Hindi Kahaniyan: किसी शहर में एक बढ़ई रहता था। वह गंजा था। उसका सिर हमेशा चमकता रहता था। उसे अपने सिर पर बाल रखना पसंद नहीं था इसलिए वह अपने सारे बाल कटवा कर खोपड़ी पर तेल लगा कर रखता था। उस चमक से खिंच कर कीट-पतंगे उसके सिर के आसपास मंडराते रहते थे। वह इन कीड़ों से बहुत तंग आ गया था। एक खास तरह का मच्छर तो कभी उसका पीछा ही नहीं छोड़ता था।
वह लगातार सिर के आसपास भिनधिभन करता रहता। उस मच्छर के कारण कुछ भी करना मुश्किल हो गया था। उस मच्छर के बैठते ही सिर में खुजली होने लगती थी। एक दिन बढ़ई अपना काम कर रहा था। वह लकड़ी के एक टुकड़े को छील कर मुलायम बना रहा था। उसका गंजा सिर चमचमा रहा था। मच्छर बहुत खुश था, उसने देख लिया था कि बढ़ई अपने काम में मग्न है इसलिए वह उसे परे नहीं हटा सकेगा।

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वह मजे से बढ़ई के सिर पर बैठ गया और बड़े मजे में उसका खून चूसने लगा। जब बढ् से रहा नहीं गया तो उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा, ‘बेटा! तू यहीं खड़ा रह और ध्यान रख ताकि मैं चैन से काम कर सकूं। इस मच्छर ने पूरी जान मुसीबत में डाल रखी है।” बढ़ई फिर अपना काम करने लगा। बढ़ई का बेटा अपने पिता की तरह समझदार नहीं था। वह कि उसके आसपास ऐसा क्या है, जिससे वह मच्छर को परे रख ने लगा सकता है।
पत्तों वाली टहनी, कागज का टुकड़ा, तौलिया कोई भी चीज मच्छर को परे नहीं कर पा रही थी। तभी उसकी नजर वहां रखी कुल्हाड़ी पर गई। उसने उसे ही उठा लिया। वह मच्छर के बैठने का इंतजार करने लगा। वह एक ही वार में मच्छर का काम तमाम करना चाहता था। उसने कुल्हाड़ी की धार देख कर सोचा, “ये सही चीज हाथ आई है। मच्छर, अब तेरी खैर नहीं!” बढ़ई के बेटे ने कुल्हाड़ी उठा ली। अगर वह अपनी कुल्हाड़ी से बढ़ई के सिर पर बैठे मच्छर को मारता, तो निश्चित रूप से बढ़ई का सिर भी कट जाता और उसकी मृत्यु हो जाती ।
राजा का एक सलाहकार उसी रास्ते से जा रहा था। उसने जब यह दृश्य देखा तो वह बुरी तरह से डर गया। उसने बढ़ई को सावधान किया और फिर महल में लौट कर राजा को बढ़ई के मूर्ख बेटे के बारे में बताया। राजा ने मुस्कुरा कर कहा, “मित्र, हमारे राज्य में वही एक मूर्ख नहीं है। जब मैं बहुत छोटा था, तो घोड़े पर सवार हो कर एक गांव से निकलते समय मैंने देखा था कि एक औरत बड़ी-सी ऊखल में मूसल से धान कूट रही थी। उसके ऊपर बार-बार मक्खियां भिनक रही थीं, जो उसे काम नहीं करने दे रही थीं।

जब वह बुरी तरह से चिढ़ गई तो उसने अपनी बेटी से कहा कि वह उन मक्खियों को भगा दे। उसकी बेटी आज्ञाकारी तो थी पर वह भी बढ़ई के बेटे की तरह मूर्ख थी। कुछ भी करने से पहले वह यह नहीं सोचती थी कि परिणाम क्या होगा। वह जल्दी से आगे आई और अपनी मां के आसपास बाजुएं लहराने लगी, पर मक्खियों को इससे कोई अंतर नहीं पड़ा। मक्खियों को इससे क्या फर्क पड़ने वाला था।
उसने खीझ कर मूसल उठाया और मक्खियों पर दे मारा। उसने दो मक्खियां मार दीं और अपनी मां को बताने के लिए पलटी पर उसकी म तो धरती पर लहूलुहान हुई पड़ी थी। मूसल उसके सिर पर लगा था और मक्खियों के साथ-साथ वह भी जान से जाती रही थी।”सलाहकार यह सुन कर दंग रह गया। उसने मान लिया कि सचमुच इस दुनिया में मूखों की कमी नहीं है। एक खोजने निकलो, हजार मिलते हैं।
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ज्यादातर लोग तो इसीलिए दुखी रहते हैं, क्योंकि वह कुछ करने से पहले परिणाम के बारे में नहीं सोचते हैं।सने बंदरों को बाग उजाड़ने से रोका और उसने समझाया कि छोटे पौधों को कम और बड़े वृक्षों को ज्यादा पानी की जरूरत है। माली जब वापस आया, तो सब ठीक था।
निष्कर्ष (Conclusion)
कभी भी किसी मूर्ख व्यक्ति को सलाह नहीं देना चाहिए, वरना हमारा ही नुकसान हो सकता है।