Hindi Kahaniyan: फेरीवाले की ईमानदारी और नन्ही लड़की

Hindi Kahaniyanफेरीवाले की ईमानदारी और नन्ही लड़की

Hindi Kahaniyan: फेरीवालों का काम घूम-घूमकर समान बेचने का काम करते रहते हैं। दो फेरीवाले गांव-गांव में जा कर सामान बेचते थे। वे गांव वालों को पुराने बर्तनों के बदले पीतल तथा लोहे के नए बर्तन बेचते थे। वे गांव के आधे-आधे हिस्सों में जाते और अपना धंधा करते। एक बार वे ऐसे गांव में गए जहां एक गरीब विधवा औरत अपनी पोती के साथ रहती थी। वह नन्ही लड़की चाहती थी कि उसकी दादी उसके लिए भी कुछ खरीदे। लेकिन उनके पास कुछ भी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। उनके पास केवल एक पुराना कटोरा था।

जब फेरीवाला उनकी गली में आया तो वह कटोरा दिखा कर दादी ने उससे कहा, ” क्या तुम इस कटोरे के बदले मुझे वह दे सकते हो, जो मेरी पोती को पसंद आ जाए ? फेरीवाले ने कटोरा हाथ में लिया और उसे किसी धातु के टुकड़े से रगड़ा। वह कटोरा सोने का था। वह लालची था और बुढ़िया को उसको असली कीमत नहीं देना चाहता था। वह बोला, “यह बेकार है और किसी काम का नहीं है। इसके बदले कुछ नहीं मिल सकता।

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फेरीवाले की ईमानदारी और नन्ही लड़की

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उसने मन ही मन योजना बना ली थी कि वह दोबारा आएगा और उस कटोरे को ले जाएगा। उसके जाते ही दूसरा फेरीवाला वहां आया। नन्ही लड़की ने अपनी दादी से कहा कि वह उसी से कुछ खरीद दे। दादी बोली, “बेटी, तुमने देखा नहीं, वह फेरीवाला कह गया है कि यह कटोरा बेकार है । इसके बदले हमें कुछ नहीं मिल सकता। दादी देखो, यह फेरीवाला मुझे भला आदमी लगता है।

वह इस कटोरे के बदले हमें अवश्य ही कुछ न कुछ दे सकता है, ” नन्ही लड़की बोली। बुढ़िया दूसरे फेरीवाले के पास गई और उस कटोरे के बदले कुछ मांगा। वह फेरीवाला एक ईमानदार व्यक्ति था। उसे भी पता चल गया था कि कटोरा सोने का है। अरे अम्मा! यह कटोरा तो सोने का है। मेरा सारा सामान भी इसकी कीमत नहीं चुका सकता,” वह बोला। बुढ़िया बहुत हैरान थी। “लेकिन अभी कुछ देर पहले किसी ने कहा था कि यह किसी काम का नहीं है, ” वह फेरीवाले से बोली।

“नहीं अम्मा! यह कटोरा बहुत कीमती है,” फेरीवाले ने जवाब दिया। “तो क्या तुम मेरी पोती के लिए कुछ दे सकते हो क्योंकि इस कटोरे की अब मुझे कोई जरूरत नहीं है, ” बुढ़िया ने कहा। “मैं इसके बदले तुम्हें अपना सारा सामान दे सकता हूं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे चंद सिक्के दे दो ताकि मैं इन्हें नाव वाले को दे सकूं जो मुझे नदी के पार ले जाएगा।” बुढ़िया ने उसे चंद सिक्के दे दिए और बदले में फेरीवाले ने कटोरा ले कर उसे अपना सारा सामान दे दिया। वह नाव की ओर रवाना हो गया और नाव वाले से बोला, “जल्दी चलो और कहीं रुकना मत।”

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थोड़ी ही देर में दूसरा फेरीवाला बुढ़िया के घर गया और बोला, “वह कटोरा मुझे दे दो। मैं उसके बदले तुम्हें कुछ न कुछ दे देता हूं। वह तो मैंने उसे किसी दूसरे फेरीवाले को दे दिया है, ” बुढ़िया ने कहा। बेचारा फेरीवाला हैरान हो गया। उसके हाथ में आई कीमती चीज उसकी अपनी चालाकी के कारण दूसरे के पास चली गई थी। वह अपने साथी को देखने के लिए नदी की तरफ दौड़ा और उसे देखते ही चिल्लाया, “अरे। वापस आ जाओ।

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लेकिन नाव वाले ने नाव नहीं रोकी और उसे नदी में दूर तक ले गया। कुछ ही दिनों में वह फेरीवाला एक बड़ा व्यापारी बन गया। किसी ने सच ही कहा है कि ईमानदारी का फल अच्छा होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा सच्चाई और ईमानदारी पर अड़ी रहनी चाहिए। यह हमारे आपकी नेतृत्व क्षमता को बढ़ाती है।