Hindi Kahaniyan: बाज का परिवार और सच्चा मित्र

Hindi Kahaniyanबाज का परिवार और सच्चा मित्र

Hindi Kahaniyan: इंसान हो या जानवार हर किसी के लिए इस दुनिया में सबसे ऊपर उसका परिवार होता है। एक बार किसी जंगल में एक बाज परिवार एक पेड़ पर रहने आया। उनमें एक पिता, एक माता और एक उनका बेटा था। वे वहां नए थे और उनके लिए वह जगह भी अनजान थी।

अतः बाज की पत्नी ने अपने पति से कहा कि वह उस पेड़ के आसपास नए मित्र बनाए और उनसे जान-पहचान करे क्योंकि मित्र हमेशा कहीं न कहीं सहायता करते हैं और किसी काम आते हैं। लेकिन मैं यहां किसे अपना मित्र बनाऊं?” बाज बोला।

“मैंने यहां एक कोड़िल्ले पक्षी, एक कछुए और एक शेर को तालाब के पास देखा है। तुम उनके पास जा कर जान-पहचान क्यों नहीं बढ़ाते ? बाज की पत्नी ने सुझाव दिया। बाज उड़ता हुआ वहां गया और उसने उनसे मित्रता कर ली।

एक रात को कुछ शिकारी उस पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुके। वे थके हुए थे और उन्हें दिन भर कोई शिकार भी नहीं मिला था। वे पेड़ के नीचे लेट गए, लेकिन जब उन्होंने देखा कि मक्खियां और मच्छर उन्हें रात भर सोने नहीं देंगे तो ‘उन्होंने उनसे बचने के लिए वहां आग जला दी।

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बाज का परिवार और सच्चा मित्र

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बाज के बेटे ने कभी आग नहीं देखी थी। अतः वह आग से डर गया। उसकी आवाज सुनते ही शिकारी भी होशियार हो गए। वे बोले, “यहां पर कुछ पक्षी हैं। हम सुबह होते ही उन्हें पकड़ लेंगे। बाज की पत्नी ने यह सुना तो वह डर गई। उसने अपने पति को उठाया और बोली, “जाओ, जा कर किसी से सहायता मांगो।”

बाज उठा और कोड़िल्ले के पास गया। कोड़िल्ले ने आग देखी तो उसे बुझाने की सोची। उसने तालाब में छलांग लगाई और अपने आप को गीला करके बाहर आया। वह तेजी से उड़ता हुआ आग के पास गया और पानी के कुछ छींटे आग पर गिरा दिए। इससे वह बुझ गई। शिकारी फिर से आग जलाते और वह पानी ला कर उसे बुझा देता।

लेकिन जल्दी ही वह बेचारा थक गया। फिर बाज सहायता के लिए कछुए के पास गया। वह भी जल्दी ही सहायता के लिए आ गया और तालाब से मिट्टी ले आया। उसने आग में मिट्टी डाल कर आग बुझा दी।

शिकारियों ने जब कछुए को देखा तो उन्होंने बाज को छोड़कर उसे पकड़ना चाहा। लेकिन उनके पास उसे पकड़ने के लिए कोई जाल नहीं था। अतः उन्होंने अपनी कमीजें उतारीं और उसे पकड़ने की कोशिश करने लगे। लेकिन कछुआ फुर्ती से तालाब में कूद गया और उसने अपनी जान बचाई ली।

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बाज का परिवार और सच्चा मित्र

बेचारे शिकारी खाली हाथ वापस आ गए। उन्होंने एक बार फिर से बाज को पकड़ना चाहा। बाज अपने तीसरे मित्र से सहायता मांगने उड़ गया, जो जंगल में बहुत दूर रहता था। शेर ने जब बाज से सारा किस्सा सुना तो वह तुरंत ही उनकी सहायता के लिए तैयार हो गया।

बाज उड़ता रहा और शेर उसके साथ चलते-चलते उस पेड़ के पास पहुंच गया। उसने पेड़ के पीछे जा कर जोर से दहाड़ लगाई, जिसे सुन कर शिकारी चिल्लाने लगे, “भागो! भागो! शेर आ गया! ” और वे डर के मारे वहां से भाग खड़े हुए।

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बाज ने विनम्रता से अपने मित्रों का धन्यवाद किया, जिन्होंने सही समय पर आकर उसके परिवार की सहायता की थी। इसके बाद वे सभी मिल कर उस जंगल में रहने लगे। सही समय पर काम आने वाला ही सच्चा मित्र होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

हमारे जीवन की सबसे बड़ी पाठशाला परिवार है, जीवन की हर सीख परिवार ही देता है।