Hindi Kahaniyan: एक पहाड़ पर चट्टान (rock on mountain) के पास दो दोस्त रहते थे। उनकी दोस्ती (friendship) भी निराली थी। उनमें से एक शेर (Lion) था और दूसरा चीता (Leopard)। वे दोनों बचपन (Childhood) से ही एक साथ पल कर बड़े हुए थे इसलिए उनमें परस्पर कोई भेदभाव नहीं था। वे एक-दूसरे की दोस्ती का भरपूर आनंद उठाते थे। एक साथ खेलते, भागते और शिकार करते थे।
उसी पहाड़ पर एक बूढ़े साधु का आश्रम था, जिसके कारण आसपास के माहौल में शांति थी। इसीलिए वहां शेर और चीता भी आपस में दोस्तों की तरह रहते थे।
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एक दिन उन दोनों दोस्तों के बीच मूर्खतापूर्ण बहस छिड़ गई। बहस इस बारे में थी कि सर्दी का मौसम क्यों आता है। चीते का कहना था कि जब पूर्णिमा आने वाली होती है तो सर्दी का मौसम आ जाता है जबकि शेर कह रहा था – “नहीं, नहीं! तुम गलत कह रहे हो। जब अमावस आने वाली होती है तो सर्दी का मौसम हो जाता है। “

चीते ने गुस्से से कहा, “बकवास! तुम तो बिल्कुल पागल हो। तुम्हें इन बातों की समझ ही नहीं है, जब पूर्णिमा आने वाली होती है तो सर्दी का मौसम हो जाता है। सब यही कहते हैं। ‘तुम बकवास कर रहे हो! मुझे पता है कि मैं सही कह रहा हूं। जब अमावस आने वाली होती है, तब सर्दी का मौसम हो जाता है। तुम तो निरे बुद्ध हो और वही रहोगे,” कहते हुए शेर अपनी बात पर अड़ गया।
वे दोनों बहस करते रहे, लेकिन कोई हल नहीं निकाल सके। वे अपनी दोस्ती को भी नहीं तोड़ना चाहते थे। अंत में वे पहाड़ पर रहने वाले वृद्ध साधु के पास गए। उन्हें पक्का यकीन था कि साधु महाराज को इसका सही उत्तर पता होगा।वहां उन्होंने देखा कि साधु महाराज पहाड़ पर धूनी रमाए बैठे हैं। वे उनके सामने प्रणाम करके, वहीं बैठ गए। जल्दी ही साधु महाराज ने आंखें खोलीं, देखा कि शेर व चीता उनके सामने बैठे हैं। दोनों दोस्तों ने फिर से प्रणाम किया और साधु महाराज को बताया कि वे वहां क्यों आए हैं।

फिर उन्होंने निवेदन किया, “हे साधु महाराज! आप तो ज्ञानी हैं। आप बताएं कि हम दोनों में से कौन सही है?”साधु महाराज ने कुछ देर के लिए अपनी आंखें मूंद लीं फिर उन्हें खोल कर बोले, “बच्चो! चंद्रमा का सर्दी से कोई लेना-देना नहीं है। भले ही पूर्णिमा हो या अमावस । पूर्व, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण की ओर से चलने वाली हवाओं के कारण मौसम में ठंडक आती है। शायद तुम दोनों ही ठीक कह रहे हो। तुम्हें लगा था कि चंद्रमा के कारण सर्दी का मौसम आता है, लेकिन कुछ और भी है जो मौसमों की तरह कभी नहीं बदलता । “
शेर और चीते ने एक-दूसरे को उलझन भरी निगाहों से ताका । “है मुनिवर ! हमें बताएं कि वह क्या है? हम जानना चाहते हैं, ” वे बोले ।”तुम दोनों की मित्रता! यह मौसमों की तरह कभी नहीं बदलती। इससे ही आपसी प्रसन्नता तथा एकता पैदा होती है।” दोनों दोस्तों ने साधु महाराज के आगे सिर झुकाया और खुशी-खुशी अपने र वापस लौट गए।
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निष्कर्ष (Conclusion)
इससे हमें सीख मिलती है कि अन्याय वह बुराई, जिसके खिलाफ हर किसी को आवाज उठानी चाहिए। चाहे वह किसी भी वर्ग, समुदाय या जाति का हो।