Hindi Kahaniyan: किसी जंगल में एक गुरु जी रहते थे। वे बहुत ही बुद्धिमान थे। उनके आश्रम में पांच सौ छात्र पढ़ते थे। उनके एक छात्र को पालतू जानवर रखने का बहुत शौक था। लोग उसे पशुप्रिय कहते थे। एक दिन उसे जहरीले सांप का एक छोटा-सा बच्चा मिला। उसे वह देखने में बहुत सुंदर लगा। वह उसे पालने के लिए अपने साथ ले आया। उसने पहले कभी सांप का इतना सुंदर बच्चा नहीं देखा था।
उसने बांस से एक पिटारा तैयार किया ताकि जब वह घर में न हो तो उसका पालतू सांप सुरक्षित रह सके। वह सांप को दूध पिलाता, उसे दुलारता और उसके साथ बातें करता। बाकी छात्रों ने उसके सांप का नाम बांस ही रख दिया था और वे उस छात्र को बांस का पिता कहने लगे थे। एक दिन गुरु जी ने भी सुना कि उनके एक छात्र ने सांप को पालतू बना रखा है। उन्होंने उसे बुला कर पूछा, “क्या तुमने एक सांप को पाला है?”

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“जी गुरुजी ! वह बहुत प्यारा सांप है।” गुरु जी बोले, “क्या तुम्हें पता है कि सुंदर दिखने वाला तुम्हारा नन्हा सांप जहरीला है, उसके डंसने से कोई मर भी सकता है।” ‘महोदय! वह तो मेरे बेटे की तरह है। मैं उससे बहुत प्यार करता हूं.” छात्र ने उत्तर दिया। “तुम्हें इसे जंगल में छोड़ आना चाहिए। वह पालतू बनाने लायक नहीं है। इससे औरों को ही नहीं तुम्हें भी नुकसान हो सकता पुत्र!
मैं तो चाहता हूँ कि तुम सब सही सलामत रहो, पर न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि यह सांप ही तुम्हारी मौत का कारण बनेगा। मैं चाहता हूं कि तुम इस मामले में बहुत सावधान रहो। क्या तुम सावधान रहोगे?” गुरु जी ने अपने शिष्य को सावधान किया। उस छात्र ने अपने गुरु की बात अनसुनी की और वहां से चल दिया। उसे लग रहा था कि वह अपने सांप को सबसे बेहतर जानता है। इसलिए वह उस सांप को जंगल में छोड़ कर नहीं आया।

एक दिन सारे छात्र जंगल में फल तोड़ने गए। इस काम में बहुत समय लगने वाला था, इसलिए बांस का पिता अपने सांप को पिटारे में बंद करके चला गया। छात्रों को जंगल में अपने काम को पूरा करने में थोड़ा ज्यादा समय लग गया। जब सबने भरपूर फल तोड़ लिए तो वे वापस आश्रम पहुंचे। बांस का पिता अपने सांप के लिए चिंतित था। वह बेचारा कितने समय से पिटारे में भूखा-प्यासा बैठा था। उसने सोचा, “सबसे पहले जाते ही बांस को पिंजरे से निकाल कर दूध पिलाऊँगा, उसे भूख लगी होगी।”
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जब वह घर पहुँचा तो उसने झट से पिटारा खोला। सांप भूखा था और क्रोधित भी। उसने झट से अपने पालनहार के हाथ में ही काट लिया। सांप का स्वभाव कभी नहीं बदल सकता। छात्र ने अपने गुरु की अच्छी सलाह पर ध्यान नहीं दिया और उसे अपनी जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता की कीमत चुकानी पड़ी। क्या कभी सांप भी किसी का पालतू बनता है। कुछ ही क्षणों में बांस का पिता इस दुनिया से चल बसा।
निष्कर्ष (Conclusion)
दूसरों से बिना वजह और किसी भी मामले में अपनी तुलना न करें।