्ति से बैर ठीक नहीं होता।

जबान को लगाम चाहिए सोच (Zabaan Ko Lagaam Chahiye Soch)
अर्थ- समझकर बोलना चाहिए।

जब तक सांस तब तक आस (Jab Tak Saans, Tab Tak Aas)
अर्थ- आखिरी समय तक उम्मीद बनी रहती है।

जब चने थे तब दांत ना थे, जब दांत भये तब चने नहीं (Jab Chane The, Tab Dant Na The, Jab Dant Bhaye, Tab Chane Nahin)
अर्थ- कभी वस्तु है, तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करनेवाला है तो वस्तु नहीं।

जड़ काटत जाएं पानी देते जाएं (Jad Kattat Jaaye, Pani Dete Jaaye)
अर्थ- भीतर से शत्रु, ऊपर से मित्र ।

जबरा मारे रोने ना दे (Jabra Mare Rove Na De)
अर्थ- शक्तिशाली का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है।

जबान ही हाथी चढ़ाए, जबान ही सिर कटाए (Juban Hi Hathi Chadhaye, Juban Hi Sir Kataye)
अर्थ- मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।

जीभ भी जली और स्वाद भी ना आया (Jeebh Bhi Jali Aur Swad Bhi Na Aaya)
अर्थ- कष्ट सहकर भी सुख ना मिला।

जूं के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती (Joon Ke Dar Se Gudadi Nahi Fenki Jaati)
अर्थ- मामूली-सी मुश्किल के कारण कोई बड़ा काम छोड़ा नहीं जाता।

जूठा खाए मीठे के लालच (Jhootha Khaye Meethe Ke Lalach)
अर्थ- फायदे के लालच में नीच काम करना।

जो गुड़ खाए, सो कान छिदाए (Jo Gud Khaye, So Kaan Chhidaye)
अर्थ- फायदा पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।

जस दूल्हा तस बनी बराता (Jas Dulha, Tas Bani Barata)
अर्थ- जैसे आप वैसे साथी।

जहां फूल वहां कांटा (Jahan Phool, Wahan Kaanta)
अर्थ- अच्छाई के साथ बुराई लगी रहती है।

जो बोले सो घी को जाए (Jo Bole So Ghee Ko Jaye)
अर्थ- ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता।

जो हांड़ी में होगा वह थाली में आएगा (Jo Handi Mein Hoga, Vah Thali Mein Aayega)
अर्थ- जो मन में है वह प्रकट होगा।

जब तक जीना तब तक सीना (Jab Tak Jeena, Tab Tak Seena)
अर्थ- जिंदगीभर कोई काम-धंधा करना पड़ता है।

जिसके हाथ होई, उसका सब कोई (Jiske Hath Hoi, Uska Sab Koi)
अर्थ- अमीर के सभी दोस्त हैं।

जिसको पिया चाहे वही सुहागिन (Jisko Piya Chahe, Wahi Suhagin)
अर्थ- जिसको अफसर माने, वही योग्य।

ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय (Jyo-Tyo Bheje Kamri, Tyo-Tyo Bhari Hoy)
अर्थ- जैसे-जैसे वक्त बीतता है, जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं।

जहां मुर्गा नहीं होता, क्या वहां सबेरा नहीं होता (Jahan Murga Nahi Hota, Kya Wahan Sabera Nahin Hota)
अर्थ- किसी के बिना काम नहीं रुकता।

जादू वह जो सिर पर चढ़ कर बोले (Jadu Voh Jo Sir Par Chadh Kar Bole)
अर्थ- जोरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है।

जान मारे बनिया पहचान मारे चोर (Jaan Mare Baniya, Pehchan Mare Chor)
अर्थ- बनिया और चोर जान-पहचान वाले को ही ठगते हैं।

जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेस (Jaise Kanta Ghar Rahe, Waise Rahe Pardes)
अर्थ- निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अंतर नहीं।

जैसे मियां काठ का, वैसे सन की दाढ़ी (Jaise Miyan Kaath Ka, Waise San Ki Dadhi)
अर्थ- अनुपयुक्त के लिए अनुपयुक्त वस्तु ही उपयुक्त।

जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर (Jabardasti Ka Thenga Sir Par)
अर्थ- शक्तिशाली आदमी दबाव डालकर काम लेता है।

ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाइ क्रोध (Jyo Nakte Ko Arsi Hot Dikhai Krodh)
अर्थ- दोषी को अपना दोष बताया जाए तो गुस्सा होता है।

जाए लाख, रहे साख (Jaye Lakh, Rahe Sakh)
अर्थ- धन भले ही चला जाए, इज्जत बचानी चाहिए।

जितना गुड़ डालो, उतना ही मीठा (Jitna Gud Dalo, Utna Hi Meetha)
अर्थ- जितना खर्चा करोगे चीज उतनी ही अच्छी मिलेगी।

जिसका खाइए उसका गाइए (Jiska Khaye, Uska Gaaye)
अर्थ- जिससे लाभ हो, उसी का पक्ष लें।

जिसकी जूती उसी के सिर (Jiski Jooti, Usi Ke Sir)
अर्थ- जिसकी करनी उसी को फल।

जो तोको काँटा बुवै ताहि बोड तू फूल (Jo Toko Kanta Buve, Tahi Bod Tu Phool)
अर्थ- बुराई का बदला भी भलाई से दो।

जर का जोर पूरा है, और सब अधूरा है (Jar Ka Jor Pura Hai, Aur Sab Adhura Hai)
अर्थ- धन सबसे बलवान है।

जर है तो नर, नहीं तो खंडहर (Jar Hai To Nar, Nahin To Khandhar)
अर्थ- पैसे से ही आदमी का सम्मान है।

जहं जहं चरण पड़े संतन के तहं-तहं बंटाधार करे (Jah-Jah Charan Pade Santan Ke, Taha-Taha Bantadhar Kare)
अर्थ- अभागा व्यक्ति जहां जाता है, वहां बुरा होता है।

जहां चार बासन होंगे, वहां खटकेंगे भी (Jahan Chaar Basan Honge, Wahaan Khatkenge Bhi)
अर्थ- जहां कुछ व्यक्ति होते हैं, वहां कभी झगड़ा हो ही जाता है।

जहां देखे तवा परात, वहां गुजारे सारी रात (Jahan Dekhe Tawa Parat, Waha Gujare Sari Raat)
अर्थ- जहां कुछ हासिल होता है, वहां लालची जम जाता है।

जोगी का बेटा खेलेगा तो सांप से (Jogi Ka Beta Khelega To Saanp Se)
अर्थ- बाप का असर बेटे पर पड़ता ही है।

जने-जने की लकड़ी, एक जने का बोझ (Jane-Jane Ki Lakdi, Ek Jane Ka Bojh)
अर्थ- सब से थोड़ा-थोड़ा मिले तो काम पूरा हो जाता है।

जी का वैरी जी (Ji Ka Vairi Ji)
अर्थ- मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु।

जी जाए घी ना जाए (Ji Jaaye Ghi, Na Jaaye)
अर्थ- महाकृपण।

जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे (Jaisa Karoge, Vaisa Bharoge, Jaisa Booge, Waisa Katoge)
अर्थ- अपनी करनी का फल मिलता है।

जैसा मुंह वैसा थप्पड़ (Jaisa Muh, Waisa Thappad)
अर्थ- जो जिसके योग्य, उसे वही मिलता है।

जैसे तेरी कामरी, वैसे मेरे गीत (Jaise Teri Kamari, Vaise Mere Geet)
अर्थ- जैसा दोगे वैसा पाओगे।

(झ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

झूठ के पांव नहीं होते (Jhooth Ke Paav Nahi Hote)
अर्थ- झूठा आदमी एक बात पर पक्का नहीं रह पाता।

झोपड़ी में रहे, महलों के ख्वाब देखे (Jhopadi Mein Rahe, Mahalo Ke Khwab Dekhe)
अर्थ- अपनी सामर्थ्य से बढ़कर चाहना।

