दिवाली पर निबंध | Essay On Diwali

Essay On Diwaliदिवाली पर निबंध

Essay On Diwali: होली, दीपावली, रक्षा बन्धन और विजयदशमी (दशहरा) हिन्दुओं के चार प्रमुख पर्व है। सभी हिन्दु इन महापों को बड़े चाव और उत्साह से मनाते हैं। वैसे तो मुझे चारों ही पर्व प्रिय हैं। परन्तु दीपावली (Deepawali) मेरा ही नहीं, अधिकतर लोगों का प्रिय पर्व है।

(Essay on Diwali)

कब मनाई जाती है दिवाली?

दीपावली (Diwali) का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या की रात को मनाया जाता है। इस अवसर पर असंख्य दीप जलाकर अमावस्या की अंधेरी रात को पूर्णिमा की रात में बदल दिया जाता है। दीपावली अन्धकार पर प्रकाश की, बुराइयों पर अच्छाई की विजय का पर्व है।

Essay On Diwali
दिवाली पर निबंध

पर्वों का समूह है दिवाली

दीपावली का पर्व वास्तव में अकेला पर्व नहीं है, यह पर्वों का समूह है। दीपावली से दो दिन पूर्व त्रियोदशी को धनतेरस का त्योहार होता है। इस दिन बर्तन खरीदने का महत्त्व है।

ये भी पढ़ें- दशहरा पर निबंध | Essay on Dussehra

चतुर्दशी को नरक चौदस या छोटी दीपावली मनाते हैं। अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। प्रतिपदा को अन्नकूट, गोवर्धन पूजा तथा विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है। द्वितीया को भाई-बहन के प्रेम का त्योहार भैया दोज मनाया जाता है।

दिवाली पर रंग-रोगन का महत्व?

दीपावली से पहले ही लोग अपने घरों की लिपाई-पुताई करवा लेते हैं। जिससे वर्षा के कारण उत्पन्न कीड़े-मकौड़े मर जाते हैं। इस अवसर पर बाजारों की शोभा देखते ही बनती है। सभी सामर्थ्य के अनुसार अपने घरों को सजाते हैं, नए वस्त्र खरीदते हैं, मित्रों को दीपावली की शुभकामनाएं तथा मिठाई आदि भेजते हैं।

Essay On Diwali
दिवाली पर निबंध

दिवाली की कथा

यह पर्व किस खुशी में मनाया जाता है। इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। प्रमुख कथा इस प्रकार है-

विजयदशमी के दिन रावण का वध करके श्री राम अयोध्या लौटे। चौदह वर्ष के बाद अपने प्रिय राजा को आया देख अयोध्यावासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दीपावली के दिन श्री राम राजगद्दी पर बैठे थे। इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने दीप जला अपनी प्रसन्नता प्रकट की थी। इसी की याद में दीपावली मनायी जाती है।

Essay On Diwali
दिवाली पर निबंध

रात के समय दीप जला कर खील-बताशों से लक्ष्मी गणेश का पूजन किया जाता है। बच्चे बूढ़े स्त्री पुरुष सभी पटाखे जला कर अपना मनोरंजन करते हैं। बच्चे तो सारी रात पटाखे छुड़ाते रहते हैं। इस अवसर पर कुछ लोग जुआ खेलते हैं। वैधानिक रूप से यह अपराध हमें इस पवित्र पर्व पर ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए।