Hindi Kahaniyan: हिमालय की तलहटी के पूर्वी जंगल में हाथियों का एक झुंड रहता था। उनका राजा एक सफेद हाथी था। वह अपनी बूढ़ी और अंधी मां से बहुत प्रेम करता था। हाथी जब भी भोजन की तलाश में निकलते, वह उनके हाथ अपनी मां के लिए कुछ फल जरूर भेजता। लेकिन वे लालची हाथी उसे कुछ भी न देते और स्वयं खा जाते। बेचारी मां भूख से तड़पती रहती। सफेद हाथी भी उन्हें कुछ नहीं कह पाता था।
वह अपने झुंड के हाथियों से बहुत परेशान था। एक दिन उसने उन्हें छोड़ कर किसी अन्य स्थान पर अपना घर बनाने की सोची। वह एक झील के किनारे, पहाड़ पर अपनी मां के साथ जा कर रहने लगा। वह अपनी मां की सेवा करना चाहता था। एक दिन सफेद हाथी को एक व्यक्ति दिखाई दिया। वह जंगल में भटक जाने के कारण बहुत डरा हुआ था। वह बनारस का रहने वाला था। सफेद हाथी जंगल के सारे रास्ते जानता था। अतः उसने भटके राहगीर को अपनी पीठ पर बैठाया और जंगल पार करवा दिया।
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उधर बनारस में राजा का हाथी बूढ़ा हो जाने के बाद मर गया। राजा अपने लिए किसी दूसरे हाथी की तलाश में था। उस जंगल में घूमने वाले व्यक्ति को सफेद हाथी का ध्यान आया। ‘यदि राजा को वह हाथी पसंद आ जाए तो मुझे अवश्य ही राजा से अच्छा-खासा इनाम मिल सकता है, उसने सोचा और राजा को सफेद हाथी के बारे में बताया।
अगले ही दिन राजा अपने सैनिकों के साथ उस सफेद हाथी को पकड़ने चल पड़ा। वह व्यक्ति आगे-आगे चल रहा था और बाकी सब हाथी की तलाश में उसके पीछे चल रहे थे। हाथी ने उन्हें आता देखा तो समझ गया कि वही राहगीर उन्हें ले कर यहां आ रहा है जिसे उसने जंगल से पार किया था।
उसने सोचा कि यदि वह उनसे लड़ेगा तो बहुत नुकसान होगा और राजा के कुछ सिपाही भी मारे जाएंगे अतः वह बिना लड़े ही उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उसे इस बात का दुख था कि वह अपनी मां को लाचार और बेसहारा छोड़ कर जा रहा था। उस रात मां का बेटा घर नहीं आया और वह रोते-रोते सो गई।
उस सफेद हाथी को महल में खूब सजा कर, बढ़िया कपड़े व गहने पहना कर रखा गया। राजा भी ऐसे नायाब हाथी को पा कर फूला नहीं समा रहा था। लेकिन जल्द ही उसने महसूस किया कि वह हाथी हमेशा उदास रहता। उसने जब हाथी से उसकी उदासी का कारण पूछा, तो उसे पता चला कि उसकी बूढ़ी और अंधी मां जंगल में अकेली रह गई है।
राजा बहुत उदार स्वभाव का था। उसे यह सुनकर अच्छा लगा कि यहां सभी सुख-सुविधाओं में रहने वाला एक बेटा जंगल में रहने वाली अपने मां के लिए हैरान-परेशान है। नहीं तो अकसर बच्चे अपने माता-पिता को भूल जाते हैं। उसने हाथी को वापस जंगल में अपनी मां के पास भेज दिया। सफेद हाथी इससे बहुत खुश था। उसकी मां भी बहुत खुश थी। उसने उस दयालु राजा को बहुत आशीर्वाद दिया, जिसने उसके बेटे को उसके पास वापस भेज दिया था।
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राजा अकसर उनसे मिलने जाया करता था। जब उस हाथी की मृत्यु हुई तो राजा ने उसकी याद में एक बहुत बड़ा बुत बनवाया। उसके बाद प्रत्येक वर्ष उसकी याद में हाथी महोत्सव का आयोजन भी वहां बनारस में होने लगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
यह कहानी हमें सिखाती है कि जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंसकर अपनों का साथ छोड़ता है, वह बाद में पछताता है।