(ट से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

टके का सब खेल है (Take Ka Sab Khel Hai)
अर्थ- पैसा सब कुछ करता है।

(ठ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है (Thanda Loha Garam Lohe Ko Kaat Deta Hai)
अर्थ- शांत व्यक्ति क्रोधी को झुका देता है।

ठोकर लगे तब आंख खुले (Thokar Lage Tab Aankh Khule)
अर्थ- कुछ खोकर ही अक्ल आती है।

ठोक बजा ले चीज, ठोक बजा दे दाम (Thok Baja Le Cheez, Thok Baja De Daam)
अर्थ- अच्छी चीज का अच्छा दाम।

ठंडा करके खाओ (Thanda Karke Khao)
अर्थ- धैर्य से काम करो।

(ड से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

डूबते को तिनके का सहारा (Doobte Ko Tinke Ka Sahara)
अर्थ- मुसीबत में मामूली मदद भी उबार देती है।

डायन भी अपने बच्चे को नहीं खाती (Dayan Bhi Apne Bachche Ko Nahi Khati)
अर्थ- कोई अपनों को नुकसान नहीं पहुंचाता।

डायन को दामाद प्यारा (Dayan Ko Damad Pyara)
अर्थ- अपना सभी को प्यारा होता है।

डंडा सब का पीर (Danda Sab Ka Peer)
अर्थ- सख्ती करने से लोग काबू में आते हैं।

(ढ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

ढोल के भीतर पोल (Dhol Ke Bhitar Pol)
अर्थ- सिर्फ दिखावटी शान।

ढाक के वही तीन पात (Dhak Ke Wahi Teen Paat)
अर्थ- हमेशा एक सा।

(त से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

तबेले की बला बन्दर के सिर (Tabele Ki Bala Bandar Ke Sir)
अर्थ- दोष किसी का सजा किसी को।

तेते पांव पसारिए, जेती लांबी सौर (Tete Pav Pasariye Jeti Lambi Saur)
अर्थ- अपनी सीमा में निर्वाह करना।

तुम्हारे मुंह में घी-शक्कर (Tumhare Muh Mein Ghee-Shakkar)
अर्थ- तुम्हारी बात सच हो।

तीन में ना तेरह में (Teen Mein Na Terah Mein)
अर्थ- कुछ भी महत्व नहीं।

तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले (Teli Ka Tel Jale, Masalchi Ka Dil Jale)
अर्थ- दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।

तू डाल-डाल, मैं पात-पात (Tu Daal-Daal, Main Paat-Paat)
अर्थ- एक से बढ़कर दूसरा चालाक।

तेल तिलों से ही निकलता है (Tel Tilon Se Hi Nikalta Hai)
अर्थ- जो व्यक्ति कुछ देने लायक हो उसी से प्राप्ति होती है।

तेल देखो तेल की धार देखो (Tel Dekho Tel Ki Dhar Dekho)
अर्थ- सावधानी और धैर्य से काम लो।

तख्त या तख्ता (Takht Ya Takhta)
अर्थ- शान से रहना या भूखों मरना।

तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी (Teen Bulaye Terah Aaye, De Daal Mein Paani)
अर्थ- समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है।

तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे (Teri Karni Tere Aage, Meri Karni Mere Aage)
अर्थ- सभी को अपने-अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है।

तेल ना मिठाई, चूल्हे धरी कड़ाही (Tel Na Mithai, Chulhe Dhari Kadhai)
अर्थ- बिना सामान के काम नहीं होता।

तन को कपड़ा ना पेट को रोटी (Tan Ko Kapda Na Pet Ko Roti)
अर्थ- अत्यधिक दरिद्र।

तलवार का खेत हरा नहीं होता (Talwar Ka Khet Hara Nahi Hota)
अर्थ- अत्याचार का फल अच्छा नहीं होता।

तेली के बैल को घर ही पचास कोस (Teli Ke Bail Ko Ghar Hi Pachas Kos)
अर्थ- घर में बहुत अधिक काम हो जाता है।

तेली खसम किया, फिर भी रूखा खाया (Teli Khasam Kiya, Fir Bhi Rukha Khaya)
अर्थ- किसी सामर्थ्यवान् की शरण में रहकर भी दुःख उठाना।

तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा (Tiriya Bin To Nar Hai Aisa, Raah Batau Hove Jaisa)
अर्थ- बिना स्त्री के पुरुष का कोई ठिकाना नहीं।

तीन कनौजिया तेरह चूल्हे (Teen Kanojiya Terah Chulhe)
अर्थ- छुआछूत और अलगाव की दशा।

तुरंत दान महा कल्यान (Turant Daan Maha Kalyan)
अर्थ- तुरंत किया गया दान सबसे बड़ा कल्याणकारी कार्य होता है।

(थ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

थोथा चना बाजे घना (Thotha Chana Baje Ghana)
अर्थ- अयोग्य व्यक्ति ज्यादा डींग हांकता है।

थका ऊंट सराय ताकता (Thaka Unt Saray Takta)
अर्थ- थकने पर आराम चाहिए।

थूक से सत्तू नहीं सनते (Thook Se Sattu Nahi Sante)
अर्थ- कम सामग्री से काम पूरा नहीं होता।

(द से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

दिया तले अंधेरा (Diya Tale Andhera)
अर्थ- मुख्य स्थान पर ही चीज की कमी होना।

दूध का दूध पानी का पानी (Doodh Ka Doodh Pani Ka Pani)
अर्थ- उचित न्याय।

दूर के ढोल सुहावने (Door Ke Dhol Suhavne)
अर्थ- दूर से हर वस्तु अच्छी लगती है।

दीवार के भी कान होते हैं (Deewar Ke Bhi Kaan Hote Hain)
अर्थ- रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए।

दान की बछिया के दांत नहीं देखे जाते (Daan Ki Bachiya Ke Daant Nahi Dekhe Jaate)
अर्थ- मुफ्त में मिली चीज के गुण-अवगुण नहीं परखे जाते।

दोनों हाथों से ताली बजती है (Dono Haathon Se Taali Bajti Hai)
अर्थ- लड़ाई-झगड़े के दोनों पक्ष जिम्मेदार।

दूध पिलाकर सांप पोसना (Doodh Pilakar Saanp Posna)
अर्थ- दुश्मन का उपकार करना।

दोनों हाथों में लड्डू (Dono Haathon Mein Laddu)
अर्थ- हर तरह फायदा ही फायदा।

दाल में नमक, सच में झूठ (Daal Mein Namak, Sach Mein Jhooth)
अर्थ- थोड़ा झूठ तो चल सकता है।

दबी बिल्ली चूहों से कान कतराती है (Dabi Billi Chuhaon Se Kaan Katraati Hai)
अर्थ- दोषी व्यक्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता।

दर्जी की सुई, कभी धागे में कभी टाट में (Darji Ki Sui, Kabhi Dhage Mein Kabhi Taat Mein)
अर्थ- हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाए रखना।

दलाल का दिवाला क्या, मस्जिद में ताला क्या (Dalal Ka Diwala Kya, Masjid Mein Tala Kya)
अर्थ- जिसके पास कुछ नहीं, उसे नुकसान का डर कैसा।

दाम संवारे सबई काम (Daam Sambhare Sabai Kaam)
अर्थ- पैसा सब काम करता है।

दाल-भात में मूसलचंद (Dal-Bhat Mein Moosal Chand)
अर्थ- बीच में दखल देने वाला।

दिनन के फेर से सुमेरु होत माटी को (Dinan Ke Pher Se Sumeru Hoti Maati Ko)
अर्थ- जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी हो जाता है।

दो मुल्लों में मुर्गी हलाल (Do Mullon Mein Murgi Halaal)
अर्थ- दो को दिया गया काम बिगड़ जाता है।

दीपक की रवि के उदय बात ना पूछे कोय (Deepak Ki Ravi Ke Uday Baat Na Pooche Koi)
अर्थ- बड़ों की मौजूदगी में छोटों की उपेक्षा होती है।

