Hindi Kahaniyan: ब्राहमण और दो तोते

Hindi Kahaniyanब्राहमण और दो तोते

Hindi Kahaniyan: एक बार एक ब्राहमण ने किसी शिकारी से दो तोते खरीदे। ब्राहमण उनसे अपने बच्चों जैसा व्यवहार करता था। उनमें से बड़ा तोता बोधिसत्व था जबकि छोटा बहुत बातूनी था। उसे नहीं मालूम था कि कोई बात कब बोलनी चाहिए, किसे बोलनी चाहिए और क्या बोलना चाहिए। बोधिसत्व ने उसे कई बार समझाया कि हमेशा शांत रहना चाहिए और कम से कम बोलना चाहिए। लेकिन छोटा तोता उसकी बात कहां समझने वाला था।

ब्राहमण को अपने काम के सिलसिले में एक से दूसरे शहर की यात्रा करनी पड़ती थी। एक बार जब वह जाने लगा तो उसने दोनों तोतों से कहा कि वे उसकी पत्नी का ध्यान रखें। और जब वह यात्रा से वापस आए तो वे उसे उसकी पत्नी के बारे में बताएं। ब्राहमण की पत्नी की संगत अच्छी नहीं थी। ब्राहमण जब भी दूसरे शहर जाता, तब वह अपनी सहेलियों के साथ खूब मौज-मस्ती करती, घर का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखती थी।

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ब्राहमण और दो तोते

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ब्राह्मण के घर से जाते ही उसने अपनी सभी सहेलियों को घर में बुला लिया, इसी तरह रोजाना चौकड़ी जमने लगी। वह घर के कामों पर भी ध्यान नहीं देती थी, जिससे घर गंदा रहने लगा था। दोनों तोते उसे रोज देखते। छोटा वाला तोता उसके व्यवहार से बहुत परेशान था। “हमें इस औरत से बात करनी चाहिए और समझाना चाहिए कि वह ऐसा न करे। यदि हमने इसे ना समझाया तो वह और अधिक दुष्ट होती चली जाएगी। वैसे भी हमारे मालिक ने हमें इस पर नजर रखने के लिए कहा है, ” छोटे तोते ने बड़े तोते से कहा ।

बोधिसत्व शांत रहा और सब कुछ देखता रहा। वह छोटे तोते से बोला, तुम्हें शांत रहना चाहिए मेरे भाई समझाना उसे चाहिए जो नासमझ हो। लेकिन छोटा तोता भला कहां शांत रहने वाला था। उसने निश्चय कर लिया कि वह अगले दिन उस औरत से जरूर बात करेगा। उसने अगले दिन ब्राह्मण की पत्नी को समझाना चाहा कि ऐसा करके वह अपने घर को बिगाड़ रही है और यह भी कि घर अगर एक बार बिगड़ जाए, तो वह फिर जल्दी ठीक नहीं होता।

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ब्राहमण और दो तोते

ब्राह्मण की पत्नी को तोते की बात सुन कर बहुत गुस्सा आया। तोते की इतनी मजाल कि वह उसे यह सलाह दे कि घर कैसे चलाना चाहिए। लेकिन उसने अपने गुस्से को शांत रखते हुए झूठे ही मुस्कराते हुए कहा, अरे मेरे प्यारे तोते! तुम सही कह रहे हो। जरा मेरे पास तो आओ। तोते को यह सुन कर बहुत खुशी हुई। उसे लगा कि वह औरत सुधर गई है, लेकिन वह गलत सोच रहा था। उस औरत ने तोते को गर्दन से पकड़कर मरोड़ा और झट से जलती आग में फेंक दिया। देखते ही देखते तोता राख का ढेर बन गया।

बोधिसत्व अपने भाई की मूर्खता का यह नजारा अपनी आंखों से देखता रहा, पर कुछ कर नहीं सका। कुछ समय बाद जब ब्राह्मण वापस आया तो उसने तोते से पूछा कि उसकी पत्नी पीछे से क्या करती रही, तो तोता बोला, ” मेरे मालिक! बुद्धिमान व्यक्ति को तब तक नहीं बोलना चाहिए जब तक कि जरूरत न हो। उसे यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उसे केवल शुभ और अच्छी बातें ही करनी चाहिए।

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फिर उसने आगे कहा, “मेरा भाई आग की इन लपटों में जल गया क्योंकि वह नहीं जानता था कि उसे कब शांत रहना चाहिए और कब बोलना चाहिए। मैं भी अब यहां और नहीं रुक सकता। अलविदा मेरे मालिक! मैं जा रहा हूं।” इतना कह कर वह बोधिसत्व भी वहां से उड़ गया। ब्राह्मण उसकी बुद्धिमत्ता को जान गया था।

निष्कर्ष (Conclusion)

तोता विनम्र स्वभाव वाला पक्षी होता है। यह अपने साथी तोते से बहुत प्रेम करता है। तोतों की जोड़े के बीच काफी गहरा प्रेम देखने को मिलता है।