Essay On Vigyan ke chamatkar: प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य असभ्य (man uncivilized) था । प्रकृति की पूजा (worship of nature) करता था। आज के वैज्ञानिक युग (scientific era) में प्रकृति पर मनुष्य ने एक सीमा तक विजय पा ली है। वह उसकी दासी बन गई है। विज्ञान के चमत्कारों (miracles of science) ने मनुष्य को कहाँ से कहाँ तक पहुँचा दिया है।
किसी समय देश की जनसंख्या वहाँ की शक्ति समझी जाती थी, पर आज वैज्ञानिक उपकरणों की शक्ति सर्वोपरि बन गई है । आज छोटे से छोटा) राष्ट्र भी विज्ञान की शक्ति पाकर शक्ति दर्प से भरा हुआ है।
विज्ञान, मनुष्य के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी, एक ओर उसने मनुष्य को सुख सुविधाओं से पाट दिया है और दूसरी ओर उसके विनाशकारी प्रभाव से विश्व मानवता त्रस्त हो उठी है । विज्ञान के चमत्कारों ने आज सारे विश्व में एक प्रकार की क्रान्ति उत्पन्न कर दी है।
विज्ञान के चमत्कारिक उपकरण (Essay On Vigyan ke chamatkar)
आज के विज्ञान ने भौतिक शक्तियों को अपने वश में कर लिया है इसके तर्गत भाप, बिजली, गैस, ईंधन और एटम प्रमुख हैं। उनके द्वारा रेल तार मोटर, हवाई जहाज, मेट्रो रेल, इंटरनेट, मोबाइल फोन, रेडियो, टेलीविजन एटम और हाइड्रोजन बमों का आविष्कार हुआ है। आज मनुष्य के सामने पहाड़ झुक गए हैं। उमड़ती नदियाँ परास्त हो चुकी हैं। आकाश पर भी मनुष्य का आधिपत्य हो चुका है।
यातायात के साधन: आवागमन के क्षेत्र में प्राचीनकाल में आवागमन के साधनों के अभाव में मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान तक कठिनाई से जा जा पाता था, समय लगता था और तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
मनुष्य पैदल चलता था, या हाथी, घोड़े, ऊंट आदि का प्रयोग करता था। बेल गाड़ियाँ काम में लाई जाती थीं, पर आज द्रुतगति के वाहन बन चुके है। साइकिल, मोटर, पत्नी, हवाई जहाज वयों की यात्रा को थोड़े समय में ही सम्पन्न कर देते हैं।
नदी रुकावट डाल सकती है ना पहाड़ रोक सकते है और न आकाश | इस आवागमन का सुवधा के कारण विश्व मानवता के भीतर मंत्री और सद्भावना की स्थापना हुई है। केवल इतना ही नहीं मनुष्य ने अपने समय, दूरी और श्रम की बचत करती है। इनके द्वारा अकाल बाढ़, और देवी प्रकोपों पर नियन्त्रण भी प्राप्त कर लिया है।
समय पर विजय (victory over time)
समाचार: समाचार भेजने के क्षेत्र में पहले समाचार पशु-पक्षियों और हरकारों के द्वारा भेजे जाते थे। कभी उत्तर मिलता था और कभी नहीं मिलता था। आज विज्ञान ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रान्ति पैदा कर दी है। इंटरनेट के जरिए समाचार विश्व के किसी भी कोने तक पहुंच सकते हैं। मोबाइल फोन के द्वारा घर बैठे इष्ट मित्रों से सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। मोबाइल पर ही उन्हें अपनी आंखों से बात करते देख सकते हैं। सामाजिक मेल जोल को बढ़ाने में इससे बड़ा लाभ मिला है।
मनोरंजन: मनोरंजन के साधनों के क्षेत्र में विज्ञान ने मनोविनोद के साधनों के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व क्रान्ति उत्पन्न कर दी है। टेलीविजन, मोबाइल फोन, इंटरनेट, रेडियो आदि इसके दृष्टान्त हैं । इनके द्वारा घर बैठे या कम समय में मनोरंजन प्राप्त कर सकते हैं।
