Hindi Kahaniyan: खुशहालगंज गांव के पास हिरणों का एक झुंड रहता था। वो हिरण बहुत सावधान रहते थे क्योंकि उन्हें पता था कि अगर गांव वालों ने उन्हें गांव के पास या खेत में देख लिया तो वे उन्हें अपने जाल में फांस लेंगे। उनके झुंड में एक बहुत सुंदर हिरणी भी रहती थी, जो लाल बालों, बड़ी और सफेद पूंछ तथा मखमल जैसी आंखों के कारण बहुत प्यारी दिखती थी।
उस इलाके का एक हिरण उसे पसंद करने लगा। वह आते-जाते उसका पीछा करता। हिरण को लगता था कि उसे हिरणी से प्रेम हो गया है। लेकिन समझदार हिरणी जानती थी कि वह केवल उसकी सुंदरता की ओर आकर्षित हो रहा था।

हिरणी को अपनी प्रशंसा सुनना अच्छा तो लगता था लेकिन हिरण को लेकर उसे चिंता भी होने लगी थी। वह हिरण बहुत सुंदर था लेकिन साथ ही मूर्ख भी। वह कभी गांवों के आसपास नहीं रहा था इसलिए उसे वहां के खतरों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वह हमेशा हिरणी का पीछा करता रहता। ऐसा करते समय उसे आसपास का कोई ध्यान नहीं रहता था। वह किसी तरह की सावधानी भी ना बरतता था।
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एक पेड़ पर रहने वाली परियां भी यह सब देखती रहती थीं। उनमें से कुछ को तो यह सब देखना बहुत अच्छा लगता था कि हिरणी को हिरण कितना चाहता है जबकि कुछ परियां हिरण को उसकी बेवकूफी के लिए कोसती थीं। उनमें से एक परी तो हिरण के लिए चिंतित भी रहने लगी। वह जान रही थी कि मूर्ख हिरण पर कभी भी मुसीबत आ सकती थी।
एक रात, जब हिरणी सभी की नजरें बचाते अकेली गांव की ओर जाने लगी तो हिरण भी उसके पीछे-पीछे चल दिया। वह उसकी तारीफों के पुल बांधता जा रहा था। वह चाहता था कि हिरणी उससे मित्रता कर ले। हिरणी ने झुंझलाते हुए हिरण से चुप होने को कहा।

उसने हिरण को समझाया, “तुम गांवों के पास रहने के आदी नहीं हो। तुम नहीं जानते कि यहां क्या हो सकता है इसलिए मेहरबानी करके या तो वापस चले जाओ या फिर अपना मुंह बंद रखो। क्योंकि तुम इसी तरह अपना राग अलापते रहे तो अपने साथ-साथ मुझे भी मरवा दोगे। गांवों के आसपास बहुत सावधानी से जाना पड़ता है। बेहतर तो यही होगा कि तुम मेरा पीछा करने की बजाए जंगल वापस चले जाओ।”
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हिरण को लगा कि अपनी शान दिखाने का यही सही समय है। वह हिरणी से आगे-आगे चलने लगा ताकि दिखा सके कि उसे तो सब कुछ पता है । हिरणी तेजी से अपने आसपास देखते हुए आगे बढ़ती रही।
एक गांव वाले ने सामने से दो हिरणों को आते हुए देख लिया था। वह घात लगा कर बैठ गया। ज्यों ही हिरण कुलांचें भरता हुआ आगे आया वह शिकारी के जाल में उलझ गया और शिकारी ने उसे एक ही बाण के वार से मार गिराया।

हिरणी सावधान थी। मगर बुरी तरह से डर गई। हिरण की दशा को देखकर उसने किसी तरह जंगल में भाग कर अपनी जान बचाई। उसके पास इसके अलावा दूसरा कोई मार्ग नहीं था।
हिरण के लिए चिंतित रहने वाली परी बोली, “सारा दोष हिरण का ही है। वह उस हिरणी के मोह में पागल था। उसे सावधान रहना चाहिए था। हिरणी ने भी तो उसे चेतावनी दी थी। लेकिन उसने उसकी एक नहीं सुनी, और अपनी इसी मूर्खता के कारण वह मारा गया।”
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी के मोह में इतना अंधा नहीं होना चाहिए कि हमें अपने आस-पास खड़ी मुसीबतें ना दिखाई दे। हमें किसी दूसरे की सलाह भी माननी चाहिए।