दो लड़े तीसरा ले उड़े (Do Lade Teesra Le Ude)
अर्थ- दो की लड़ाई में तीसरे की बन आती है।

दबाने पर चींटी भी चोट करती है (Dabane Par Chinti Bhi Chot Karti Hai)
अर्थ- जिस किसी को दुख दिया जाए वह बदला लेता है।

दमड़ी की हांड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई (Damdi Ki Handi Gayi, Kutte Ki Jaat Pehchani Gayi)
अर्थ- थोड़ी सी हानि उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली गई।

देसी कुतिया विलायती बोली (Desi Kutiya Vilayati Boli)
अर्थ- किसी की नकल में अपनापन छोड़ना।

दादा कहने से बनिया गुड़ देता है (Dada Kehne Se Baniya Gud Deta Hai)
अर्थ- मधुर वाणी से काम बन जाता है।

दाने-दाने पर मुहर (Daane-Daane Par Muhar)
अर्थ- हर व्यक्ति का अपना भाग्य।

देह धरे के दंड हैं (Deh Dhare Ke Dand Hain)
अर्थ- शरीर है तो कष्ट भी रहेगा।

दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है (Dudharu Gay Ki Laat Sahni Padti Hai)
अर्थ- जिससे कुछ पाना होता है, उसकी धौंस डपट सहनी पड़ती है।

दुनिया का मुंह किसने रोका है (Duniya Ka Muh Kisne Roka Hai)
अर्थ- लोग निंदा-स्तुति करते रहते हैं, कोई रोक-टोक नहीं।

दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम (Duvidha Mein Dono Gaye Maya Mili Na Ram)
अर्थ- दुविधा में पड़ने से कुछ नहीं मिलता।

दूल्हा को पत्तल नहीं, बजनिये को थाल (Dulha Ko Pattal Nahi, Bajniye Ko Thaal)
अर्थ- जिसका जो हक, वह उसे नहीं मिलता ।

दाग लगाए लंगोटिया यार (Daag Lagaye Langotiya Yaar)
अर्थ- आदमी अपनों से ही धोखा खाना।

दाता दे भंडारी पेट फटे (Data De Bhandari Pet Fate)
अर्थ- कोई किसी की मदद करे और किसी को नागवार हो।

दिन भर चले अढ़ाई कोस (Din Bhar Chale Adhai Kos)
अर्थ- वक्त बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ।

दूसरे की पत्तल लंबा-लंबा भात (Doosre Ki Pattal Lamba-Lamba Bhaat)
अर्थ- दूसरे की वस्तु उत्तम लगती है।

दोनों दीन से गए पांडे, हलवा मिला न मांडे (Dono Deen Se Gaye Pande, Halwa Mila Na Maande)
अर्थ- दोतरफा रहने में नुकसान।

(ध से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

धोबी का कुत्ता न घर का ना घाट का (Dhobi Ka Kutta Ghar Ka Na Ghat Ka)
अर्थ- दो तरफ का आदमी कहीं का नहीं रहता।

धन का धन गया, मीत की मीत गई (Dhan Ka Dhan Gaya, Meet Ki Meet Gayi)
अर्थ- उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती।

धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हजार (Dhanwanti Ko Kanta Laga, Daude Log Hajar)
अर्थ- अमीर को जरा-सा कष्ट हो, तो भी काफी लोग आ जाते हैं।

धन्ना सेठ के नाती बने हैं (Dhanna Seth Ke Naati Bane Hain)
अर्थ- अपने को अमीर समझते हैं।

धर्म छोड़ धन कोई खाए (Dharm Chhod Dhan Koi Khaye)
अर्थ- धर्म के विरुद्ध कमाई सुख नहीं रखती।

धूप में बाल सफेद नहीं किए हैं (Dhoop Mein Baal Safed Nahi Kiye Hain)
अर्थ- दुनियादारी का अनुभव काफी है।

धोबी पर बस ना चला तो गधे के कान उमेठे (Dhobi Par Bas Na Chala To Gadhe Ke Kaan Umethe)
अर्थ- हार के बलवान का निर्बल पर गुस्सा निकालना।

धोबी के घर पड़े चोर, वह ना लुटे लुटे और (Dhobi Ke Ghar Pade Chor, Woh Na Lute Lute Aur)
अर्थ- दूसरे का नुकसान हो गया।

धोबी रोवे धुलाई को, मियां रोवे कपड़े को (Dhobi Rove Dhulai Ko, Miyan Rove Kapde Ko)
अर्थ- सब अपने-अपने नुकसान की बात करते हैं।

(न से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

नया नौ दिन पुराना सौ दिन (Naya Nau Din Purana Sau Din)
अर्थ- नए की अपेक्षा पुराना स्थिर होता है।

ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी (Na Rahega Baans Na Bajegi Bansuri)
अर्थ- झगड़े का कारण ही समाप्त कर देना।

नौ नकद न तेरह उधार (Nau Nakad Na Terah Udhar)
अर्थ- उधार के अधिक लाभ से नकद का थोड़ा लाभ अच्छा।

ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी (Na Nau Man Tel Hoga Na Radha Nachegi)
अर्थ- कभी ना पूरी होने वाली शर्त।

नमाज छुड़ाने गए थे, रोजे गले पड़े (Namaz Chhudaane Gaye The, Roze Gale Pade)
अर्थ- एक मुसीबत से छुटकारा पाने की कोशिश में बड़ी मुसीबत आना।

नंगा क्या नहाएगा क्या निचोड़ेगा (Nanga Kya Nahayega Kya Nichodega)
अर्थ- निर्धन के पास है ही क्या।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस (Nau Din Chale Adhai Kos)
अर्थ- बेहद धीमी गति से काम होना।

नेकी कर और कुएं में डाल (Neki Kar Aur Kuen Mein Daal)
अर्थ- भलाई का काम करके फल की उम्मीद मत करो।

नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली (Nau Sau Chuhe Khake Billi Haj Ko Chali)
अर्थ- जीवन भर बुरे कर्म करते रहे, अंत में भले बन बैठे।

नीम हकीम खतरा-ए-जान (Neem Hakeem Khatra-E-Jaan)
अर्थ- अनुभवहीन व्यक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है।

नेकी और पूछ-पूछ (Neki Aur Pooch-Pooch)
अर्थ- भलाई करने के लिए पूछना कैसा।

नाच ना जाने आंगन टेढ़ा (Naach Na Jaane Aangan Tedha)
अर्थ- बहाना करके अपना दोष टालना।

नाम बड़े और दर्शन छोटे (Naam Bade Aur Darshan Chhote)
अर्थ- प्रसिद्धि बहुत होना पर वास्तव में गुण ना होना।

ना सांप मरे ना लाठी टूटे (Na Saap Mare Na Lathi Toote)
अर्थ- बिना किसी हानि के काम पूरा हो जाए।

ना खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम (Na Khuda Hi Mila Na Visaal-E-Sanam)
अर्थ- दुविधा में हानि हो जाती है।

नकटा बूचा सबसे ऊंचा (Nakta Boocha Sabse Uncha)
अर्थ- बेशर्म सब से बड़ा है (व्यंग्य)।

नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुने (Nakkarkhane Mein Tooti Ki Awaz Kaun Sune)
अर्थ- बड़ों के रहते छोटों की बात नहीं मानी जाती।

नटनी जब बांस पर चढ़ी तो घूंघट क्या (Natni Jab Baans Par Chadi To Ghunghat Kya)
अर्थ- नीच काम करने वाले को शर्म नहीं होती।

नदी किनारे रूखड़ा जब-तब होय विनाश (Nadi Kinare Rukhda Jab-Jab Hoye Vinash)
अर्थ- बूढ़ा आदमी बहुत दिन नहीं जियेगा।

