अवसान माता पूजा कथा, विधि और आरती | Avsan Mata Puja Katha, Vidhi aur Aarti

Avsan Mata Puja Katha, Vidhi aur Aartiअवसान माता पूजा कथा, विधि और आरती

Avsan Mata Puja Katha, Vidhi aur Aarti: औसान बीबी की पूजा का शुद्ध रूप अवसान विधि की पूजा है। इस देश में विवाह के अन्त में सात या पांच सौभाग्यवती स्त्रियों का निमंत्रण करके उनके सौभाग्य का पूजन होता है। उसी को ‘औसान बीबी की पूजा’ कहते हैं।

Avsan Mata Puja Katha, Vidhi aur Aarti

हमारे देश के पूर्वी प्रांतों में से अचानक देवी व्रत कहते हुए विवाहादि शुभ कार्योंपरांत सात सधवा स्त्रियों को आमंत्रित करके उनके सुहाग की पूजा की जाती है। किंवदंती है कि भगवान राम-सीता के विवाहोपरांत जनकपुरी लौटने पर राजा दशरथ ने सुहागिन स्त्रियों को सम्मानित एवं पूजित किया था।

Avsan Mata Puja Katha, Vidhi aur Aarti
अवसान माता पूजा कथा, विधि और आरती

कार्तिक-स्नान के बाद या मलमास स्नान के बाद भी कोई-कोई ‘औसान बीबी की पूजा’ करती है। तात्पर्य यह है कि कार्य-सिद्धि के बाद यह पूजा होती है। पूर्वी प्रान्तों में इसे ‘अचानक देवी’ का व्रत कहते हैं।

औसान माता पूजा की विधि (Avsan Mata Puja Ki Vidhi)

पूजा के दिन सवेरे पांच या सात सौभाग्यवती स्त्रियों को भोजन करने का निमंत्रण दे दिया जाता है। प्रायः मध्याह्न के समय स्त्रियां बुलाई जाती हैं। उनके एकत्रित हो जाने पर किसी उत्तम स्थान में एक गोलाकार चौक पूरा जाता है।

उस चौक पर गेहूं बिछाकर मिट्टी की सात ठिलियां चक्राकार रखी जाती हैं। उन्हीं ठिलियों पर सिन्दूर लगाकर एक मिट्टी के कोरे घड़े में जल भरकर कलश स्थापित किया जाता है। उस कलश का पूजन होता है।

ये भी पढ़ें- सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि, कथा और आरती | Solah Somwar Vrat Ki Puja Vidhi, Katha aur Aarti

पूजन के पहले ही आमंत्रित सुहागिनों का उबटन-स्नान कराके श्रद्धानुसार उनको वस्त्र और आभूषण से अलंकृत किया जाता है। तब वे सब पूजा के कलश को घेरकर बैठती हैं।

पंचांग-पूजन के बाद सुहागिने हाथों में अक्षत लेती हैं। पूजा करने वाली यदि सधवा है, तो स्वयं पूजा में सम्मिलित होती है। यदि विधवा है, तो अलग रहती है। तब कथा कही जाती है।

कथा समाप्त होते ही कलश पर अक्षत छोड़े जाते हैं। तब कलश के पास वाले मिट्टी की टिलियों पर का सिन्दूर सुहागिनों के ललाट पर लगाया जाता है। भुने चने और गुड़ का प्रसाद वितरण किया जाता है। इसके बाद उनको भोजन कराकर विदा किया जाता है। रात में कीर्तन होता है।

औसान माता पूजा की कथा (Avsan Mata Puja Ki Katha)

कोई भाई-बहन थे। भाई को चिड़ियों के पालने का बड़ा शौक था। वह रात-दिन उन्हीं की सेवा सम्मान में लगा रहता था। जब उसकी सगाई पक्की हुई, तब वह दिन-प्रतिदिन दुबला होने लगा। उसकी ऐसी दशा देखकर बहन ने उससे पूछा कि ज्यों-ज्यों तुम्हारे विवाह के दिन पास आते हैं, त्यों-त्यों तुम दुबले क्यों हुए जाते हो?

वह बोला कि मुझे किसी बात का दुःख तो है नहीं, केवल इसी बात की चिन्ता मुझे लगी रहती है कि विवाह में जब मेरी बारात जायगी, तब तीन-चार दिन यहां मेरी चिड़ियों को चारा-पानी कौन देगा। यदि इनकी सेवा सम्भाव में जरा भी सुस्ती या लापरवाही हुई तो, मेरी अति परिश्रम से पाली हुई चिड़ियां बेमौत मर जाएंगी।

बहन ने कहा कि तुम इस बात की तनिक भी चिन्ता मत करो। तुम्हारी चिड़ियों को चारा-पानी में दूंगी। जब तक तुम विवाह करके लौट आओगे, तब तक मैं तुम्हारी चिड़ियों को किसी प्रकार तकलीफ न होने दूंगी।

कुछ दिनों बाद बारात चली। भाई दुल्हा बनकर चला गया। बहन ने चिड़ियों के चारा-पानी का जिम्मा ले तो लिया, पर ब्याह के दिन घर के नेग-चार के काम में व्यस्त रहने के कारण वह समय पर चिड़ियों को चारा-पानी न दे सकी। जब नेग-चार के कामों से अवकाश पाकर वह चिड़ियाखाने में गई, तब देखती क्या है कि अधिकतर चिड़ियां मरी पड़ी हैं।

