Hindi Kahaniyan: धूर्त भेड़िया और नौजवान शेर

Hindi Kahaniyanधूर्त भेड़िया और नौजवान शेर

Hindi Kahaniyan: किसी जंगल में एक धूर्त भेड़िया रहता था। वह बहुत आलसी था। वह हमेशा इस जुगाड़ में रहता कि कोई उसके लिए शिकार का प्रबंध कर दे। एक दिन उसे एक नौजवान शेर मिला। उसने उसे मीठी-मीठी बातें करके अपनी मित्रता के जाल में फंसा लिया। शेर के माता-पिता ने उसे चेतावनी दी हुई थी कि वह कभी भी किसी भेड़िए से मित्रता न करे, क्योंकि भेड़िए धूर्त होते हैं। उनके कारण वह कभी भी मुसीबत में पड़ सकता है। लेकिन शेर ने उनकी एक न सुनी।

एक दिन भेड़िया घोड़े का मांस खाना चाहता था। शेर ने भी कभी घोड़े का मांस नहीं खाया था। भेड़िया एक ऐसी झील के बारे में जानता था जहां कई घोड़े रोजाना पानी पीने के लिए आते थे। भेड़िए ने शेर को इस बारे में जानकारी दी और शेर को वहां तैनात कर दिया। शेर वहां आने वाले घोड़े की ताक में खड़ा हो गया। जैसे ही एक घोड़ा वहां आया, शेर ने घात लगा कर उस पर हमला किया और मार डाला।

Hindi Kahaniyan
धूर्त भेड़िया और नौजवान शेर

Hindi Kahaniyan

वह उसे घसीटता हुआ झाड़ी में ले गया। उस दिन दोनों ने बड़े मजे से मिल कर घोड़े के मांस की दावत उड़ाई। जब शेर के माता-पिता को इस बात का पता चला तो वे बहुत चिंतित हुए और उन्होंने उससे कहा, “ये घोड़े राजा के हैं। वह भेड़िया किसी भी समय तुम्हें मुसीबत में डाल सकता है। अतः उससे सावधान रहो। लेकिन शेर ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। वह सोचता था कि उसके माता-पिता यह भी नहीं जानते कि घोड़े का मांस कितना स्वाद होता है।

इस तरह वह भेड़िए के साथ रोज शिकार करके दावत उड़ाता रहा। राजा को जब पता चला कि कोई शेर उनके घोड़ों को मार कर अपना शिकार बना रहा है तो उसने अपने इलाके में ही एक तालाब बनवा दिया ताकि घोड़ों को पानी पीने के लिए दूर न जाना पड़े और वे शेर का शिकार न बनें। भेड़िए को जब राजा के उस नए तालाब के बारे में पता चला तो उसने फिर से शेर को फुसलाया और कहा, “तुम बहुत बहादुर हो। तुम्हें राजा से डरने की कोई जरूरत नहीं, अतः निडर हो कर उसके इलाके में जाओ और घोड़ों का शिकार करो।

Hindi Kahaniyan
धूर्त भेड़िया और नौजवान शेर

‘भेड़िए की बातों में आकर शेर राजा द्वारा बनाए गए नए तालाब के पास गया और वहां से एक घोड़े को मार कर घसीटता हुआ ले आया। शेर के माता-पिता ने फिर से उसे चेतावनी दी, “राजा के पास कई तीरंदाज हैं। वे तुम्हें मार देंगे। घोड़ों से दूर रहो और उस मक्कार भेड़िए की संगत छोड़ दो।” लेकिन उसने फिर से अपने माता-पिता की बातों को अनसुना कर दिया। उसकी जुबान पर तो घोड़े के मांस का स्वाद लग गया था।

राजा ने अपने घोड़ों की सलामती के लिए सैनिकों को घुड़साल में तैनात कर दिया। लेकिन शेर की हिम्मत बढ़ी हुई थी, इसलिए उसने घोड़ों को वहां जा कर भी मारना जारी रखा। अंत में, राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दे दिया कि जैसे ही वह शेर आसपास दिखाई दे, वे उसे मार दें। अगली रात जैसे ही शेर वहां आया, सैनिकों ने अपने तीर कमान से उस पर वार किया और उसे मार गिराया।

ये भी पढ़ें- Hindi Kahaniyan: होशियार राजा

भेड़िया डर कर वहां से भाग गया, पर शेर को अपनी मूर्खता के कारण जान गंवानी पड़ी। जो अपने बड़ों की सलाह नहीं मानता, स्वार्थी दोस्तों का संग करता है, उसे इसी तरह अपनी जान गंवानी पड़ती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी की सीख यह है कि हमें अंतिम समय पर प्रयास करना चाहिए। हिम्मत हारकर रुकना चाहिए। अंतिम पल तक कोशिश करेंगे तो सफलता जरूर मिल जाएगी।