Hindi Kahaniyan: बकरे का पुनर्जन्म

Hindi Kahaniyanबकरे का पुनर्जन्म

Hindi Kahaniyan: एक पंडित भगवान (Pandit Bhagwan) के नाम पर बलि चढ़ाना (sacrifice) चाहता था। उसे बलि चढ़ान (sacrifice) के लिए एक बकरे की जरूरत थी। उसने अपने यजमान से एक बकरा मां उसने बकरा भिजवा दिया। इस तरह पंडित (Pandit Bhagwan)  को बलि चढ़ाने के लिए एक बकरा (Goat) मिल गया।

बकरे को नहला-धुला कर, फूलों से सजाया गया ताकि उसकी बलि चढ़ाई जा सके। बलि चढ़ाने से पहले पंडित ने साग पूजा-पाठ किया। जब बकरे को नदी पर नहलाने के लिए ले जाया गया तो उसे एहसास हुआ कि वे लोग उसे मारने वाले हैं। उस समय उसे अपने सारे पिछले जन्म याद आ गए। उसे पता चला कि उसे अपने पिछले पापों का फल भुगतना होगा। इस तरह मरने के बाद वह जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाएगा।

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यह सोच कर वह जोर-जोर से हंसने लगा। इसे देख कर आसपास खड़े लोग चौंक गए। फिर उसने यह सोचा कि अगर पंडित उसे मारेगा तो उसे मारने का पाप लगेगा। यह सोच कर वह उदास हो गया और रोने लगा।इस तरह बाकी सभी लोग उलझन में आ गए। लोगों ने बकरे से पूछा कि वह पहले हंसा क्यों और फिर रोया क्यों। बकरा बोला कि जब वे उसे पंडित के पास ले जाएंगे, तभी वह उन्हें सच बताएगा।

वे उसे पंडित के पास ले गए। बकरे ने वहां बताया, “अपने पिछले एक जन्म में मैं भी एक पंडित था और सोचता था कि मेरे देवता भी मुझसे बलि चाहते हैं, इसलिए मैं बलि चढ़ाने लगा। इसकी वजह से मुझे सैकड़ों बार जन्म लेना पड़ा।” अब मैं बलि चढ़ने के बाद हमेशा 11 के लिए मुक्त हो जाऊँगा इसलिए मुझे हंसी आई। फिर मुझे एहसास हुआ कि – अब तुम्हें मेरी तरह – कष्ट सहना होगा, यह सोच कर मेरा मन उदास हो गया।”

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बकरे की इस बात को सुन कर पंडित भावुक हो गया और उसने तय किया कि वह बलि नहीं देगा। उसने बकरे को आजाद कर दिया। परंतु बकरे को पूरा यकीन था कि उस दिन उसे बलि चढ़ना ही होगा क्योंकि उसने अपने सारे पापों का हिसाब पूरा करने के लिए जन्म लिया था। पंडित और उसके भक्तों ने उसे न मारने का फैसला किया और उसकी सुरक्षा का पूरा प्रबंध करके उसके पीछे चलने लगे।

कुछ समय बाद, वे लोग एक ऐसे पहाड़ पर पहुंचे, जहां बहुत से ताजे पौधे लगे हुए थे। बकरा हरे मुलायम पौधे खाने के लिए चट्टान पर चढ़ गया। अचानक वहां आंधी आ गई। पंडित और उसके भक्त एक कोने में खड़े हो गए जबकि बकरा पहाड़ के ऊपर था। अचानक एक बड़ी चट्टान पर बिजली गिरी, बकरा उस भारी चट्टान के नीचे दब कर मारा गया। “इसे पुनर्जन्म से मुक्ति मिल गई, ” वहीं पेड़ पर रहने वाली एक परी ने कहा। उसने कहा,”हमें किसी भी प्राणी को कभी कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए, फिर चाहे वह धर्म के नाम पर ही क्यों न हो।”

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सबने उसकी बात सुन कर हामी भरी और अपने-अपने घरों को लौट गए। उन्होंने भी मन ही मन संकल्प लिया कि वे जानवरों की बलि चढ़ाना बंद कर देंगे। पंडित को बकरे ने एक गहरा सबक दे दिया था। अब उसे समझ आ गया। था कि भगवान को खुश करने के लिए किसी निर्दोष की बलि नहीं चढ़ानी चाहिए। बल्कि भगवान तो उनसे प्रसन्न होते हैं जो उनके बनाए जीवों पर दय करता है, उनकी सेवा करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इससे हमें सीख मिलती है कि जीवन में एक बार तो पराजय का स्वाद चखना चाहिए। पराजय से हमें यह सीख मिलती हैं।