Hindi Kahaniyan: बंदरों का काम

Hindi Kahaniyanबंदरों का काम

Hindi Kahaniyan: बनारस में सभी लोग आने वाले नए साल की तैयारियों में लगे थे। वहां नए साल का समारोह पूरे तीन दिन तक मनाया जाता था। राजा का एक बाग था. जिसकी देखरेख एक माली करता था। माली भी नए साल का त्योहार बनाने के लिए अपने घर जाना चाहता था लेकिन वह तीन दिन तक बाग को यूं ही नहीं छोड़ सकता था। तीन दिन पानी न मिलने से तो उसके बहुत में फूल और पौधे कुम्हला कर खराब हो जाते। अब वह क्या करता।

उसी बाग में बंदरों का एक दल भी रहता था। उन्हें बाग के फलों व पेड़ों से बहुत प्यार था और वे किसी को चोट भी नहीं पहुंचाते थे। माली के दिमाग में एक उपाय आया। उसने सोचा कि बाग की देखरेख करने के लिए वह बंदरों से बात करेगा। वह बंदरों के राजा के पास गया और उससे विनती की, “ श्रीमान्, क्या आप मेहरबानी करके मेरे स्थान पर तीन दिन तक बाग को पानी देने का काम करेंगे? मैं नए साल का त्योहार मनाने के लिए अपने घर जा रहा हूँ। यहाँ आपके दल के लिए भरपूर फल और पानी मौजूद है। आप मेरी मदद के लिए हामी भर दें।”

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बंदरों का काम

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बंदरों का राजा उसकी मदद करने की बात मान गया। माली बहुत खुश हुआ। उसने उन्हें दिखाया कि पानी की बाल्टियां कहां रखी हैं, आदि-आदि। फिर वह अपने परिवार के साथ नया साल मनाने चला गया। बंदर बहुत ही उत्साहित थे। अगले दिन बंदरों ने सारी क्यारियों में पानी देते हुए खूब पानी बरबाद किया। बंदर राजा ने उन्हें ऐसा करते देखा तो उसे लगा कि उन्हें थोड़ा ज्ञान देना चाहिए। उसने उन्हें अपने पास बुलाया। वे अपना काम रोक कर वहां आ गए।

उसने कहा, “मेरे दोस्तो! जल बहुत कीमती है। हमें इसे बरबाद नहीं करना चाहिए।” सभी बंदरों ने हामी भरी। उनका राजा बहुत ही समझदार था। इसलिए वे सब हमेशा उसकी आज्ञा का पालन करते थे। बंदरों के राजा ने कहा, “पेड़ों की जड़ों की लंबाई अलग-अलग होती है। उनमें से कुछ छोटी हैं और कुछ बड़ी। तुम्हें पहले हर जड़ को पेड़ से बाहर निकाल कर देखना चाहिए कि वह कितनी बड़ी है और उसके हिसाब से ही उसे पानी देना चाहिए।

इस तरह पानी बरबाद नहीं होगा। ” आज्ञाकारी बंदर उसी समय काम में जुट गए। वे पौधों की जड़ उखाड़कर उनकी जड़ों की लंबाई देखते और उसके अनुसार ही उसमें पानी देते। उसी समय वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति निकल रहा था। उसने बंदरों को बाग का सत्यानाश करते देखा, तो वह चिल्लाया, “रुको! रुको! तुम लोग यह क्या कर रहे हो। तुम सारे बंदर मिल कर राजा का बाग उजाड़ रहे हो?”

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बंदरों का काम

बंदरों ने कहा, “महोदय! हम तो पौधों को पानी दे रहे हैं। इस तरह हम अपने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए पानी की बचत भी कर रहे हैं।” “क्या तुम्हारे राजा ने तुम्हें ऐसा करने को कहा है?” उस व्यक्ति ने पूछा। ” जी हां, यह हमारे राजा का आदेश है, ” सारे बंदर एक स्वर में बोले । उस व्यक्ति ने मन ही मन सोचा, ‘जब राजा ही ऐसा हो तो प्रजा को क्या कहा जा सकता है।

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फिर उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि इनसे अपने राजा की बात को समझने में गलती हुई हो, लेकिन जब उसे पता चला कि ये बंदर अपने राजा की आज्ञा का ही पालन कर रहे हैं, तो उसने बंदरों को बाग उजाड़ने से रोका और उसने समझाया कि छोटे पौधों को कम और बड़े वृक्षों को ज्यादा पानी की जरूरत है। माली जब वापस आया, तो सब ठीक था।

निष्कर्ष (Conclusion)

दूसरों से होने वाली ईर्ष्या हमें कुछ नया करने से रोकती है। वहीं हमारे सपने हमे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।