Hindi Kahaniyan: मोर होने का गुमान

Hindi Kahaniyanमोर होने का गुमान

Hindi Kahaniyan: सभी जानवर और मछलियों ने मिल कर अपने लिए नेता चुन लिए थे। पक्षियों ने भी सोचा कि उनका भी कोई राजा होना चाहिए। उन्होंने सुनहरे हंस (golden swan) को अपना राजा बनाया। सुनहरे हंस की एक प्यारी सी बिटिया थी। उसने सोचा कि वह अपनी बेटी की एक इच्छा जरूर पूरी करेगा। उसने अपनी बेटी को समझाते हुए कहा, “जब तुम विवाह के लायक हो जाओगी तो अपना पति स्वयं चुनना । ”

समय बीता। सुनहरे हंस की बेटी की आयु जब विवाह के योग्य हुई तो उसने सारे पक्षियों को बड़े पहाड़ पर बुलवाया। वहां मध्य एशिया, तिब्बत और सुदूर इलाकों से भी पक्षी आए। यह समारोह नेपाल देश में एक ऊंचे पहाड़ पर मनाया जा रहा था।

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वहां कई प्रजातियों के पक्षी आ पहुंचे, जैसे- हंस, बतख, उल्लू, मोर, चिरैय्या, गरुड़, चिड़िया, मुर्गे आदि। पक्षियों के राजा की बेटी का यह समारोह देखने के लिए जंगल के कुछ दूसरे जानवर भी पहुंचे हुए थे। वे सभी देखना चाहते थे कि सुनहरे हंस की बेटी अपने लिए किस पक्षी को पति के रूप में चुनती है।

समारोह की जगह बहुत ही हरी-भरी थी और सारे पक्षी आसपास के पेड़ों व चट्टानों पर बैठे थे। सुनहरे हंस ने अपनी बेटी से कहा कि वह वहां आए और उन पक्षियों में से अपने लिए पति चुन ले। उसकी बेटी ने सभी पक्षियों को देखा। तभी उसकी नजर सुंदर पंखों वाले मोर पर पड़ी। उसने कहा, “पिताजी! मुझे यह मोर बहुत पसंद है। मैं इसे ही अपना पति बनाना चाहती हूं।”

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सुनहरे हंस ने मोर को देखा। इसी दौरान, मोर ने भी सुनहरे हंस और उसकी बेटी की सारी बात सुन ली थी। वह खुशी से झूम उठा। उसे चुन लिया गया था। कुछ दूसरे पक्षियों ने भी यह सुना और वे उसे बधाई देने के लिए आगे आ गए। बाकी पक्षी उसे जलन से देखने लगे। वे सोच रहे थे कि मोर कितना किस्मतवाला है, जो उसे राजा की बेटी से विवाह करने का अवसर मिल रहा है। हंस की बेटी बहुत सुंदर थी।

मोर को खुद पर घमंड हो रहा था। उसने अपनी गर्दन अकड़ाई और जोर से एक सुर निकाला। वह बार-बार अपने पंखों को बंद – खोल कर लहराने लगा और अपनी पूंछ फैला कर अपनी सुंदरता का प्रदर्शन करने लगा। उसने ऐसा करते समय यह नहीं देखा कि सुनहरे हंस को उसका ऐसा बर्ताव पसंद नहीं आ रहा है। कुछ छोटे पक्षी मुंह छिपाए हंस रहे थे, वे उसके दिखावे को देख मन ही मन उसका मजाक उड़ा रहे थे। जबकि मोर को लग रहा था कि ऐसा करने से उसकी शान बढ़ रही है।

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अचानक सुनहरे हंस ने मोर को कहा, “श्रीमान्, इस बात में कोई शक नहीं कि आप बहुत सुंदर हैं। आपकी सुंदर पूंछ, आपकी गर्दन का रंग, आपकी पुकार- सब कुछ बहुत ही अच्छे हैं। “लेकिन मैं कभी नहीं चाहूंगा कि आप जैसा मूर्ख मेरी बेटी से शादी करे। आपको तो जरा भी लज्जा नहीं आती। आप झूठा दिखावा करते हुए लोगों के बीच अपना तमाशा बना रहे हैं। श्रीमान्, शरीर की सुंदरता से श्रेष्ठ होती है मन की खूबसूरती, जो आप में बिलकुल नहीं है। ”

घमंडी मोर अपनी पूंछ घसीटते हुए वहां से चला गया। इसके बाद सुनहरे हंस ने सभ्य और सुंदर हंस के साथ अपनी बेटी का विवाह कर दिया। वह अपने पति के साथ खुशी से रहने लगी।

निष्कर्ष (Conclusion)

घमंडी विचारधारा वाला वाला व्यक्ति का अंत बहुत बुरा होता है। जब इंसान में घमंड आ जाता है तो अपने भी धीरे धीरे दूरिया बना लेते है।