Hindi Kahaniyan: बोलने वाला चमत्कारी पेड़

Hindi Kahaniyanबोलने वाला चमत्कारी पेड़

Hindi Kahaniyan: मोहनगढ़ के घने जंगल में मोहन नामक हिरण रहता था।एक दिन मोहन भोजन की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था। अचानक उसे एक ऐसा पेड़ नजर आया, जिस पर काफी मीठे फल लगे थे।

फल की मिठास आस-पास फैली हुई थी, जिसे सूंघते ही मोहन के पेट में चूहे कूदने लगे। मोहन वहां खड़े होकर पेड से पके फल गिरने का इंतजार करने लगा। जैसे-जैसे फल जमीन पर गिरते, वह बड़े चाव से उन्हें खाता। मोहन को इन फलों का स्वाद इतना पसंद आया कि वहां रोज आने लगा।

एक दिन एक शिकारी ने देखा कि एक हिरण रोज पेड़ से गिरे फल खाने आता है। उसने उस हिरण को फंसाने की योजना बनाई। उसने वहीं रस्सी का एक फंदा बनाया, जिसे पेड़ से लटका दिया।

शिकारी ने सोचा कि जब वो हिरण फल खाने आएगा, उसका पैर शिकंजे में फंसेगा और वह उसे कस देगा। ये सोचकर शिकारी उस दिन पेड़ पर छिप कर हिरण के आने का इंतजार करने लगा

Hindi Kahaniyan

कुछ देर बाद मोहन हिरण अपने मनपसंद फल खाने आया। उसने आसपास देखा, हवा को सूंघा और जांचा-परखा। उसे रस्सी और शिकारी तो नहीं दिखे पर वह पेड़ के नीचे गिरे ढेर सारे फलों को देख कर हैरान था।

पेड़ के आस-पास बहुत से फल गिरे हुए थे, लेकिन अभी तक किसी ने उन्हें खाया तक नहीं था। पेड़ के आस-पास पक्षी या गिलहरी भी नहीं दिखाई दे रहे थे।

ये हैरानी की बात थी, क्योंकि जब किसी पेड़ से फल गिरते हैं, तो उन्हें खाने के लिए बहुत से जीव आसपास आ जाते हैं, लेकिन यहां तो सारे फल ज्यों के त्यों गिरे पड़े थे।

Hindi Kahaniyan
बोलने वाला पेड़

मोहन समझ चुका था कि हो ना हो ‘यहां दाल में कुछ काला जरूर है।’ मोहन वहीं खड़ा होकर इंतजार करने लगा। इसी बीच पेड़ से एक फल टूटकर उसकी ओर आ गया।

दरअसल पेड़ पर बैठे शिकारी का धैर्य टूट रहा था। उसने तय किया कि वह फल हिरण के करीब फेंककर उसे ललचाएगा, ताकि हिरण आगे आए और पकड़ा जाए, लेकिन मोहन हिरण भी बहुत होशियार था।

मोहन जानता था कि पेड़ अपने फलों को यहां-वहां नहीं उछालते। फल तो सीधा धरती पर ही गिरते हैं। वह जान गया कि हो ना हो उस पेड़ के आस-पास कहीं कोई शिकारी जाल बिछाए बैठा है।

मोहन ने बड़ी सावधानी से पेड़ के आसपास देखा और उसे शाखाओं में छिपा शिकारी दिखाई दे गया। वह आखिरकार समझ चुका था कि फल उछल कर उसके पास क्यों आया था?

ये भी पढ़ें- Hindi Kahaniyan: दोस्ती का मौसम

मोहन भी मस्ती के मूड में आ गया। वह उस शिकारी को छकाने लगा। मोहन शिकारी को सबक सिखना चाहता था। वह बताना चाहता था कि मासूम जानवर भी मनुष्य के समान होशियार हो सकते हैं। वह बताना चाहता था कि कोई भी शिकार तब बनता है, जब वह बेपरवाह होता है, अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता।

मोहन इस तरह दिखावा करने लगा मानो पेड़ से बातें कर रहा हो। उसने कहा, “प्यारे पेड़! तुमने मेरी ओर फल उछाल दिया। तुम कितने दयालु हो। परंतु मैं जानता हूं कि फल तो सीधा धरती पर गिरते हैं। तुमने अपनी आदतें बदल ली हैं इसलिए मुझे लग रहा है कि मुझे भी अपनी आदतें बदल देनी चाहिए। मैं किसी और पेड को खोज लूंगा। अलविदा!” इतना कह कर हिरण वहां से जाने लगा।

Hindi Kahaniyan
बोलने वाला पेड़

इतना सुनते ही शिकारी को गुस्सा आ गया। वह चिल्ला कर बोला, “मैं एक दिन तुम्हें पकड़ लूंगा। देखता हूं कि तुम कितने चतुर हो। मेरे पास भी तुम जैस जानवरों को पकड़कर मारने के लाखों उपाय हैं। एक उपाय कामयाब नहीं हुआ तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं तुम्हें पकड़ नहीं सकता। मैं तुमसे लाख गुना चतुर हूं।”

मोहन वापस जाते-जाते हंसा और बोला, “अरे मूर्ख शिकारी! मैंने तेरी चतुराई देख ली है। लगता है कि भोले-भाले मासूम जानवरों को मार कर ही अपने-आप को खुद को चतुर समझता है। एक साथ मिल-जुल कर रहने के लिए अधिक बुद्धिमानी की आवश्यकता होती है। दोस्त, अभी तुम इंसानों के लिए यह सीखन बाकी है!”

इतना कहकर मोहन झट से घने जंगल की ओर उछालें मारते हुए चला गया और शिकारी हाथ ही मलता रह गया। मोहन ने उसे बता दिया था कि केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षी भी काफी होशियार होते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें किसी को भी मूर्ख नहीं समझना चाहिए। कई बार अपनी ही चालाकी भारी पड़ जाती है।