इस व्यस्त युग में इनकी उपयोगिता बढ़ गई है। अब नाटक एकाकियों का प्रभाव इन के सामने घट गया है। भजन कीर्तन, और नाटक मण्डलियों का कोई खास महत्व नहीं रहा।
शिक्षा: रेडियो और टेलीविजन शिक्षा के क्षेत्र में भी उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इसके द्वारा शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम बड़े मनोरंजक ढंग से प्रसारित किए आते हैं। जो छात्रों के लिए ज्ञानार्जन में सहयोग करते हैं। प्रेम के बनने से ज्ञान की पुस्तकें छापी जा रही हैं। उनसे ज्ञान में स्थायित्व आ चुका है। किताबों का खाली समय में उपयोग कर हम ज्ञान अर्जित करते हैं। आज तो वैज्ञानिक विधियों से शिक्षा प्राप्त की जाने लगी है और विज्ञान उसमें अपूर्व सहयोग कर रहा है।
लाइफस्टाइल: नित्य प्रति के जीवन में हमारे नित्यप्रति के जीवन में विज्ञान ने विशेष रूप से अपना स्थान बना लिया है। समय देखने के लिए अब सूर्य और चाँद पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। घड़ी ने उस आवश्यकता की पूर्ति कर दी है। पहिले पंखों से म बनाकर लिखा जाता था। अब तो तरह-तरह की कलमें निकल चुकी हैं।
आंखों की क्षीणता को दूर करने के लिए चश्मों, कॉन्टेक्ट लेंस का आविष्कार हुआ। सौन्दर्य प्रधान को न जाने कितनी वस्तुएं बन चुकी हैं। बिजली ने तो हमें सुख सुविधाओं से पाट दिया है। हीटर, आयरन, बिजली के पंखे, फ्रिज़, कूलर, एसी, ये सब घर आराम के महत्त्व पूर्ण साधन हैं।
हेल्थ: रोग और चिकित्सक क्षेत्र में विज्ञान के सहारे तरह-तरह की औषधियों और यन्त्रों का आविष्कार हो चुका है, जिनसे रोगों को जीत लिया गया है । इनके सहारे मनुष्य मृत्यु के मुंह से वापस लौट आता है। इन्जेक्शन बन गए हैं। जिनसे रोगी को इन्ति लाभ पहुंचाया जाता है। विद्युत तरंगों का उपयोग कर भी नाना प्रकार के रोगों का निवारण हो रहा है। वैकुयुट्यूब के द्वारा मनुष्य के शरीर में विद्युत तरंग प्रविष्ट कराई जाती हैं।
विद्युत का चुम्बकीय प्रभाव पड़ता है और रोग दूर हो जाता हैं। ये तरंगे कीटाणु सम्बन्धी रोगों के लिए रामबाण सिद्ध हुई हैं। इस वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण कर तपेदिक, (यक्ष्मा) दमा, चर्मरोग, अस्थिरोग, हृदय रोग दूर किए जा रहे हैं। एक्स किरण के द्वारा अब मनुष्य शरीर के भीतरी रोगों का पता लगाया जाता है और उन्हें सरलता से दूर किया जाने लगा है।
यदि मनुष्य का अंग भंग हो जाए तो वह ऑपरेशन के द्वारा ठीक किया जाने लगा है। हृदय का प्रतिरोपण कर चिकित्सा के क्षेत्र में महान क्रान्ति उपस्थित की गई है। हार्ट, किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
जैसाकि पहले मनुष्य औषधि और चिकित्सा के अभाव में तड़प-तड़पकर मर जाता था। प्रतिबन्धक दवाइयां भी निकल चुकी हैं। हैजा, चेचक, और प्लेग जैसी बीमारियों से मनुष्य की रक्षा हो जाती है।
डिफेंस: युद्ध के क्षेत्र में तलवार और धनुषवाण का युग बीत गया है। अब तो बन्दूक, स्टेनगन, मशीनगन, टामीगन का आविष्कार हो चुका है। उनकी दिल दहलाने वाली वाज शत्रु को कंपा देती है। विध्वंसकारी बम बन चुके हैं। जो पलभर में मानवता को धूल में मिला देते हैं। दूर मारक यन्त्र बन चुके हैं। अब शत्रु के सामने जाने की आवश्यकता नहीं।