नदी नाव संयोग (Nadi Naav Sanyog)
अर्थ- संयोग से मिलाप होना।

ना अंधे को न्योता देते ना दो जने आते (Na Andhe Ko Nyota Dete Na Do Jane Aate)
अर्थ- गलत आदमी को आमंत्रित करना।

नाई की बरात में सब ही ठाकुर (Nai Ki Barat Mein Sabhi Thakur)
अर्थ- सभी बड़े बन बैठें तो काम कैसे हो।

नंगा बड़ा परमेश्वर से (Nanga Bada Parmeshwar Se)
अर्थ- निर्लज्ज से सब डरते हैं।

नाई नाई, बाल कितने? जिजमान, अभी सामने आ जाएंगे (Naai Naai, Baal Kitne? Jijmaan, Abhi Saamne Aa Jaayenge)
अर्थ- सवाल का जवाब अपने आप मिल जाएगा।

नाक कटी पर घी तो चाटा (Nak Kati Par Ghee To Chata)
अर्थ- निर्लज्ज होकर कुछ हासिल करना।

नाक दबाने से मुंह खुलता है (Nak Dabane Se Muh Khulta Hai)
अर्थ- कठोरता से कार्य सिद्ध होता है।

नानी के आगे ननिहाल की बातें (Nani Ke Aage Nanihal Ki Baatein)
अर्थ- जिसको सब कुछ मालूम है, उसको बताना।

नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे (Nani Ke Tukde Khave, Dadi Ka Pota Khave)
अर्थ- खाना किसी का, एहसान किसी का।

नानी क्वांरी मर गई, नाती के नौ-नौ ब्याह (Naani Kwaari Mar Gayi, Naati Ke Nau-Nau Byaah)
अर्थ- झूठी बड़ाई ।

नाम बढ़ावे दाम (Naam Badhaave Daam)
अर्थ- किसी चीज का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ती है।

नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमा खाए (Naami Chor Mara Jaye, Naami Shah Kama Khaye)
अर्थ- बदनामी से बुरा, नेकनामी से भला होता है।

नारियल में पानी, क्या पता खट्टा कि मीठा (Nariyal Mein Pani, Kya Pata Khatta Ya Meetha)
अर्थ- इसमें शक है।

नीचे की सांस नीचे, ऊपर की सांस ऊपर (Neeche Ki Saans Neeche, Oopar Ki Saans Oopar)
अर्थ- डर या दुःख से घबराना।

नीचे से जड़ काटना, ऊपर से पानी देना (Niche Se Jad Katne, Upar Se Pani Dena)
अर्थ- ऊपर से मित्र, अंदर से शत्रु।

(प से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

पराधीन सपनेहु सुख नाहीं (Paradhin Sapnehu Sukh Nahi)
अर्थ- पराधीनता में सुख नहीं मिलता।

पानी में रहकर मगर से बैर (Paani Me Rahkar Magarmach Se Bair)
अर्थ- आश्रयदाता से शत्रुता।

पूत कपूत तो क्यों धन संचे, पूत सपूत तो क्यों धन संचे (Poot Kapoot To Kyun Dhan Sanche, Poot Sapoot To Kyun Dhan Sanche)
अर्थ- धन को जोड़ना अच्छा नहीं।

पांचों उंगलियों बराबर नहीं होतीं (Pancho Ungliyan Barabar Nahi Hoti)
अर्थ- सब आदमी एक जैसे नहीं होते।

पूत के पांव पालने में पहचाने जाते हैं (Poot Ke Paon Palne Mein Pahchan Jaate Hain)
अर्थ- वर्तमान के लक्षणों से भविष्य को जाना जा सकता है।

प्यासा कुएं के पास जाता है (Pyaasa Kuen Ke Paas Jaata Hai)
अर्थ- जिसे गरज होती है, वही दूसरों के पास जाता है।

पराये धन पर लक्ष्मी नारायण (Paraaye Dhan Par Lakshmi Narayan)
अर्थ- दूसरे के पैसों पर गुलछर्रे उड़ाना।

पंच कहें बिल्ली तो बिल्ली ही सही (Panch Kahe Billi To Billi Hi Sahi)
अर्थ- सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वहीं ठीक।

पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा (Pancho Ka Kehna Sir Maathe, Par Parnala Wahi Rahega)
अर्थ- दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।

पकाई खीर पर हो गया दलिया (Pakai Kheer Par Ho Gaya Dalia)
अर्थ- दुर्भाग्य।

पगड़ी रख, घी चख (Pagdi Rakh, Ghee Chakh)
अर्थ- मान-सम्मान से ही जीवन का आनंद है।

पेड़ फल से जाना जाता है (Ped Phal Se Jana Jata Hai)
अर्थ- कर्म का महत्व उसके नतीजे से होता है।

पड़े तो हैं गुने नहीं (Pade Toh Hain Gune Nahin)
अर्थ- पढ़-लिखकर भी अनुभवहीन होना।

पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखो करमों का खेल (Padhe Farsi Beche Tel, Ye Dekho Karmo Ka Khel)
अर्थ- गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिलना।

पत्थर को जोंक नहीं लगती, पत्थर मोम नहीं होता (Patthar Ko Jonk Nahi Lagti, Patthar Mom Nahi Hota)
अर्थ- निर्दयी पर कोई असर नहीं पड़ता।

पराया घर थूकने का भी डर (Paraya Ghar Tho0kne Ka Bhi Dar)
अर्थ- दूसरे के घर में संकोच रहना।

पहले घर में फिर मस्जिद में (Pehle Ghar Mein Phir Masjid Mein)
अर्थ- पहले अपने-आप को फिर दूसरों को देखा जाता है।

पैसा गांठ का, जोरू साथ की (Paisa Ganth Ka, Joru Sath Ki)
अर्थ- अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।

पहले तोलो, पीछे बोलो (Pehle Tolo, Piche Bolo)
अर्थ- सोच-समझकर बात करनी चाहिए।

पांच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कछु नहीं लाजा (Panch Panch Mil Kije Kaja, Haare-Jeete Kuchh Nahin Laga)
अर्थ- मिल-जुलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती।

पांचों सवारों में मिलना (Paanchon Swaro Mein Milna)
अर्थ- अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।

पागलों के क्या सींग होते हैं (Pagalon Ke Kya Sing Hote Hain)
अर्थ- पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।

पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन (Purab Jao Ya Paschim, Wahi Karam Ke Lakshan)
अर्थ- भाग्य और स्वभाव सब जगह साथ रहता है।

पानी पीकर जात पूछते हो (Pani Pikar Jaat Puchte Ho)
अर्थ- काम करने के बाद उसके अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार करना।

पानी मथने से घी नहीं मिलता (Pani Mathne Se Ghee Nahi Milta)
अर्थ- व्यर्थ की बहस का कोई फायदा नहीं।

पाप का घड़ा भरकर डूबता है (Paap Ka Ghada Bharkar Doobta Hai)
अर्थ- पाप जब बहुत बढ़ जाता है तब विनाश होता है।

पिया गए परदेश, अब डर काहे का (Piya Gaye Pardesh Ab Dar Kahe Ka)
अर्थ- जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।

पीर बावर्ची भिस्ती खर (Peer Bawarchi Bhishti Khar)
अर्थ- सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।

(फ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

फुई फुई करके तालाब भरता है (Fui Fui Karke Talab Bharta Hai)
अर्थ- थोड़ा-थोड़ा जमा करते-करते काफी हो जाता है।

फलूदा खाते दांत टूटें तो टूटें (Falooda Khate Daant Toote Toh Toote)
अर्थ- स्वाद के लिए नुकसान भी मंजूर है।

फिसल पड़े तो हर गंगा (Fisal Pade To Har Gange)
अर्थ- काम बिगड़ जाने पर कहना कि मैंने खुद ऐसा चाहा था।

(ब से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

बहती गंगा में हाथ धोना (Behti Ganga Mein Haath Dhona)
अर्थ- अवसर का लाभ उठाना।

बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह (Bade Miyan To Bade Miyan, Chhote Miyan Subhan Allah)
अर्थ- बड़ों से बढ़कर बात करना।

बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया (Baap Bada Na Bhaiya, Sabse Bada Rupaiya)
अर्थ- नाते रिश्ते बेकार, पैसा सब कुछ है।

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद (Bandar Kya Jaane Adrak Ka Swad)
अर्थ- वस्तु का महत्व ना समझना।

बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम (Budhi Ghodi Lal Lagaam)
अर्थ- बुढ़ापे में फैशन करना।

बिल्ली और दूध की रखवाली (Billi Aur Doodh Ki Rakhwali)
अर्थ- भक्षक कभी रक्षक नहीं हो सकता।

बूंद-बूंद से तालाब भरता है (Boond-Boond Se Talab Bharta Hai)
अर्थ- थोड़ा-थोड़ा जोड़कर काफी बनाना।

बिना रोए तो मां भी दूध नहीं पिलाती (Bina Roye To Maa Bhi Doodh Nahi Pilati)
अर्थ- बिना कोशिश किए कुछ भी नहीं मिलता।

बिच्छू का मंतर ना जाने, सांप के बिल में हाथ डाले (Bichhu Ka Mantar Na Jaane, Saanp Ke Bil Mein Haath Daale)
अर्थ- अनाड़ी होकर बड़े काम में हाथ डाले।

बकरी की जान गई, खाने वाले को मजा ना आया (Bakri Ki Jaan Gai, Khane Wale Ko Maza Na Aaya)
अर्थ- एक व्यक्ति दूसरे के लिए कोशिश और मेहनत करता मर गया, लेकिन सम्मान नहीं मिला।

बकरी ने दूध दिया पर मेंगनी भरकर (Bakri Ne Doodh Diya Par Mengani Bhaskar)
अर्थ- काम जरूर किया, पर सद्भाव से नहीं।

बड़े बोल का सिर नीचा (Bade Bol Ka Sir Neecha)
अर्थ- जो घमंड करता है उसको नीचा देखना पड़ता है।

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे (Baad Hi Jab Khet Ko Khaye To Rakhwali Kaun Kare)
अर्थ- रक्षक ही भक्षक हो जाए तो कोई चारा नहीं।

बाप ना मारे मेंढ़की, बेटा तीरंदाज (Baap Na Mari Mendki, Beta Teerandaz)
अर्थ- बड़े से छोटा बढ़ गया।

बड़ों के कान होते हैं, आंखें नहीं (Badon Ke Kaan Hote Hain, Aankhen Nahi)
अर्थ- बड़े लोग सुनी-सुनाई बात पर विश्वास कर लेते हैं।

बरतन से बरतन खटकता ही है (Bartan Se Bartan Khatakata Hi Hai)
अर्थ- जहां चार लोग होते हैं, वहां कभी ना कभी अनबन हो ही जाती है।

बहती गंगा में हाथ धो लो (Bahti Ganga Mein Haath Dho Lo)
अर्थ- मौका मिले तो तुरंत उसका फायदा उठाओ।

बहरा सो गहरा (Bahra So Gehra)
अर्थ- चुप्पा बहुत चालाक होता है।

बूढ़े तोते भी कहीं पढ़ते हैं (Budhe Tote Bhi Kahin Padhte Hain)
अर्थ- बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल है।

बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है (Badi Machhali Chhoti Machhali Ko Khati Hai)
अर्थ- कमजोर बलशाली द्वारा सताया जाता है।

बासी बचे ना कुत्ता खाए (Basi Bache Na Kutta Khaye)
अर्थ- जरूरत भर की चीज।

बाहर टेढ़ा फिरत है बांबी सूधो सांप (Bahar Tedha Phirte Hai Baambi Sudho Saanp)
अर्थ- अपने घर में सब शरीफ होते हैं, बाहर अकड़ दिखाते हैं।

बारह बरस दिल्ली रहकर क्या भाड़ झोंकते रहे (Baarah Bars Dilli Rahkar Kya Bhaad Jhonkate Rahe)
अर्थ- बड़ी जगह में रहकर भी कुछ कर नहीं सके।

बहुते जोगी मठ उजाड़ (Bahute Jogi Math Ujaṛe)
अर्थ- काफी लोग हो जाने से काम खराब हो जाता है।

बांझ का जाने प्रसव की पीड़ा (Baanjh Ka Jaane Prasav Ki Peeda)
अर्थ- दुःख को दुःखी ही समझता है।

बांह गहे की लाज (Baanh Gahe Ki Laaj)
अर्थ- शरण में आए की रक्षा करनी चाहिए।

बापै पूत पिता पर थोड़ा, बहुत नहीं तो थोड़ा-थोड़ा (Baapai Poot Pita Par Thoda, Bahut Nahi To Thoda-Thoda)
अर्थ- पुत्र पर पिता का थोड़ा-बहुत प्रभाव जरूर रहता है।

बिल्ली के सपने में चूहे (Billi Ke Sapne Mein Chuhe)
अर्थ- जिसकी भावना होती है, वही सामने रहता है।

बनिक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात (Banik Putra Jaane Kaha Gadh Leve Ki Baat)
अर्थ- छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।

बनी के सब यार हैं (Bani Ke Sab Yaar Hai)
अर्थ- अच्छे दिनों में सब दोस्त बनते हैं।

बड़े बरतन की खुरचन भी बहुत है (Bade Bartan Ki Khurchan Bhi Bahut Hai)
अर्थ- जहां बहुत होता है वहां घटते-घटते भी काफी रह जाता है।

बारह गांव का चौधरी अस्सी गांव का राव, अपने काम ना आवे तो ऐसी-तैसी में जाव (Baarah Gaav Ka Chaudhari Asse Gaav Ka Raav, Apne Kaam Na Aave To Aisi-Taisi Mein Jaav)
अर्थ- बड़ा होकर अगर किसी के काम ना आए, तो उसका बड़प्पन बेकार है।

बीमार की रात पहाड़ बराबर (Bimar Ki Raat Pahad Barabar)
अर्थ- कष्ट का समय काटना मुश्किल होता है।

बुढ़ापे में मिट्टी खराब (Budhape Mein Mitti Kharaab)
अर्थ- बुढ़ापे में मान-सम्मान की हानि।

बुढ़िया मरी तो मरी आगरा तो देखा (Budhiya Mari To Mari Agra To Dekha)
अर्थ- हर घटना के दो पहलू हैं- अच्छा और बुरा।

बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं (Barah Baras Piche Ghure Ke Bhi Din Phirte Hain)
अर्थ- कभी ना कभी अच्छे दिन आ ही जाते हैं।

बावरे गांव में ऊंट आया, किसी ने देखा किसी से नहीं देखा (Baavare Gaav Mein Oont Aaya, Kisi Ne Dekha Kisi Se Nahi Dekha)
अर्थ- नई चीज की कद्र सब लोग नहीं करते।

बासी कड़ी में उबाल आया (Basi Kadi Mein Ubal Aaya)
अर्थ- उम्र बढ़ जाने पर शौक फरमाना।

बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप (Bindh Gaya So Moti, Rah Gaya So Seep)
अर्थ- जो चीज काम में आ जाए वही अच्छी।

बाप से बैर, पूत से सगाई (Baap Se Bair, Poot Se Sagai)
अर्थ- बड़ों की परस्पर शत्रुता, छोटों की आपस में मित्रता।

बिल्ली गई चूहों की बन आई (Billi Gayi Chuho Ki Ban Aayi)
अर्थ- दुश्मन गया और इनकी मौज हो गई।

(भ से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

भागते भूत की लंगोटी ही सही (Bhagte Bhoot Ki Langoti Sahi)
अर्थ- कुछ भी मिलने की आशा न हो और कुछ मिल ही जाए।

भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय (Bhains Ke Aage Been Bajaye, Bhains Khadi Paguraye)
अर्थ- मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना व्यर्थ।

