Hindi Kahaniyan: लालच बुरी बला

Hindi Kahaniyanलालच बुरी बला

Hindi Kahaniyan: बनारस में एक धनी व्यक्ति के घर में पक्षियों को दाना-पानी दिया जाता था। जब पक्षी दाना चुगने आते तो उन्हें देख कर बहुत अच्छा लगता। पक्षियों के दाने पानी का स्थान रसोई के पास ही था, जहां दुष्ट रसोइया रहा करता था। उसके हाथ जो भी पक्षी लगता, वह उसे मार कर खा जाता। सभी पक्षी दुष्ट रसोइए से डर कर ही दाना चुगने जाते थे। वे हमेशा उसकी नज़रों से बचने की कोशिश करते।

उस जगह के पास ही एक मासूम कबूतर रहता था। वह रसोइए के डर के मारे कभी पक्षियों के लिए रखे गए भोजन के पास नहीं फटकता था। हर सुबह वह अपना पेट भरने के लिए उड़ जाता और जब उसका पेट भर जाता तो वह आ कर अपने घोंसले में सो जाता। वह शांतिपूर्वक जीवन बिता रहा था।

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वहीं पास में एक कौआ रहता था, जो बहुत ही चंचल स्वभाव का था। वह कुछ भी खा लेता था। वह अक्सर रसोई में बन रहे पकवानों पर नज़र रखता। वह यही योजना बनाता रहता था कि रसोई में पक रहे मांस या मछली पर हाथ कैसे साफ किया जाए। उसने अपने पड़ोसी कबूतर को देख कर योजना बनाई कि वह. उसका सहारा लेकर, रसोई तक जाएगा।

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लालच बुरी बला

अगले ही दिन, जब कबूतर अपना दाना चुगने के लिए जाने लगा तो कौआ उसके पीछे जा कर चापलूसी करने लगा, “मुझे तो तुम्हारा जीने का शांत तरीका बहुत पसंद है। मैं तुम्हें खाते समय तंग नहीं करूंगा। मैं अपना खाना खुद ही खोज लूंगा। मुझे भी अपने साथ ले चलो।” कबूतर को हैरानी तो हुई पर वह कौए को साथ रखने के लिए मान गया। जब कबूतर हर रोज अपने लिए शांतिपूर्वक भोजन की तलाश करता तो कौआ कीड़े-मकोड़े, मरे हुए चूहे और छोटे पक्षियों की तलाश में रहता ।

जल्दी ही कौए को लगने लगा कि कबूतर के साथ जाने से कोई फायदा नहीं है। एक दिन रसोई में बहुत सारा ताजा मांस लाया गया। रसोइए ने उसे साफ करके बाहर सूखने के लिए तारों पर टांग दिया। कौआ उसे देख कर ललचाने लगा। उसने कबूतर से कहा, 144 ‘आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकता।” कबूतर ने उसकी आंखों में लालच देख लिया था। वह समझ गया था कि कौआ रसोई के बाहर पड़ा मांस खाना चाहता है।

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उसने कहा, “बेहतर होगा कि हम वही भोजन करें जो हमारे लिए बना है। हमें मनुष्यों के लिए बने भोजन का लालच नहीं करना चाहिए।” कौए ने कबूतर की बात अनुसनी कर दी। कबूतर वहां से चला गया। उसके जाने के बाद कौए ने देखा कि रसोइए ने मांस को पतीले में रख कर ढंका और आराम करने चला गया। अब कौए को रसोई में जाने का मौका मिल गया था।

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वह रसोई की खिड़की में गया। उसने पतीले का ढक्कन हटा कर चाँच में एक मछली पकड़ ली। तभी अचानक पतीला गिर गया और उसकी आवाज सुन कर रसोइया वहां आ गया। कौआ वहीं पकड़ा गया। वह चोंच में पकड़ी बड़ी मछली के कारण उड़ कर अपनी जान नहीं बचा सका। रसोइए ने कौए को पकड़ कर उसे भी अपना भोजन बना लिया। कौए को लालच का फल मिल गया था।

निष्कर्ष (Conclusion)

दूसरों की ख़ुशी और उनके पास जरूरत की हर चीज़ को देखकर अकसर लोग लालच करते हैं, ऐसा करना सही नहीं माना जाता।