यह देखकर वह बड़े संकट में पड़ गई। मन-ही-मन वह औसान बीबी का स्मरण करने लगी और कहने लगी कि हे देवी ! यदि आपकी कृपा से चिड़ियाँ जी उठे तो मैं दुरैयां कराऊंगी। दैवयोग से मरी हुई सब चिड़ियां जी उठीं।

तब बहन ने उनको चारा-पानी दिया। चिड़ियों को चारा-पानी देकर वह बाहर चली आई और अपने दरवाजे पर यह विचार कर खड़ी हो गई कि यदि कोई इधर के निकले तो उससे कुछ चना भुना मंगाऊं और फिर सुहागिने न्योत बुलाऊं।

इसी समय उसके सामने से बारात निकली। लड़की ने बारातियों को सम्बोधित करके कहा कि कोई मेरे चने सुना कर ला दो बारातियों ने इन्कार कर दिया। वह कुछ न बोली।

Avsan Mata Puja Ki Katha
औसान माता पूजा की कथा

उस गांव से आगे चलकर बारात ने एक जगह विश्राम लिया। उसी जगह बारात का दूल्हा आप ही आप मूर्च्छित हो गया। लड़की अपने दरवाजे पर खड़ी ही थी, उतने में एक मुर्दे की अर्थी निकली।

लड़की ने मुर्दे के साथ जानेवालों से कहा कि कोई मेरे चने भुना कर ला दो, तो मैं सुहागिनें न्योत बुलाऊं। उनमें से किसी ने कहा- क्या हर्ज है, इसके चने भुनाने में कुछ देर भी हो जायगी, तो हानि नहीं। मुर्दा जलाने को अभी बहुत समय है।

उधर कुछ लोग चने भुनाने गये, इधर मुर्दा अर्थी पर से उठकर बैठ गया। लोगों ने बड़ी श्रद्धापूर्वक लड़की को दैवभाव से, नमस्कार करके कहा कि बहन! यह तुमने क्या जादू किया जो मुर्दा जी उठा?

उसने जवाब दिया कि यह सब मैं क्या जानूं मेरी दुरैया जानें, औसान बीबी जानें। मैंने औसान बीबी से प्रार्थना की थी कि मेरे भाई की मरी हुई चिड़िया जी उठें। वे जी उठीं, तब में उनकी पूजा के प्रसाद के लिए चने भुनाने चली थी। तुम लोगों ने मुझे चना भुना कर ला दिये और तुम्हारा मुर्दा जी उठा। यह सब उन्हीं औसान बीबी की माया है।

इधर इस लड़की ने घर में जाकर सुहागिनें न्योतीं, उधर जिनका मुर्दा जी उठा था, उन लोगों ने भी सुहागिनें को न्योत बुलाया और औसान बीबी की विधिव पूजा की।

जिन लोगों का दूल्हा अचेत हो गया था वे लोग उसी जगह से वापस आये। उनमें जो वयोवृद्ध और चतुर मनुष्य थे, उन्होंने लड़की से पूछा कि तूने हमारे दूल्हे को क्या कर दिया जो वह अपने आप अचेत हो गया?

तब लड़की ने कहा कि मैं क्या जानू मेरी औसान बीबी जानें। जिन लोगों ने उनकी पूजा के लिए बने भुना कर ला दिये, उनका मुर्दा जी उठा और तुमने इन्कार किया, सो तुम्हारा दूल्हा अचेत हो गया, तो इसके लिए मैं क्या करूं। तब वे लोग बोले कि हमको पूजा की विधि बता दो। हम भी घर पहुंचकर औसान बीबी की पूजा करेंगे। लड़की ने उनको पूजा करने की विधि बतला दी।

पूजा का संकल्प करते ही दूल्हा चंगा हो गया। बारात जनवासे की ओर गई। विवाह सकुशल पूर्ण हुआ। तब उन लोगों ने सात सुहागिनें न्योत करके आंचल भरे और औसान बीबी की विधिवत् पूजा की।

इधर जब लड़की का भाई ब्याह करके घर आया तब लड़की की माता ने भी औसान बीबी का पूजन किया। तभी से विवाह के अंत में औसान बीबी की पूजा का प्रचलन हो गया, अनेक स्थानों पर आज भी कायम है। जो अनेक स्थानों पर आज भी कायम है।

औसान माता की औरती (Avsan Mata Puja Ki Aarti)

तेरी आरती उतारूं रे औसान मैया
तेरी आरती उतारूं रे औसान मैया

जय जय औसान मैया जय जय मां
जय जय औसान मैया जय जय मां

सारे दुखों का करती निवारण मेरी औसानी मां-2
सदा सुखों का करती आगमन मेरी आसानी मां-2
जय जय औसान मैया जय जय मां
जय जय आसान मैया जय जय मां

सदा कलशा पर दीपक जले हैं मां की पूजा में
सदा फूलों का माला श्रृंगार मां की पूजा में
जय जय औसान मैया जय जय मां
जय जय औसान मैया जय जय मां

सदा पेड़ा के भोग लगे हैं मेरी मैया के,
तेरे चरणों में शीश झुके हैं मां तेरी बेटी के,
जय जय औसान मैया जय जय मां
जय जय औसान मैया जय जय मां

तेरी आरती उतारूं रे अवसान मैया की
तेरी आरती उतारूं रे औसान मैया

जय जय औसान मैया जय जय मां
जय जय औसान मैया जय जय मां