Hindi Kahaniyan: खूबसूरत हिरण और शहद जैसी मीठी घास

Hindi Kahaniyanखूबसूरत हिरण और शहद जैसी मीठी घास

Hindi Kahaniyan: गढ़वाल के राजा का एक बहुत सुंदर बगीचा था। उन्होंने बगीचे की देखरेख करने वाले माली को हुक्म दिया कि अगर कोई विचित्र जीव बाग में आए तो उन्हें अवश्य बताया जाए। राजा को तरह-तरह के पशुओं को महल में रखने का शौक था।

एक दिन माली ने उन्हें बताया कि उनके बाग में एक पवन मृग घास चरने आता है। पवन मृग को लोगों से बहुत शर्म आती है और अगर वह किसी को अपने आस-पास देख ले तो हवा से भी तेज गति से भाग कर गायब हो जाता है। महाराज चाहते थे कि माली उस हिरण को बाग में ही रोक कर रखे। माली ने एक योजना बनाई। उसने इस काम को करने के लिए राजा से थोड़ा शहद मांगा। महाराज ने शहद की व्यवस्था करवा दी।

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अब जब वह हिरण बाग में चरने आया तो उसने पाया कि घास का स्वाद तो शहद की तरह मीठा था। उसे यह स्वाद बहुत भाया। वह हर रोज शहद जैसी मीठी घास खाने के लिए वहां आने लगा। हिरण को माली की मौजूदगी की भी आदत हो गई। मीठी घास के लालच के कारण वह रोज वहां बाग में आ जाता।

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खूबसूरत हिरण और शहद जैसी मीठी घास

एक दिन माली पवन हिरण के पास चला गया। वह देखना चाहता था कि हिरण उससे डरता है या नहीं। हिरण मजे से घास चरता रहा। माली ने बाग से लेकर महल तक चारों ओर तंबू लगवा दिए।

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हिरण इन पर्दों के कारण माली के सिवा किसी दूसरे इंसान को नहीं देख सका। माली धीरे-धीरे हिरण को मीठी घास का लालच देकर बहलाते हुए महल तक ले गया।

महाराज हिरण को देखकर बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने ऐसा हिरण पहले नहीं देखा था। लेकिन उनकी प्रसन्नता कुछ ही पलों में चिंता में बदल गई।

पवन हिरण बहुत शर्मीला होता है। अगर यह किसी इंसान को देख ले तो बुरी तरह से डर जाता है, फिर वो उस स्थान पर वापस नहीं जाता। पवन हिरण बुरी तरह से डर कर इधर-उधर भागने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अचानक बाग में शहद जैसी मीठी घास खाते-खाते महल में कैसे पहुंच गया।

उसके लिए यह सब कुछ बहुत नया और अनूठा था। महल में सभी लोग उसे घूर रहे थे और तरह-तरह की आवाजों से उसे फुसलाना चाह रहे थे। हिरण को लगा कि वे सब मिलकर उसे मारना चाहते हैं। वह हैरान-परेशान हो गया। वह उस दिन को कोसने लगा जब उसने मीठी घास के लालच में बाग में आना शुरू किया था।

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पवन हिरण वहां उदास रहने लगा। उसने खाना-पीना छोड़ दिया। उसकी देखभाल करने वाले सेवकों ने राजा को सूचना दी कि यदि ऐसी ही स्थिति रही, तो हिरण को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। राजा स्वयं हिरण को देखने गया।

महाराज हिरण की दशा को देख कर दुखी हो गए। वे उसे अपने महल में रखना चाहते थे, लेकिन उसकी दुर्दशा देख कर उन्होंने तय किया कि वे उसे आजाद कर देंगे। उन्होंने तुरंत उसे जंगल में वापस भेजने की व्यवस्थ करवा दी।

बुद्धिमान राजा ने यह सारा दृश्य देख कर अपने दरबारियों से कहा, “यह घटना हमारे लिए किसी सीख से कम नहीं है। हमें हमेशा खुद पर काबू रखना चाहिए और किसी भी वस्तु को पाने की चाह में अंधा नहीं होना चाहिए वर्ना हमारी भी वही दशा होगी जो इस पवन मृग की हुई।”

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि खुद पर काबू रखना जरूरी है। किसी चीज को पाने के लिए हमें उसके लिए चुकाने वाली कीमत के बारे में नहीं भूलना चाहिए। यानी किसी वस्तु की चाह में कभी अंधा नहीं होना चाहिए।

Q&A

Q. इस कहानी में राजा कहां का शासक था?
Ans. कहानी में राजा गढ़वाल का शासक था

Q. पवन मृग को किस चीज का लालच दिया गया?
Ans. पवन हिरण को शहद जैसी मीठी घास का लालच दिया गया।

Q. पवन हिरण को पकड़ने के लिए किसने योजना बनाई?
Ans. पवन हिरण को फंसाने के लिए माली ने घास में शहद मिलाने की योजना बनाई।

Q. अपने आस-पास भीड़ को देखकर पवन हिरण ने कैसा बर्ताव किया?
Ans. दरबारियों को देखकर पवन हिरण परेशान होकर यहां-वहां भागने लगा था।