Hindi Kahaniyan: होशियार राजा

Hindi Kahaniyanहोशियार राजा

Hindi Kahaniyan: एक बार एक भेड़िए ने चूहों का एक बिल देखा। उसने देखा कि उसमें से एक बड़ा चूहा बाहर आ रहा है। फिर उसके बाद एक-एक करके कई चूहे बाहर आए। उसे पता चला कि उस बिल में सैकड़ों चूहे रहते हैं। उन्हें देख कर भेड़िए के मुंह में पानी आ गया। उसने सोचा कि अगर उसे वे चूहे खाने को मिल जाएं तो उसे कई दिनों का भोजन मिल जाएगा। वह कुछ देर सोचता रहा।

फिर उसे एक तरकीब सूझ ही गई। अगले दिन जब चूहे बिल से बाहर आए तो उन्होंने देखा कि एक भेड़िया अपनी अगली दोनों टांगें मोड़ कर, मुंह खोले शांत बैठा हुआ है। वे उसे देख कर हैरान हो गए।

पहले तो वे उसके पास जाने से डरे लेकिन जब बहुत देर तक भेड़िया अपने स्थान से नहीं हिला तो उनका साहस बढ़ा और एक चूहे ने पास जा कर उससे पूछा, “तुम यहां इस प्रकार क्यों बैठे हो?

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बुद्धिमान राजा की कहानी

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भेड़िया तो जैसे इसी इंतजार में था। वह मीठे स्वर में बोला, “अपने कर्मों की वजह से। मैंने अपने पिछले जन्म में जरूर कोई गलत काम किए होंगे, जिसके लिए मुझे इस जन्म में सजा मिल रही है। मैं जन्म से ही लंगड़ा हूं, मैं चल नहीं सकता, मुझे सांस लेने के लिए भी इस प्रकार मुंह खोल कर बैठना पड़ता है ताकि हवा मेरे अंदर जा सके।” ओह! आपके लिए इस तरह जीना कितना मुश्किल होता होगा? चूहों ने पूछा।

भेड़िया मन ही मन मुस्कराने लगा। चूहे उसकी बातों में आ गए थे। उन्हें उससे सहानुभूति हो रही थी। वे उससे बहुत देर बातें करते रहे ताकि उसे अच्छा लग सके और वह स्वयं को अकेला महसूस न करे।

भेड़िया अपनी चाल में कामयाब हो गया था। चूहे जब भी अपने बिल में से एक कतार बना कर निकलते। भेड़िया अंतिम चूहे की इंतजार करता और उसे पकड़ लेता। वह उसे जल्दी से खा जाता ताकि कोई उसे देख न ले।

वह अपना मुंह इस तरह साफ कर लेता कि किसी को पता न चले और फिर से उसी मुद्रा में आ कर बैठ जाता। इस प्रकार उसे रोजाना खाने के लिए एक चूहा मिल जाता। कुछ दिन तो चूहों को पता ही नहीं चला कि उनकी संख्या कम होती जा रही है। लेकिन एक दिन चूहों के राजा ने इस पर गौर किया और चिंतित होकर इसका पता लगाने की बात सोची।

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उसने भेड़िए की निगरानी करनी शुरू कर दी। अगले दिन उसी प्रकार सारे चूहे अपने बिल से बाहर निकले। सबसे अंत में चूहों का राजा निकला। भेड़िया भी अंतिम चूहे के इंतजार में बैठा था, लेकिन चूहों का राजा पहले से ही सतर्क था।

वह बोला, “तुमने हमसे झूठ बोला है और हमें खा कर हमारे साथ धोखा किया है। तुम कितने धूर्त और मक्कार हो। तुम्हें इसकी सजा जरूर मिलेगी।” चूहे राजा की बात सुन कर बाकी सभी चूहे भी रुक गए और गौर से उनकी बातें सुनने लगे।

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चूहों के राजा ने भेड़िए पर छलांग लगाई और उसके गले पर वार किया। उसने भेड़िए के गले पर काटा। भेड़िया दर्द के मारे चिल्लाने लगा। देखते ही देखते उसके प्राण निकल गए। उस रात चूहों ने धूर्त भेड़िए की मौत का खूब जश्न मनाया।

निष्कर्ष (Conclusion)

बुद्धिमान राजा की कहानी रोमांच से भरी है। यहां जानिए कि बुद्धिमान राजा की कहानी बच्चों और बड़ों को क्या सीख देती है।