Hindi Kahaniyan: बुढ़िया का ‘सच्चा’ बेटा

Hindi Kahaniyanबुढ़िया का 'सच्चा' बेटा

Hindi Kahaniyan: मेरठ में एक काले और सुंदर बछड़े का जन्म हुआ, जिसे एक बूढ़ी विधवा महिला ने खरीद लिया। वह बछड़े की बहुत देखभाल करती थी। उसे चावल और दलिया खिलाती। उसने काले रंग को देखते हुए बछड़े का नाम रामू रख दिया।

जब रामू गांव के बच्चों के साथ खेल कर बड़ा हुआ तो वे उसे ‘दादी का रामू’ कह कर बुलाने लगे। रामू बहुत ही दयालु था। वह चाहता था कि उसे अपनी बूढ़ी दादी के लिए कुछ करने का अवसर मिले, पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह उसकी मदद कैसे करे।

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एक दिन, जब रामू बच्चों के साथ नदी किनारे खेल रहा था, तो उसने देखा कि वहां पांच सौ गाड़ियों का काफिला खड़ा था। हर गाड़ी में दो बैल बंधे थे। पर वे सामान के भार से लदी गाड़ियों को पानी के पार नहीं ले जा पा रहे थे। काफिले के मालिक ने दूर से रामू को देखा तो उसे लगा कि वह उनकी मदद कर सकता था।

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बुढ़िया का ‘सच्चा’ बेटा

उसने पास जा कर पूछा, “यह शक्तिशाली बैल किसका है?” बच्चों ने उसे बताया कि वह दादी का रामू है। उसने कहा, “मैं वादा करता हूं कि रामू जितनी गाड़ियां खींच कर नदी की दूसरी ओर ले जाएगा, मैं उसे प्रत्येक गाड़ी के लिए सोने के दो सिक्के दूंगा।”

रामू को लगा कि इस तरह वह उस बूढ़ी महिला के लिए कुछ धन कम सकता है, जिसे वह अपनी मां के समान मानता है। वह उस काफिले के मालिक की सहायता के लिए आगे बढ़ा। वह रामू को बार-बार हर गाड़ी के आगे बांधता गया और वह उसे अपनी ताकत से खींच कर नदी के दूसरी ओर सहा सलामत ला कर खड़ा करता गया।

काफिले के मालिक ने सोने के सिक्कों को एक थैली में डाला और उसे रामू के गले में लटका दिया। लेकिन रामू ने देख लिया था कि काफिले के मालिक ने अपना वादा नहीं निभाया था।

पहले उसने हर गाड़ी के लिए दो सिक्के देने का वादा किया था, जबकि अब वह केवल एक ही सिक्का दे रहा था। इस तरह वह पूरे पांच सौ सिक्के कम दे रहा था।

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रामू झट से काफिले के जाने के रास्ते को रोक कर खड़ा हो गया। लोगों ने उसे हटाना चाहा, पर वह वहां से बिल्कुल नहीं हिला । काफिले का मालिक जान गया था कि रामू ऐसा क्यों कर रहा है। रामू की थैली में उसने पूरे सिक्के गिन कर डाल दिए, रामू की मदद से ही तो उसका सारा माल आखिर नदी के पार हो सका था।

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रामू ने उसे ऐसा करते देखा तो चैन की सांस ली और काफिले के रास्ते से हट गया। सारा कारवां निकल गया। इसके बाद रामू अपनी बूढ़ी दादी के पास गया। छोटे बच्चे उसके आसपास उछलकूद करते चल रहे थे। वे उसकी थैली से सिक्के निकालना चाह रहे थे, पर वह उन्हें किसी को छूने भी नहीं दे रहा था।

बच्चे और बैल बूढ़ी दादी के पास पहुंचे। बच्चों ने उसे सारी बात बता दी। उसने रामू को गले से लगा लिया। उसकी आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे। जिसने आपके साथ भला किया हो, उसकी भलाई करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है, और रामू ने ऐसा ही किया था।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि जानवर हो या इंसान, सभी को उसकी मेहनत का पूरा पैसा मिलना चाहिए। इंसान अपने परिवार और जानवर अपने मालिक के लिए पसीना बहाता है।