Hindi Kahaniyan: घोड़ा और ‘मटमैली नदी’

घोड़ा और 'मटमैली नदी'

Hindi Kahaniyan: 19वीं सदी का समय था। मथुरा राज्य में राजा विश्वजीत के पास कई घोड़े थे, जिन्हें बहुत ही संभालकर रखा जाता था। उन्हें बढ़िया भोजन दिया जाता था और समय-समय पर उनकी मालिश भी की जाती थी।

इन घोड़ों के लिए सहायकों की एक टुकड़ी भी थी। घोड़ों को पास की एक नदी पर नहलाने के लिए ले जाया जाता था, लेकिन महाराज विश्वजीत अपने सबसे प्यारे घोड़े को नदी की बजाए, पास ही बने एक तालाब में नहलाने के लिए भेजते थे, जिसमें साफ पानी भरा रहता था। राजा के प्रिय घोड़े की सहायक विशेष देखभाल किया करते थे।

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घोड़ा और ‘मटमैली नदी’

एक दिन, घोड़े ने स्नान के लिए तालाब में जाने से मना कर दिया। दरअसल, उस दिन तालाब में पहले कोई मिट्टी में सना घोड़ा नहाने के लिए घुस गया था, जिसकी वजह से सारा पानी मटमैला हो गया था और उसमें से दुर्गंध भी आ रही थी। राजा के घोड़े को साफ पानी में नहाने की आदत थी इसलिए उसने उस गंदे पानी में नहाने से इनकार कर दिया।

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सहायकों ने घोड़े को पानी में उतारने की बहुत कोशिश की, पर वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। अंत में यह सारा मामला राजा तक पहुंचा। वे भी चकरा गए। उन्होंने अपने मंत्रियों को बुलवाया और पूछा कि उनका घोड़ा ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा है?

मंत्री ने मामले की छानबीन शुरू की। घोड़े को शाही हकीम ने जांचा और बताया कि उसकी सेहत पूरी तरह से ठीक है। घोड़े के भोजन की जांच की गई। उसे अच्छी खुराक दी जाती थी और सहायक अच्छी तरह से उसकी देखभाल भी कर रहे थे।

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इसके बाद मंत्री तालाब की ओर गए। घोड़े को जब तालाब में उतारने की कोशिश की, तो घोड़ा हिनहिनाया, तालाब के पास जाने से उसने साफ इनकार कर दिया। मंत्री ने तालाब के पास जा कर गौर से देखा। पानी गंदा था और उससे बदबू भी आ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो उस पानी का पहले किसी ने इस्तेमाल किया हो।

मंत्री ने पीछे मुड़ कर सहायक से पूछा, “क्या इसमें पहले कोई स्नान कर चुका है?” सहायक के लिए घोड़े को काबू करना मुश्किल हो रहा था। ज्यों ही वह अपने पैरों पर संभला तो उसने जवाब दिया, “श्रीमान्! मुझे गांव वालों ने बताया है कि कल कोई अजनबी अपने गंदे जंगली घोड़े को इसमें नहलाने के लिए लाया था।”

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घोड़ा और ‘मटमैली नदी’

मंत्री को अपनी समस्या का हल मिल गया था। उसने सहायक को कहा, “हमें अपने घोड़े को नदी पर ले जाना चाहिए। देखें कि वह उसमें जाने की हामी भरता है या नहीं?”

सहायक ने घोड़े की लगाम संभाली और मंत्री के साथ उसे ले कर नदी की ओर चल दिया। नदी में साफ और ताजा पानी बह रहा घोड़े ने उसे सूंघा और मजे से पानी में उतर गया। सहायक ने चैन की सांस ली, क्योंकि अब घोड़ा बिदक नहीं रहा था, बल्कि मजे में नहा रहा था।

मंत्री के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। उसने जाकर महाराज को बताया कि सारी छानबीन पूरी हो गई है और अब उनका प्रिय घोड़ा स्नान कर रहा है। महाराज ने जब इसका कारण पूछा, तो मंत्री ने उत्तर दिया, “महाराज, जिस तरह कुछ को गंदगी गंदगी नहीं लगती, इसी तरह कुछ हमेशा स्वच्छता में ही जीना चाहते हैं। गंदगी का अनुभव लोगों को तब होता है, जब वह उससे पैदा होने वाले रोगों की पकड़ में आ जाते हैं। आपका घोड़ा सफाई पसंद है, इसलिए वह गंदे पानी में नहीं उतरता।”

निष्कर्ष (Conclusion)

…तो देखा आपने, एक घोड़ा भी साफ-सफाई के महत्व को जानता है। इसलिए हमें भी हमेशा अपने शरीर और आसपास के माहौल की सफाई का ध्यान रखना चाहिए।