दूर रहकर शत्रु पर वार किया जा सकता है। युद्ध सम्बन्धी सुरक्षा के साधन भी बना लिए गए हैं। ताकि सरलता से शत्रु आक्रमण न कर सके। राडार यन्त्र के द्वारा शत्रु सेना के युद्ध पोतों का पता लगाया जाता है और उन्हें मार गिराया जाता है। पानी के भीतर चलने वाले युद्ध पोत बन चुके हैं। जो शत्रु के जहाजों को पानी में डुबो देते हैं।
खेती: अब कृषि के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व उन्नति हो चुकी है। हल-बैल के स्थान को ट्रैक्टर ने ले लिया है। अधिक अन्न उत्पादन के लिए रासायनिक खाद बन चुके हैं। ना जाने खेती सम्बन्धी कितने यन्त्र बन चुके हैं, जिनकी सहायता से देती के काम सम्पन्न किए जाते हैं।
अब तो पहाड़ भी मशीनों की मदद से समतल भूमि में परिवर्तित किए जाने लगे हैं और वहां फसलें लहलहा उठी है। सिंचाई के साधनों के लिए नहरें, बाँध, ट्यूबवेल बन रहे हैं। पानी के लिए काव भरोसे नहीं रहना पड़ता।
उद्योग: आज का युग ही मशीन युग है। बड़े-बड़े कल कारखाने मशीनों की सहायता से चल रहे हैं। लोहा, वस्त्र, कोयला, आदि का उत्पादन मशीनों की सहायता से हो रहा है। मशीनों की सहायता से समुद्र के पेट से तेल निकाला जा रहा है मोती निकाले जा रहे हैं। पर्वतों और भूमि की खुदाई कर धातुएं निकाली जा रही हैं। औद्योगीकरण से वस्तु उत्पादन में चमत्कार आ गया है।
राजनीति: राजनीति के क्षेत्र में विज्ञान, राजनीतिक होड़ का विधाता बन गया है। इसके कारण संसार में अभूतपूर्व जाति आई है। देशों का आर्थिक, सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक रूप बदल गया है।
इसी विज्ञान के कारण रूस और अमेरिका विश्व में चोटी के देश माने जाते हैं। विज्ञान ने वहां की धरती को स्वर्ग बना दिया है। क्या शिक्षा, क्या विज्ञान सभी दृष्टि से वे उन्नत हैं। विज्ञान के कारण आज देशों में ऊपर उठने की होड़ सी लगी हुई है। अन्तस्थिमानों ने दूर नक्षत्रों की यात्रा सम्भव कर दी।
विज्ञान, निश्चय ही वरदान है। उससे जनकल्याण की पूर्ति हो रही है। आज का मनुष्य विज्ञान की छाया में पहले की अपेक्षा अधिक सुखी है। उसके कारण सभ्यता और संस्कृति को भी विकास मिला है। पर, वह कुछ सीमा तक दुःखों का भी कारण बन गया है। उसके मारक और विध्वंसक अस्त्रों ने मानवता को भयभीत कर दिया है । ये शस्त्र कब विश्व में मानवता का अन्त कर देंगे। यह कहना कठिन है।
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निष्कर्ष (conclusion)
विज्ञान की शक्ति पाकर मनुष्य युद्ध पिपासु बन गया है। स्वार्थी और आक्रामक बन गया है। अधिकार की भावना जाग उठी है। इससे चारों ओर युद्ध और अशान्ति की आग भड़क उठी है। इसकी बुनियाद में मनुष्य ही दोषी है। वह चाहे की शक्ति का दुरुपयोग और सदुपयोग करे।
मानव हित में यदि विज्ञान के चमत्कारों का उपयोग हो तो विश्व में धनधान्य की वृद्धि के साथ सुख और शान्ति की स्थापना होगी तथा भौतिक समृद्धि बढ़ेगी यह निर्विवाद सत्य है। हमें विज्ञान के चमत्कारों का स्वागत करना चाहिए या मानव हित में उनका उपयोग करना चाहिए।