भूखे भजन ना होय गोपाला (Bhookhe Bhajan Na Hoye Gopala)
अर्थ- खाली पेट कुछ नहीं होता।

भरी गगरिया चुपके जाय (Bhari Gagariya Chupke Jaye)
अर्थ- ज्ञानी आदमी गंभीर होता है।

भरे पेट पर शक्कर खारी (Bhare Pet Par Shakkar Khari)
अर्थ- जब जरूरत नहीं होती, तब अच्छी चीज भी खराब लगती है।

भूख लगे तो घर की सूझी (Bhookh Lage Toh Ghar Ki Soojhi)
अर्थ- जरूरत पड़ने पर अपनों की याद आना।

भौंकते कुत्ते को रोटी का टुकड़ा (Bhokte Kutte Ko Roti Ka Tukda)
अर्थ- जो तंग करे उसको कुछ देकर चुप कराना।

भले का भला (Bhale Ka Bhala)
अर्थ- भलाई का बदला भलाई में मिलता है।

भलो भयो मेरी मटकी फूटी, मैं दही बेचने से छूटी (Bhalo Bhayo Meri Matki Phooti, Main Dahi Bechne Se Chhooti)
अर्थ- ना करने का बहाना मिलना।

भूल गए राग रंग भूल गई छकड़ी, तीन चीज याद रहीं नून तेल लकड़ी (Bhool Gaye Raag Rang, Bhul Gaye Chakri, Teen Cheez Yaad Rahi, Non Tel Lakdi)
अर्थ- गृहस्थी के जंजाल और कोई सुध-बुध नहीं रहती ।

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी (Bhed Pe Un Kisne Chhodi)
अर्थ- अच्छी चीज को सब लेना चाहते हैं।

भीख मांगे और आंख दिखाए (Bheekh Mange Aur Aankh Dikhaaye)
अर्थ- भिखारी होकर अकड़ दिखाना।

भूख में किवाड़ पापड़ (Bhookh Mein Kiwad Papad)
अर्थ- भूख लगने पर कोई चीज हो जाए।

(म से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

मन चंगा तो कठौती में गंगा (Man Changa To Kathoti Mein Ganga)
अर्थ- मन की शुद्धता ही वास्तविक शुद्धता है।

मरता क्या ना करता (Marta Kya Na Karta)
अर्थ- मजबूरी में आदमी सब कुछ करता है।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक (Mulla Ki Daud Masjid Tak)
अर्थ- घूम-फिरकर एकमात्र ठिकाना।

मुंह में राम बगल में छुरी (Muh Mein Ram, Bagal Mein Chhuri)
अर्थ- ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु।

मेरी ही बिल्ली और मुझसे ही म्याऊं (Meri Hi Billi Aur Mujhse Hi Myaun)
अर्थ- नौकर को मालिक के सामने अकड़ना नहीं चाहिए।

मीठा-मीठा गप्प और कड़वा-कड़वा थू (Meetha-Meetha Gap Aur Kadwa-Kadwa Thu)
अर्थ- अच्छा माल चुन लेना।

मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके (Matlabi Yaar Kiske, Dam Lagaya Khiske)
अर्थ- स्वार्थी व्यक्ति को अपना स्वार्थ साधने से मतलब होता है।

मानो तो देव नहीं तो पत्थर (Mano To Dev Nahi To Patthar)
अर्थ- माने तो आदर, नहीं तो उपेक्षा।

मार के आगे भूत भागे (Maar Ke Aage Bhoot Bhaage)
अर्थ- मार से सब डरते हैं।

मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है (Machli Ke Bacche Ko Tairna Kaun Sikhata Hai)
अर्थ- कुछ गुण जन्मजात होते हैं।

मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा (Majnu Ko Laila Ka Kutta Bhi Pyara)
अर्थ- जिससे प्यार, उसकी हर चीज प्यारी लगती है।

मन के लड्डुओं से भूख नहीं मिटती (Man Ke Ladduon Se Bhookh Nahi Mitati)
अर्थ- सिर्फ मन में सोचने से मनोकामना पूरी नहीं होती।

मन भावे मूंड़ हिलावे (Man Bhave Moond Hilawe)
अर्थ- मन से चाहना, लेकिन ऊपर से मना करना।

मरज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की (Marz Badhta Gaya Jyon-Jyon Dawa Ki)
अर्थ- सुधार की बजाय बिगाड़ना।

मरी बछिया बाभन के सिर (Mari Bachhiya Babhan Ke Sir)
अर्थ- व्यर्थ का दान।

मरे को मारे शाह मदार (Mare Ko Mare Shah Madar)
अर्थ- दुःखी को दुःखी करना बहादुरी नहीं।

मलयागिरि की भीलनी चंदन देत जलाय (Malyagiri Ki Bhilni Chandan Det Jalaye)
अर्थ- बहुत सी चीज़ हो तो कद्र नहीं रहती।

मां का पेट कुम्हार का आवां (Maan Ka Pet Kumhar Ka Avan)
अर्थ- संतानें सभी एक-सी नहीं होतीं।

मांगे हरड़, दे बहेड़ा (Manage Harad, De Bahera)
अर्थ- कुछ का कुछ और करना।

मैं की गरदन पर छुरी (Main Ki Gardan Par Chhuri)
अर्थ- अहंकार का नाश।

मियां की जूती मियां के सिर (Miyan Ki Juti Miya Ke Sir)
अर्थ- अपने ही से हानि उठाना।

मिस्सों से पेट भरता है किस्सों से नहीं (Misso Se Pet Bharta Hai Kisso Se Nahi)
अर्थ- पेट को खाना चाहिए, केवल बातों से पेट नहीं भरता।

मुंह चिकना, पेट खाली (Muh Chikna, Pet Khali)
अर्थ- सिर्फ ऊपरी दिखावा।

मुंह मांगी मौत नहीं मिलती (Muh Mangi Maut Nahi Milti)
अर्थ- अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता।

मोरी की ईंट चौबारे पर (Mori Ki Eent Chaubare Per)
अर्थ- छोटी वस्तु का बड़े काम में लाना।

म्याऊं के ठौर को कौन पकड़े (Myaun Ke Thaur Ko Kaun Pakde)
अर्थ- कठिन काम में कोई हाथ नहीं बंटाता।

मुए बैल की बड़ी-बड़ी आंखें (Mue Bail Ki Badi-Badi Aankhein)
अर्थ- जो चीज नहीं रही उसकी प्रशंसा ।

मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल (Muft Ki Sharab Kaji Ko Bhi Halal)
अर्थ- मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं।

मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है (Murgi Ko Takve Ka Ghaw Bhi Bahut Hai)
अर्थ- कमजोर आदमी जरा-सा कष्ट भी नहीं सह सकता।

मेरी तेरे आगे, तेरी मेरे आगे (Meri Tere Aage, Teri Mere Aage)
अर्थ- चुगलखोरी।

माया से माया मिले कर कर लंबे हाथ (Maya Se Maya Mile Kar Kar Lambe Haath)
अर्थ- जहां पैसा हो वहां और धन आता रहता है।

माया बादल की छाया (Maya Badal Ki Chhaya)
अर्थ- धन दौलत का कोई भरोसा नहीं।

(य से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

यह मुंह और मसूर की दाल (Yah Muh Aur Masoor Ki Daal)
अर्थ- अपनी औकात से बढ़कर करना।

योगी था सो उठ गया आसन रही भभूत (Yogi Tha So Uth Gaya Asan Rahi Bhabhoot)
अर्थ- पुराना गौरव समाप्त।

(र से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

रस्सी जल गई बल नहीं गया (Rassi Jal Gai Magar Bal Nahi Gya)
अर्थ- शक्ति नष्ट हो जाने पर भी अकड़ बनी रहना।

रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाएं पर वचन ना जाई (Raghukul Reeti Sada Chali Aayi Pran Jaye Par Vachan Na Jaye)
अर्थ- अपने वचन का पालन करना।

