Hindi Kahaniyan: एक बूढ़ा व्यापारी बोधिसत्व यानी मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग था। वह पांच सौ बैलगाड़ियों में अपना सामान लाद कर अलग-अलग नगरों और शहरों में बेचते हुए घूम रहा था। उसके दल के साथ और भी कई व्यापारी तथा सहायक थे।
व्यापारी ने उन सभी को सावधान करते हुए कहा, “तुम जब भी किसी स्थान से गुजरो, वहां तुम्हें कई प्रकार की अद्भुत चीजें नजर आ सकती हैं। लेकिन सावधान रहना। वह कोई जहरीला भोजन, जहरीला फल या पेड़ की जहरीली पत्तियां हो सकती हैं। तुम्हें उनसे बच कर रहना है।” सभी ने उसकी बात सुन कर हामी भरी।
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एक बार व्यापारी का काफिला एक गांव में जाने के लिए किसी जंगल से गुजरा। गांव के नजदीक ही किसी पेड़ पर सुंदर फल लगे हुए थे। वे फल पके हुए आमों जैसे दिख रहे थे। व्यापारी के आदमी थक चुके थे और भूखे भी थे। वे आराम करने के लिए वहां रुक गए और उनमें से कुछ ने पेड़ से फल तोड़कर खाने शुरू कर दिए।
…लेकिन जैसे ही उन्होंने फल मुंह में डाले, वे जमीन पर गिर पड़े और बेहोश हो गए क्योंकि से फल बहुत जहरीले थे। उनके साथियों ने व्यापारी के आने का इंतजार किया।

जल्दी ही व्यापारी भी अपने कारवां के साथ वहां आ पहुंचा और वहां का नजारा देखते ही समझ गया कि क्या हुआ होगा। उसने तुरंत ही अपने साथियों का इलाज किया और वो बच गए।
अगली सुबह कुछ गांव वाले दौड़ते हुए उस पेड़ की और आए क्योंकि जब भी कोई कारवां वहां से गुजरता तो रात गुजारने के लिए वहां जरूर रुकता था और सुबह जब सारे लोग जहरीले फल खा कर मारे जाते तो वे उनका सामान लूट लेते थे। लेकिन इस बार वे हैरान थे कि सभी जीवित थे।
उनमें से एक आदमी ने उत्सुकतावश पूछा, “तुम्हें कैसे पता चला कि यह फल खाने लायक नहीं हैं?” “हमारे मालिक ने इसके बारे में हमें सावधान किया था,” उन्होंने कहा।
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गांव वालों ने व्यापारी से इसके बारे में पूछा कि उसे कैसे पता चला कि यह जहरीले फलों का पेड़ है। “मेरे दोस्त । इस पेड़ पर चढ़ना बहुत आसान है। तुम्हारे गांव के नजदीक ही इतने सुंदर फलों का पेड़ है और हैरानी वाली बात यह है कि इन्हें अभी तक किसी में नहीं तोड़ा। इसका मतलब साफ है कि यह फल खाने लायक नहीं हैं…. और जहरीले हो सकते हैं।” व्यापारी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

सभी गांववाले उसकी बुद्धिमत्ता का लोहा मान गए और बोधिसत्व की बातों से प्रभावित हो कर उन्होंने जहरीले फलों वाला वह पेड़ ही कटवा दिया ताकि कोई दूसरा उन्हें खा कर अपने प्राणों का त्याग ना करे।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बगैर सोचे-समझे हमें कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए। हमें परिस्थिति को देखते हुए अपने कदम उठाने चाहिए।