Essay on Mother Teresa: ‘श्री’ शब्द की गरिमा को चरितार्थ करने वाली करना और दया की मूर्ति मदर टेरेसा (Mother Teresa) ऐसी महान हस्ती (great personality) थीं जिनका किसी सरकारी पद (government post) पर न होते हुए भी राजकीय सम्मान (state honor) के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इसमें भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के अतिरिक्त विश्व की महान हस्तियों ने भाग लिया। संसार की अधिकांश सताएँ विनम्र भाव से उनके पावन चरणों में नत हो गई। 13 सितम्बर, 1997 को मटर का पार्थिव शरीर ‘मदर हाउस’ में अंतिम विश्राम के लिए दफनाया गया। उनका देहांव 5 सितम्बर, 1997 की रात्रि को हृदय गति रुकने से हो गया था।

( Essay on mother Teresa)
मदर टेरेसा का जन्म (Mother Teresa’s Birth)
मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त, 1910 ई. में अल्बानिया में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद की ओर हो गई थी। बंगाल के मिशनरियों द्वारा भारत के बारे में लिखो कुछ किताबें पढ़कर उनकी दिलचस्पी भारत में जागी। उन्हें पता चला कि भारत आने के लिए उन्हें डबलिन जाकर नन बनना पड़ेगा। अन्ततः 29 नवम्बर, 1928 को वे समुद्र के रास्ते भारत की यात्रा पर निकल पड़ी और 6 जनवरी, 1929 को कलकत्ता पहुँची। वे मानवता की सेवा करने के इरादे से भारत आई थीं।
18 वर्ष में लिया गया उनका संकल्प महज भाषावेश में उठाया गया कदम नहीं था, जीवन भर गरीबों की सेवा के जरिए माँ ने यह सच कर दिखाया माँ के पार्थिव शरीर को नीले बार्डर वाली सफेद साड़ी पहनाई गई थी, जो जीवन भर उनका परिधान रहा।
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मदर टेरेसा की शिक्षा (Mother Teresa‘s Educational Qualifications)
कलकत्ता आकर उन्होंने 1929 ई. में सेंट मेरी स्कूल में पढ़ना प्रारंभ किया। 1937 ई. में उन्होंने नन की अंतिम शपथ ली। 1946 ई. में दार्जिलिंग की ओर ट्रेन से यात्रा करते हुए उन्हें ईसामसीह का. यह संदेश सुनाई दिया सबसे गरीब व्यक्ति की सेवा करो।’ अब उनका जीवन गरीबों की सेवा के लिए पूर्णतः समर्पित हो गया। 1947 ई. में उन्होंने कलकत्ता की झुग्गी-झोंपड़ी बस्ती में अपना पहला स्कूल खोला। 1950 ई. में उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की।

अमूल्य सेवाओं के लिए ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से किया गया सम्मानित
1952 ई. में मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ स्थापना कर असहाय, निराश्रित और रोगियों को आश्रय दिया। 1962 ई. में उनकी मानव जाति के प्रति की गई अमूल्य सेवाओं के लिए ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने ऐसे पुरस्कारों से प्राप्त राशि से दर्जनों नए अनाथालयों की स्थापना को 1979 ई. में विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार’नोबेल पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया गया।
अनाथों की सेवा करने का मिला था आमंत्रण
उन्होंने अपनी सेवा का क्षेत्र समस्त विश्व को बना लिया था। 1981 में उन्होंने इथोपिया के भयंकर सूखे से ग्रस्त लोगों के लिए स्वयं और अमेरिका के राष्ट्रपति रोगन से कहकर पर्याप्त सहायता उपलब्ध करवाई थी के लिए सभी देशों के द्वार सदा खुले रहते थे। इराक की सरकार ने उन्हें अपने यहाँ आकर अनाथों की सेवा करने का आमंत्रण दिया।
सारा जीवन दीन-दुखियों के कष्टों को दूर करने में लगाया
विश्व की अनेक यूनीवर्सियों ने उन्हें डाक्टेरट की मानद उपाधि प्रदान कर उनका सम्मान किया। उन्हें अनेक बार दिल का दौरा पड़ा, पर वे गरीबों और अनाथों से कभी पीछे नहीं हटी। उन्होंने सारा जीवन दीन-दुखियों के कष्टों को दूर करने में लगा दिया। वे निश्चय ही सच्चे अर्थों में माँ थी जिनका वात्सल्य भरा हाथ पाकर मानव जाति निहाल हो गई थी। वे सदा अमर रहेंगी।
FAQ
Q. मदर टेरेसा कौन थी?
Ans. मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने वर्ष 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी।
Q. मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था?
Ans. मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को ‘यूगोस्लाविया”” में हुआ था।
Q. मदर टेरेसा की मृत्यु कब हुई?
Ans. मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितंबर 1997 (87 वर्ष की आयु) को कलकत्ता , पश्चिम बंगाल , भारत में हुई।
Q. मदर टेरेसा की शिक्षा कहां से हुई?
Ans. टेरेसा ने 14 मई 1937 को पूर्वी कलकत्ता के एंटली में लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में एक शिक्षिका थीं।
Q. मदर टेरेसा क्यों प्रसिद्ध हैं?
Ans. मदर टेरेसा को 1962 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में जाना जाता है।
Q. मदर टेरेसा के पिता का क्या नाम था?
Ans. मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था।