रोज कुआं खोदना, रोज पानी पीना (Roj Kua Khodna, Roj Pani Peena)
अर्थ- रोज कमाना और तब खाना।

रस्सी जल गई पर बल ना गया (Rassi Jal Gayi Par Bal Na Gaya)
अर्थ- सर्वनाश हो गया पर घमंड नहीं गया।

राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी (Ram Milayi Jodi, Ek Andha Ek Kodhi)
अर्थ- बराबर का मेल।

राम नाम जपना पराया माल अपना (Ram Naam Japna Paraya Maal Apna)
अर्थ- ऊपर से भक्त, असल में ठग।

राजहंस बिन को करे छीर नीर अलगाव (Rajhans Bin Ko Kare Cheer Neer Algao)
अर्थ- न्याय करना बहुत कठिन काम है।

राजा के घर मोतियों का काल (Raja Ke Ghar Motiyon Ka Kaal)
अर्थ- यहां किसी वस्तु का अभाव नहीं।

रंग लाती है हिना पत्थर पै घिस जाने के बाद (Rang Lati Hai Hina Pathar Par Ghis Jane Ke Baad)
अर्थ- दुख झेलते-झेलते आदमी का अनुभव और सम्मान बढ़ता है।

रविहू की एक दिवस में तीन अवस्था होय (Ravihu Ki Ek Divas Mein Teen Avastha Hoye)
अर्थ- समय एक जैसा नहीं रहता।

राम नाम के आलसी भोजन को तैयार (Ram Naam Ke Alsi Bhojan Ko Taiyar)
अर्थ- केवल खाने-पीने का उत्साह।

रोगी से वैद (Rogi Se Vaid)
अर्थ- भुक्तभोगी अनुभवी होता है।

रस्सी का सांप बन गया (Rassi Ka Saanp Ban Gaya)
अर्थ- बात का बतंगड़ बन गया।

रहे अंत मोची के मोची (Rahe Ant Mochi Ke Mochi)
अर्थ- कोई बदलाव ना होना।

रातों रोई एक ही मुआ (Raaton Roi Ek Hi Mua)
अर्थ- थोड़ी चीज के लिए अधिक कष्ट।

(ल से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

लेना एक ना देना दो (Lena Ek Na Dena Do)
अर्थ- कुछ मतलब ना रखना।

लोहा लोहे को काटता है (Loha Lohe Ko Katata Hai)
अर्थ- बराबर के लोग आपस में निपट सकते हैं।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते (Laaton Ke Bhoot Baaton Se Nahi Mante)
अर्थ- कुछ लोगों से सख्ती से पेश आना पड़ता है।

लाल गुदड़ी में नहीं छिपते (Laal Gudadi Mein Nahi Chhipate)
अर्थ- गुणवान लोगों का पता चल ही जाता है।

लहू लगाकर शहीदों में मिलने चले (Lahu Lagakar Shahido Mein Milne Chale)
अर्थ- झूठी तारीफ चाहना।

लंका में सब बावन गज के (Lanka Mein Sab Bawan Gaj Ka)
अर्थ- एक से बढ़कर एक।

लकड़ी के बल बंदर नाचे (Lakdi Ke Bal Bandar Nache)
अर्थ- भय के मारे सब कुछ करना पड़ता है।

लिखे ईसा पढ़े मूसा (Likhe Isa Padhe Musa)
अर्थ- घटिया लिखावट।

ले दही, दे दही (Le Dahi, De Dahi)
अर्थ- गरज का सौदा।

लड़े सिपाही नाम सरदार के (Lade Sipahi Naam Sardar Ke)
अर्थ- काम किसी का, नाम किसी और का।

लड्डू कहे मुंह मीठा नहीं होता (Laddu Kahe Muh Meetha Nahi Hota)
अर्थ- सिर्फ कहने से काम नहीं बनता।

(व से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

वही मन वही चालीस सेर (Vahi Man Vahi Chalis Ser)
अर्थ- बात एक ही है।

विष सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता (Vish Sone Ke Bartan Mein Rakhne Se Amrit Nahi Ho Jata)
अर्थ- किसी चीज का प्रभाव बदल नहीं जाता।

वहम की दवा लुकमान के पास भी नहीं है (Weham Ki Dava Luqman Ke Paas Bhi Nahi Hai)
अर्थ- वहम सबसे बुरा रोग है।

वा सोने को जारिए जिससे फाटे कान (Va Sone Ko Jariye Kaise Faate Kaan)
अर्थ- कीमती वस्तु भी अगर दुःख देती है तो त्यागने योग्य है।

वही मियां दरबार में वही चूल्हे के पास (Wahi Miyan Darbar Mein, Wahi Chulhe Ke Paas)
अर्थ- एक आदमी को कई काम करने पड़ते हैं।

(श से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

शेरों का मुंह किसने धोया (Sheron Ka Muh Kisne Dhoya)
अर्थ- सामर्थ्यवान् के लिए कोई उपाय नहीं।

शौकीन बुढ़िया मलमल का लहंगा (Shaukeen Budhiya, Malmal Ka Lehenga)
अर्थ- अजीब शौक करना।

शक्ल चुड़ैल की, मिजाज परियों का (Shakl Chudail Ki, Mizaaj Pariyon Ka)
अर्थ- बेवजह का नखरा।

शर्म की बहू नित भूखी मरे (Sharm Ki Bahu Nit Bhukhi Mare)
अर्थ- शर्म करने से कष्ट उठाना पड़ता है।

शेखी सेठ की धोती भाड़े की (Shekhi Seth Ki Dhoti Bhade Ki)
अर्थ- कुछ ना होने पर भी बड़प्पन दिखाना।

शक्कर खोर को शक्कर मिल ही जाती है (Shakkar Khor Ko Shakkar Mil Hi Jaati Hai)
अर्थ- कभी मनचाही वस्तु मिल ही जाती है।

(स से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

सौ सुनार की एक लुहार की (Sau Sunar ki Ek Luhar Ki)
अर्थ- कमजोर की सौ चोटों की अपेक्षा शक्तिशाली की एक चोट बहुत है।

सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते (Subah Ka Bhoola Sham Ko Ghar Aa Jaye To Use Bhoola Nahi Kehte)
अर्थ- गलती करके सुधार लेनेवाला दोषी नहीं कहलाता।

सांप मरे ना लाठी टूटे (Saanp Mare Na Lathi Toote)
अर्थ- बिना बल प्रयोग के काम होना।

सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े (Sir Mundate Hi Ole Pade)
अर्थ- शुरू में ही विघ्न पड़ गया।

सइयां भए कोतवाल अब डर काहे का (Saiyaan Bhaye Kotwal Ab Dar Kahe Ka)
अर्थ- अपने अधिकारियों से अनुचित लाभ उठाना।

सारी उम्र भाड़ ही झोंका (Sari Umar Bhaad Ka Jhonka)
अर्थ- कुछ सीखा पाया नहीं।

सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता (Sawan Ke Andhe Ko Hara Hi Hara Dikhai Deta)
अर्थ- पक्षपात में दूसरे पक्ष की नहीं सूझती।

सांच को आंच नहीं (Saanch Ko Aanch Nahin)
अर्थ- सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं।

सिर तो नहीं फिरा है (Sir To Nahi Phira Hai)
अर्थ- उलटी-सीधी बातें करते हो।

सेर को सवा सेर (Ser Ko Sawa Ser)
अर्थ- एक से बढ़कर दूसरा।

सोने में सुहागा (Sone Mein Suhaga)
अर्थ- गुण के साथ और कोई विशेषता।

समरथ को नहिं दोष गोसाईं (Samrath Ko Nahi Dosh Gosain)
अर्थ- बड़े आदमी पर कौन दोष लगाए।

सीधे का मुंह कुत्ता चाटे (Seedhe Ka Muh Kutta Chate)
अर्थ- सीधेपन का लोग अनुचित लाभ उठाते हैं।

सांप का काटा पानी नहीं मांगता (Saanp Ka Kaata Paani Nahi Mangta)
अर्थ- कुटिल व्यक्ति की चाल में फंसा व्यक्ति बच नहीं पाता।

सईसों का काल मुंशियों की बहुतायत (Sarson Ka Kaal Munshiyo Ki Bahutayat)
अर्थ- पढ़े-लिखों में बेकारी है।

सच्चा जाए रोता आए, झूठा जाए हंसता आए (Sachcha Jaye Rota Aaye, Jhootha Jaye Hasta Aaye)
अर्थ- सच्चा दुखी, झूठा सुखी।

ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार (Sasural Sukh Ki Saar Jo Rahe Dina Do Chaar)
अर्थ- रिश्तेदारी में दो-चार दिन ठहरना अच्छा।

सहज पके सो मीठा होय (Sahaj Pake So Meetha Hoye)
अर्थ- आराम से किया गया काम सुखदायक होता है।

सूखे धान पड़ा क्या पानी (Sukhe Dhan Par Kya Pani)
अर्थ- समय पर सहायता ना मिली तो बेकार।

सूरदास की काली कमरी चढ़े ना दूजो रंग (Surdas Ki Kali Kamari Chadhe Na Dujo Rang)
अर्थ- आदतें पक्की होती हैं, बदलती नहीं।

सौ दिन चोर के एक दिन साह का (Sau Din Chor Ke Ek Din Saah Ka)
अर्थ- सौ अपराध करे पर एक दिन फंसेगा ही।

सकल तीर्थ कर आई तुमड़िया तौ भी न गयी तिताई (Sakal Tirth Kar Aayi Tumdiya Tau Bhi Na Gayi Titai)
अर्थ- स्वभाव नहीं बदलता।

सखी ना सहेली, भली अकेली (Sakhi Na Saheli, Bhali Akeli)
अर्थ- अकेले रहना अच्छा।

सखी से सूम भला जो तुरत देय जवाब (Sakhi Se Soom Bhala Jo Turat De Jawab)
अर्थ- आशा में लटकाए रखने वाले से तुरंत इन्कार कर देने अच्छा।

सांप के मुंह में छछूदर, निगले अंधा, उगले तो कोढ़ी (Saamp Ke Munh Mein Chachundar, Nigle Andha, Ugle To Kodhi)
अर्थ- दुविधा में पड़ जाना।

सांप निकल गया लकीर पीटो (Saap Nikal Gaya Lakir Peeto)
अर्थ- अवसर बीत जाने पर चेष्टा बेकार।

सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है (Saari Deeg Mein Ek Hi Chawal Tatola Jata Hai)
अर्थ- जांच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है।

सारी रात मिमियानी और एक ही बच्चा बियानी (Saari Raat Mimiyaani Aur Ek Hi Bachcha Biyaani)
अर्थ- शोर ज्यादा, प्राप्ति बहुत कम।

सावन हरे ना भादों सूखे (Sawan Hare Na Bhadon Sukhe)
अर्थ- सदा एक-सी दशा।

सिंह के वंश में उपजा स्यार (Singh Ke Vansh Mein Upja Siyar)
अर्थ- बहादुरों की कायर संतान।

सिर तो नहीं खुजला रहा (Sir To Nahin Khujla Raha)
अर्थ- तुम्हारा मन मार खाने को हो रहा है।

सुनते-सुनते कान बहरे हो गए (Sunte-Sunte Kaan Behre Ho Gaye)
अर्थ- बार-बार सुनते-सुनते तंग आ गए हैं।

समय चूंकि पुनि का पछताने (Samay Chuki Puni Ka Pachtane)
अर्थ- मौका गंवाकर पछताने से कोई फायदा नहीं।

समय पाइ तरुवर फले केतिक सींचो नीर (Samay Paye Taruvar Phale Ketak Sincho Neer)
अर्थ- चाहे कोई उपाय करो, काम अपने समय पर ही होगा।

सूत ना कपास, जुलाहे से लट्ठमलट्ठा (Soot Na Kapas, Julahe Se Lattham Latha)
अर्थ- बेवजह विवाद।

सूरज धूल डालने से नहीं छिपता (Sooraj Dhool Daalne Se Nahin Chhupta)
अर्थ- गुणी व्यक्ति का गुण प्रकट हो ही जाएगा।

(ह से शुरू होने वाली लोकोक्ति)

हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के और (Hathi Ke Dant Khane Ke Kuch Aur Dikhane Ke Aur)
अर्थ- कहना कुछ और करना कुछ।

हथेली पर सरसों नहीं जमती (Hatheli Par Sarson Nahin Jamati)
अर्थ- काम इतनी जल्दी नहीं होता।

हराम की कमाई हराम में गंवाई (Haram Ki Kamai Haram Mein Gavayi)
अर्थ- बेईमानी का पैसा बुरे कामों में लगता है।

हाथी निकल गया दुम रह गई (Hathi Nikal Gaya Dum Reh Gayi)
अर्थ- थोड़ा-सा काम अब शेष है।

हींग लगे ना फिटकरी, रंग भी चोखा होय (Hing Lage Na Fitkari, Rang Bhi Chokha Hoy)
अर्थ- बिना कुछ खर्च किये काम बन जाए।

हर मर्ज की दवा (Har Marz Ki Dawa)
अर्थ- हर बात का उपाय है।

हंसता जाए रोता आए, रोता जाए हंसता आए (Hasate Jaye Rota Aaye, Rota Jaaye Hasata Aaye)
अर्थ- स्थिति बड़ी अनिश्चित है।

होनहार बिरवान के होत चीकने पात (Honhar Birwan Ke Hot Chikne Paat)
अर्थ- होनहार के गुण बचपन से दिखने लगते हैं।

हंसाथे से उड़ गए कागा भए दिवान (Hansaathe Se Ud Gaye Kaga Bhaye Diwan)
अर्थ- भले लोगों के स्थान पर बुरे लोगों के हाथ में अधिकार।

हजारों टांकी सहकर महादेव होते हैं (Hajaron Tanki Sahkar Mahadev Hote Hain)
अर्थ- कठिनाइयां झेलते-झेलते आदमी ऊंचा पद पाता है।

हज्जाम के आगे सबका सिर झुकता है (Hajjam Ke Aage Sabka Sar Jhukta Hai)
अर्थ- गरज पर सबको झुकना पड़ता है।

हड्डी खाना आसान पर पचाना मुश्किल (Haddi Khana Aasan, Par Pachana Mushkil)
अर्थ- घूस पानेवाला कभी न कभी पकड़ा जाता है।

हिसाब जौ-जौ बखशीश सौ-सौ (Hisab Jau-Jau Bakhshish Sau-Sau)
अर्थ- हिसाब करने में कड़ा, दान देने में उदार।

हमारे घर आओगे तो क्या लाओगे, तुम्हारे घर जाएंगे तो क्या दोगे हमें (Hamare Ghar Aaoge To Kya Laoge, Tumhare Ghar Jayenge To Kya Doge Hamein)
अर्थ- हर हालत में लाभ हो।

हम सांप नहीं हवा पीकर जिएं (Hum Saamp Nahin Hawa Pikar Jiye)
अर्थ- भरपेट खाना चाहिए।

हाथ सुमरनी पेट कतरनी (Hath Sumarni Pet Katarni)
अर्थ- ऊपर से अच्छा, मन से बुरा, दिखावटी साधु।

हाथी के पांव में सबका पांव (Haathi Ke Paanv Mein Sabka Paon)
अर्थ- बड़ों के रहते छोटों को क्या पूछना ।

होनहार फिरती नहीं होवे बिस्वे बीस (Honaar Firte Nahin Hove Bisve Bees)
अर्थ- भाग्य की रेखा नहीं मिटती।

हाथ का दिया आड़े आए (Haath Ka Diya Aade Aaye)
अर्थ- अपना कर्म ही फल देता है।

होठों निकली कोठों चढ़ी (Hothon Nikli Kotho Chadi)
अर्थ- मुंह से निकली बात सब जगह फैल जाती है।