Hindi Kahaniyan: बिगड़ैल हिरण ने भुगती सजा

Hindi Kahaniyanबिगड़ैल हिरण ने भुगती सजा

Hindi Kahaniyan: किसी जंगल में हिरणों का झुंड (deer herd) रहता था। उनमें एक सयाना और बूढ़ा हिरण (old deer) भी था। वह जानता था कि हिरणों को ‘जंगल (Forest) में और उसके बाहर’ किन खतरों का सामना (face dangers) करना होता है। वह युवा हो रहे हिरणों को सिखाता कि उन्हें किस तरह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए खतरों का सामना करना चाहिए। बहुत से हिरणों के बच्चे जंगल में रहने के सबक सीखने उसके पास आते।

एक दिन उस हिरण की बहन अपने पोते के साथ वहां आई और बोली, “भईया ! क्या आप मेरे इस पोते को भी दूसरे नौजवान हिरणों की तरह प्रशिक्षण दे सकते हो ताकि इसे भी समझ आ जाए कि कठिन समय में अपना बचाव कैसे करना चाहिए।”

बूढ़े हिरण ने अपनी बहन के पोते को अपनी कक्षा में शामिल कर लिया। वह नन्हा हिरण बहुत ही दोस्ताना स्वभाव वाला था। उसने जल्दी ही कक्षा के दूसरे हिरणों से दोस्ती कर ली।

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बूढ़ा हिरण उन्हें बताता कि गांववाले किस तरह हिरणों को पकड़ने के लिए जाल बिछाते हैं, उन्हें पकड़ते हैं और फिर मार देते हैं। पहले तो उस छोटे हिरण ने सारी कक्षाओं में हिस्सा लिया और अपने गुरु की सारी बातें। गौर से सुनीं, परंतु जल्दी ही उसका ध्यान भटकने लगा। अब उसका मन खेल में रमने लगा। उसे लगता था कि कक्षा में बैठ कर, गांव वालों, उनके जालों, धनुष-बाण व शिकार आदि की बातें सुनने से ज्यादा मजा तो खेल में आता है। वह अपने साथियों के साथ कक्षा से भागने लगा। वे घने जंगल में जा कर जी भर कर खेलते।

बूढ़ा हिरण अपनी बहन के पोते का ऐसा बर्ताव देखकर बहुत दुखी हुआ। उसके बाकी छात्र तो सारे सबक ले रहे थे, पर वह बिगड़ता जा रहा था। एक शिक्षक के रूप में बूढ़े हिरण ने उसे फटकारा और समझाना चाहा। कि इससे उसका ही नुकसान होगा, पर वह कुछ भी समझने या सुनने को राजी नहीं था।

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एक दिन अपने दोस्तों के साथ खेल में वह इतना मग्न था कि उसे और उसके साथियों को यह पता ही नहीं चला कि वे खेलते-खेलते कब जंगल के छोर पर गांव के पास आ गए एक गांववासी पेड़ों के पास छिपा बैठा था। वह इसी इंतजार में था कि कोई जानवर पास आए तो वह उसका शिकार कर ले। अचानक उसने पास ही खेल रहे हिरणों के झुंड को देखा। उसने पहले से ही वहां जाल बिछाया हुआ था।

जल्दी ही नन्हा हिरण उसके जाल में फंस गया। उसने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की परंतु सब बेकार सिद्ध हुआ। दूसरे हिरण भागे-भागे अपने गुरु के पास लौट गए। गांव वाले ने एक ही झटके में उस हिरण का काम तमाम कर दिया। आज उसके परिवार का भोज होने वाला था। वह मरे हुए हिरण को अपने कंधे पर लाद कर घर गया।

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जब बूढ़े हिरण ने यह बात अपनी बहन को बताई तो वह बुरी तरह रोने लगी। भाई ने उसे समझाया, “बहन ! कोई छात्र अपने गुरु की बात न सुनना चाहे और मनमानी करे तो कोई चाह कर भी उसका भला नहीं कर सकता। ऐसा छात्र समय आने पर अपना ही नुकसान करता है।”सच है यह बात कि केवल गुरु के सिखाने से ही कुछ हासिल नहीं होता, छात्र में भी सीखने की इच्छा होनी चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

शिक्षार्थी का सर्वांगीण विकास करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। किसी भी क्रिया को सीखने का केंद्र बिंदु शिक्षार्थी होता है।