Mahalayaमहालया

Mahalaya 2023: आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को महालय (Mahalaya) या आश्विन अमावस्या कहते हैं। यह हमारा परम पुनीत दिन है। यह हमें पितरों को तिलांजलि के साथ ही श्रद्धांजलि अर्पण करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन तिलांजलि तथा पिण्ड दान देने से पितरों को शान्ति मिलती है।

आश्विन मास में पितरों को यह आशा लगी रहती है कि उन्हें पिण्ड दान मिलेगा तथा पीने के लिए जल की प्राप्ति होगी। ऐसी दशा में उन्हें पिण्ड दान न मिलने पर बड़ी निराशा होती है और वे शाप देते हैं।

पुराणों में क्या लिखा है?

ब्रह्मपुराण में लिखा है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज यमालय से पितरों को स्वतंत्र कर देते हैं और वे अपनी सन्तानों से पिण्ड दान लेने के लिए भू-लोक में आ जाते हैं। जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं तब वे यहां आते हैं और अमावस्या के दिन तक घर के द्वार पर ठहर कर श्राद्ध न करनेवाली सन्तान को शाप देकर चले जाते हैं।

ये भी पढ़ें- Santan Saptami : कब है संतान सप्तमी? ऐसे करें व्रत, जानें कथा और पूजा विधि

कन्या राशि में सूर्य के जाने के कारण ही आश्विन मास के कृष्णपक्ष को कनागत अर्थात् कन्या+गत कहते हैं। देहातों में यह पक्ष ‘पितर पख’ कहा जाता है। शिक्षित लोग ‘पितृपक्ष’ कहते हैं।

Mahalaya
महालया

इस तरह करें पितरों को विदा

इस पक्ष में माता-पिता होन सन्तान को प्रातःकाल उठकर किसी नदी में स्नान करना चाहिए। और फिर तिल, अक्षत तथा कुश को हाथ में लेकर वैदिक मंत्रों द्वारा पितरों को सूर्य के सामने खड़े होकर जलांजलि देनी चाहिए।

तिलांजलि देने का कार्य कृष्णपक्ष में प्रतिदिन होना चाहिए। पितरो की मृत्यु-तिथि के दिन श्राद्ध करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए। इस पक्ष में गयाजी में श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व है।

आश्विन अमावस्या 2023 कब है (Ashwin Amavasya 2023 Kab Hai)

अमावस्या तिथि प्रारंभ – 13 अक्टूबर 2023 (रात्रि 9:51 से)
अमावस्या तिथि समापन – 14 अक्टूबर 2023 (रात्रि 11:25 तक)

अत: उदया तिथि को मानते हुए 14 अक्टूबर 2023 (शनिवार) को आश्विन अमावस्या की तिथि मान्य होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *