Hindi Kahaniyan: ब्राह्मण का ‘पुर्नजन्म’

Hindi Kahaniyanब्राह्मण का 'पुर्नजन्म'

Hindi Kahaniyan: अपनी तीन बेटियों के साथ रहने वाला एक ब्राह्मण की कहानी आपका दिल छू लेगी। इस कहानी में आपको ऐसी सीख मिलेगी, जिसे जीवन में उतारने से आपका जीवन और बेहतर हो सकता है। बनारस में एक ब्राह्मण रहता था। वह विवाहित था और उसकी तीन छोटी बेटियाँ थीं-नंदा, नंदावती और सुंदरीनंदा। ब्राह्मण की आकस्मिक मृत्यु होने के बाद परिवार में केवल उसकी विधवा पत्नी और तीन बेटियां ही रह गईं थीं। वह एक ज्ञानी व्यक्ति था इसलिए उसे अपने पिछले जन्मों की याद थी। उसने एक सुंदर सुनहरी बतख के रूप में जन्म लिया। उसे अपनी पत्नी और बेटियों की बहुत चिंता होती थी, जो अब अपने दूसरे रिश्तेदारों के साथ रह रही थी।

उसने सोचा, ‘मेरे पंख सुनहरे हैं और बहुत कीमती भी, तो यदि मैं समय-समय पर अपना एक पंख इन्हें देती रहूँ तो उसे बेच कर इनके पास पैसा आ जाएगा और इनका कुछ समय आराम से कट जाया करेगा।’ वह उड़ कर उस स्थान पर पहुंची, जहां उसका पिछले जन्म का परिवार रह रहा था। वह छत पर जा बैठी। उसे वहां देख कर उस परिवार के लोगों ने पूछा कि वह कौन है।

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सुनहरी बतख

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उसने उन्हें बताया कि वह पिछले जन्म में उनका पिता था और अब एक बतख के रूप में उनकी मदद करने आया है। उसने कहा, “मुझसे तुम लोगों की यह दशा देखी नहीं जाती। मैं जब भी यहां आऊंगी तो तुम्हें अपना एक सुनहरा पंख दूंगी, उसे तुम बेच देना, उससे मिले पैसों से तुम लोग आराम से रह सकोगे।” यह कह कर उसने उन्हें एक सुनहरा पंख दिया और वहां से चली गई।

इसके बाद वह वहां समय-समय पर आने लगी। हर बार जाते समय वह उन्हें अपने शरीर से तोड़ कर एक सुनहरा पंख दे जाती। विधवा और उसकी बेटियों ने उसके पंख बेच दिए और वे लोग अमीर हो गए। अब उन्हें अपने रिश्तेदारों की दया पर निर्भर रहने की कोई जरूरत नहीं थी। विधवा स्त्री के मन में बतख के सुनहरे पंख देख कर लालच जाग उठा। उसे लगता कि अगर सारे सुनहरे पंख एक साथ मिल जाएं तो वे और भी अमीर हो जाएंगे।

उसने अपनी बेटियों से कहा,”सुनो बच्चो, यह तो केवल एक पक्षी है। यदि आने वाले समय में इसने हमारे यहां आना छोड़ दिया तो हमारे पास कमाई का कोई साधन नहीं रहेगा। मुझे लगता है कि जब वह अगली बार आए तो हमें एक ही बार में उसके शरीर से सारे सुनहरे पंख ले लेने चाहिए ताकि जब वह आना छोड़ दे तो हमें कोई नुकसान न हो अर्थात् हमारा गुजारा चलता रहे।”

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सुनहरी बतख

अगली बार ज्यों ही सुनहरी बतख आई, विधवा ने उसे दबोच लिया। उसने अपनी लड़कियों के साथ मिल कर उसके शरीर से सारे पंख उतार लिए। वे पंख जादुई थे। अगर बतख अपनी मर्जी से किसी को उन पंखों को देती तभी वे सुनहरे होते और यदि कोई उन्हें जबरदस्ती छीनता तो वे किसी आम बतख के पंखों में बदल जाते। विधवा औरत तो इस बारे में जानती नहीं थी। अब उसके हाथों में एक बतख के आम पंखों के गुच्छे के सिवाय कुछ नहीं था।

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इस दौरान बेचारा बतख लाचार हो कर वहीं गिर पड़ी क्योंकि अब वह पंखों के बिना उड़ भी नहीं पा रही थी। वह एक कोने में बैठ कर इंतजार करने लगी कि जब उसके पंख उगेंगे तो वह फिर से उड़ सकेगी। जब उसके पंख आ गए तो वह अपने दुष्ट परिवार से बहुत दूर चली गयी और उसके बाद कभी उनके पास लौट कर नहीं आई।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी की सीख यही है कि हमें जरूरतमंद लोगों की अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करते रहना चाहिए।