नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबंध | Essay on Netaji Subhash Chandra Bose

Essay on Netaji Subhash Chandra Boseनेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबंध

Essay on Netaji Subhash Chandra Bose: देश के स्वाधीनता आंदोलन के महान सेनानियों में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) का नाम अत्यन्त गर्व के साथ लिया जाता है। इस महान पुरुष (great man) का व्यक्तित्व (personality) प्रारंभ से ही ओजस्वी (energetic) और वीरतापूर्ण (heroic) रहा।

अन्याय और अत्याचार को सहन करना उनके स्वभाव के विरुद्ध था। देश को आजाद (Azad) कराने के लिए वे किसी भी कुर्बानी (sacrifice) की बड़ा नहीं मानते थे। 1857 के बाद पहली बार भारतीयों की सेना को संगठित करके देश से विदेशी सत्ता को समूल उखाड़ फेंकने का प्रयत्न उसी वीर ने किया। उनका ‘जयहिंद’ का नारा देश के कोटि-कोटि कंठों में गूंजने लगा ।

Subhash Chandra Bose
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

(Essay on Netaji Subhash Chandra Bose)
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म (Jawaharlal Nehru’s Birth)

सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 ई. में उड़ीसा के कटक नगर में हुआ।

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की शिक्षा (Netaji Subhash Chandra Bose Educational Qualifications)

वे बचपन से ही बहुत मेधावी थे। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। पिता की इच्छा का सम्मान करके उन्होंने इंग्लैंड से आई० सी० एस० की परीक्षा सम्मानपूर्वक उत्तीर्ण तो कर ली, पर अंग्रेजों की नौकरी करना स्वीकार नहीं किया। ) सुभाष बाबू ने स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ने का निश्चय किया। उन्होंने देशबंधु चितरंजनदास को अपना राजनीतिक गुरु बनाया। ‘प्रिंस आफ वेल्स’ के स्वागत समारोह का बहिष्कार करने में उन्होंने अपनी अद्भूत संगठन क्षमता का परिचय दिया।

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भारतीय सैनिकों को जापानियों के कब्जे से मुक्त कराया

सुभाषचन्द्र क्रांतिकारियों के निरंतर संपर्क में रहे। उन्हें 1938 और 1939 में कांग्रेस का अध्यक्ष भी चुना गया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1941 में वे अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर भारत से बाहर निकल गए। उन्होंने जर्मनी में हिटलर से भेंट की. वे सिंगापुर चले गए। वहाँ पहुँचकर भारतीय सैनिकों को जापानियों के कब्जे से मुक्त कराया और ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया।

भारत के स्वाधीनता संग्राम के लिए किए गए प्रयत्नों में ‘आजाद हिंद फौज’ का नाम विशेष उल्लेखनीय है। इस फौज के गठन की विधिवत् घोषणा 5 जुलाई, 1942 को की गई।

Subhash Chandra Bose
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा

सुभाष बाबू की इस आजाद हिंद फौज़ ने ब्रिटिश सैनिकों के विरुद्ध अनेक मोर्चों पर युद्ध किया। युद्ध में विजय प्राप्त करती हुई यह सेना बर्मा की ओर से कई जगह भारत की सीमाओं के अंदर पहुँच गईं; जहाँ तिरंगा झंडा गाड़कर आजादी घोषित कर दी गई। सुभाष बोस ने कहा था- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” अनेक स्थानों पर इस फौज की जीत होने लगी।

1945 में युद्ध का पासा पलटने लगा और मित्र राष्ट्रों की विजय होने लगी। जगह-जगह अंग्रेजों को विजय मिलने से आजाद हिंद फौज़ को पीछे हटना पड़ा।

स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान सराहनीय रहा

भारतमाता और उसकी संतानों को आजाद कराने के लिए सुभाषचन्द्र बोस ने जीवन के अंतिम सांस तक अपने युद्ध को जारी रखा। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान सराहनीय रहा। इसे भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया गया है। 1997 में उनकी जन्मशताब्दी अत्यन्त समारोह पूर्वक मनाई गई। उनका अमर बलिदान भारतीय स्वातंत्र्य-संघर्ष के इतिहास में सदा आदर के साथ याद किया जाता रहेगा।

FAQ

Q. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस कौन थे?

Ans. देश के स्वाधीनता आंदोलन के महान सेनानियों में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का नाम अत्यन्त गर्व के साथ लिया जाता है।

Q. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म कब हुआ था?

Ans. सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 ई. में उड़ीसा के कटक नगर में हुआ था।

Q. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मृत्यु कब हुई?

Ans. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी।

Q. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का परिवार और बच्चे?

Ans. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अपनी सेक्रेटरी एमिली से शादी की थी जो कि ऑस्ट्रियन मूल की थीं। उनकी अनीता नाम की एक बेटी भी हैं

Q. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को कब कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था?

Ans. साल 1938 में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी निर्वाचित किया गया।