Hindi Kahaniyan: बनारस नगरी में बोधिसत्व ने एक बछड़े के रूप में जन्म लिया। उसे एक अमीर आदमी ने खरीद लिया। वह बछड़े को बहुत प्यार और दुलार से रखता था। उसकी बहुत सेवा करता। उसने उसका नाम गोपाल रखा था। वह बछड़ा बड़ा हो कर एक बहुत ही नरमदिल और शक्तिशाली बैल बना।
गोपाल चाहता था कि उसके मालिक ने उसकी जो भी सेवा की है, वह उसके लिए अपना आभार प्रकट करे। एक दिन उसने मालिक से कहा, “स्वामी! आप किसी ऐसे व्यापारी को बुलाएं, जिसे अपने बैलों की ताकत पर बहुत घमंड हो। उसे न्यौता दें कि वह सौ भरी हुई गाड़ियां खींचने की प्रतियोगिता में अपने बैलों को लाए।”
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धनी व्यक्ति ने ऐसे व्यापारी को खोजा और उसे अपने बैल की बात बताई। व्यापारी बोला, “असंभव ! ऐसा कोई बैल नहीं हो सकता। हमारे राज्य में ऐसा कोई बैल नहीं है।”
धनी व्यक्ति ने उत्तर दिया- “हम प्रतियोगिता रखते हैं, आप – वहां देख लीजिएगा।”
व्यापारी ने कहा- “ठीक है, मैं एक हजार सोने के सिक्कों की शर्त लगाता हूं।”

प्रतियोगिता के लिए स्थान तय कर लिया गया। 100 गाड़ियों में रेत और बजरी भरी हुई थी, जिनके कारण वे बहुत भारी हो गई थीं। धनी व्यक्ति ने गोपाल को पहली गाड़ी से बांध दिया।
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दुर्भाग्य से उसी समय उस धनी व्यक्ति के मन में अपने पद का दिखावा करने का भाव आ गया, और उसने गोपाल पर अपना कोड़ा बरसा कर कहा, “चल भई हिल कर ती दिखा मूर्ख!”
गोपाल तो अत्यंत श्रेष्ठ आत्मा था। उसे यह सहन नहीं था कि कोई उसके साथ इस तरह पेश आए । धनी व्यक्ति के बुरे बर्ताव को देखते हुए वह वहां से थोड़ा भी हिलने को तैयार न हुआ। वह किसी भी तरह से बहलाने-फुसलाने से भी नहीं माना।

व्यापारी ने धनी व्यक्ति की खिल्ली उड़ाई। वह प्रतियोगिता जीत गया था। उसने एक हजार सोने के सिक्के लिए और चलता बना। धनी व्यक्ति पराजित हो कर अपना सा मुंह ले कर रह गया। बाद में उसने दयनीय भाव से गोपाल से पूछा, “अगर तुमने गाड़ियों का भार नहीं ढोना था तो मुझे ऐसा करने को कहा क्यों?”
गोपाल ने कहा, “मालिक ! आप मेरे साथ हमेशा दयालुता पूर्ण बर्ताव करते आए हैं इसलिए मैं आपके एहसान का बदला चुकाना चाहता था। लेकिन आपने आज से पहले मुझे कभी मूर्ख नहीं कहा था और न ही मुझे फटकारा था। आज आपने सभी लोगों के बीच ऐसा क्यों किया?”
धनी व्यक्ति अपनी भूल पर शर्मिंदा हो गया। कुछ ही दिन बाद, गोपाल को उस पर दया आई और उसने सुझाव दिया कि उसे व्यापारी को फिर से चुनौती देनी चाहिए।
इस बार 2 हजार सोने के सिक्कों की शर्त रखी गई। धनी व्यक्ति ने वही किया, जैसा गोपाल ने करने को कहा था।
व्यापारी बहुत खुश था। उसे लगा कि वह इस बार भी जीत जाएगा। पर इस बार उसकी बात नहीं बनी। धनी व्यक्ति ने गोपाल को जोतते हुए कहा, “मेरे बच्चे! मेरी मदद करो।” और एक हुंकार के साथ गोपाल ने 100 गाड़ियों के भार को खींच कर दिखा दिया।
व्यापारी इतना शक्तिशाली बैल देख कर हैरान रह गया। धनी व्यक्ति को अपना धन वापस मिल गया… यह सब दयालुता से भरे कोमल शब्दों का ही प्रभाव था।
निष्कर्ष (Conclusion)
हमें अपने शब्दों पर ध्यान रखना चाहिए। किसी से भी कठोर शब्दों में बात नहीं करनी चाहिए। कई बार दयालुता से कहा गया मुश्किल काम भी सामने वाला हंसी-खुशी स्वीकार कर लेता है।